एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन के ट्रेनिंग फार्म में चौथी कक्षा से बारहवीं कक्षा के 150 से ज्यादा छात्रों ने धान की खेती के मूल तत्वों को सीखा। एपीडा ने इस फाउंडेशन को प्रमोट किया है,जो उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के मोदीपुरम में स्थित है।
छात्रों ने तीन दिनों खेतों का दौरा किया और धान की खेती की मूल बातें जैसे पोखर, रोपाई, प्रसंस्करण, उत्पादन और निर्यात प्रक्रिया को सीखा। छात्रों ने धान से चावल निकालने की प्रक्रिया, भूसी निकालने, चावल उबलने, निर्यात के लिए चावल का उत्पादन, चावल से तेल निकालने और जानवरों के लिए चारा अलग करने जैसी गतिविधियों को भी सीखा। इसके अलावा, बीईडीएफ के वैज्ञानियों ने उन्हें बासमती उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, व्यापार और निर्यात गतिविधियों की प्रक्रिया के बारे में बताया।
उन्होंने हरी खाद फसलों सहित मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रबंधन के बारे में भी सीखा। मूंग और सेसबनिया सहित फलीदार फसलों में नोड्यूल्स का अनुभव किया। इसके अलावा बासमती फसलों को खेत में लगाया। एपीडा के प्रेसिडेंट एम. अंगमुथु ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ निर्यात के लिए चावल उत्पादन की मूल्य-श्रृंखला के बारे में उनकी समझ को बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयास का समर्थन करना है।
उन्होंने बताया कि कृषि उत्पादन प्रणालियों पर व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने के लिए देश के अन्य हिस्सों में भी छात्रों का इसी तरह का दौरा आयोजित किया जाएगा।
एनईपी के उद्देश्य के अनुरूप, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) ने छात्रों, स्टार्ट-अप और अन्य के बीच धान की खेती के कौशल को सुधारने और व्यावहारिक ज्ञान विकसित करने के लिए फार्मिंग कैसे करते है और उसकी प्रक्रियाओं के बारे में बताया।राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार, संस्थानों को सैद्धांतिक शिक्षा के बजाय व्यावहारिक ज्ञान और कौशल विकास को विशेष प्रोत्साहन देने के लिए कहा गया है।
एक ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि एनईपी का उद्देश्य शिक्षा को संकीर्ण सीमाओं से बाहर लाना है और इसे 21 वीं सदी के आधुनिक विचारों के साथ एकीकृत करना है। एपीडा बीईडीएफ के माध्यम से बासमती चावल की खेती को बढ़ावा देने में राज्य सरकारों की सहायता कर रहा है।जागरूकता सृजन कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को बताया गया कि बासमती चावल की खेती एक भारतीय परंपरा है और इसे बनाए रखना एक सामूहिक जिम्मेदारी है क्योंकि वैश्विक बाजार में बासमती चावल की भारी मांग है। किसानों से अनुरोध किया गया है कि वे राज्य कृषि विभाग के माध्यम से बासमती डॉट नेट पर अपना पंजीकरण कराएं। एपीडा, बीईडीएफ के माध्यम से बासमती चावल की खेती को बढ़ावा देने में राज्य सरकारों की सहायता करता रहा है।
पहल के हिस्से के रूप में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के चावल निर्यातक संघों के सहयोग से बीईडीएफ; कश्मीर और दिल्ली, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और राज्य कृषि विभागों ने सात राज्यों में उच्च क्वालिटी वाले बासमती चावल उगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 75 जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
बीईडीएफ प्रमुख उत्पादक राज्यों में विभिन्न एफपीओ, निर्यातक संघों आदि के लिए टेक्निकल पार्टनर के रूप में भी शामिल है।भारत ने पिछले तीन वर्षों में लगभग 12 बिलियन अमरीकी डालर का बासमती निर्यात किया है। भारत ने वर्ष 2021-22 में 3.54 बिलियन अमरीकी डालर मूल्य के बासमती चावल का निर्यात किया। वर्ष 2021-22 में भारत से सुगंधित लंबे अनाज वाले चावल के कुल शिपमेंट में सऊदी अरब, ईरान, इराक, यमन, संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका, कुवैत, ब्रिटेन, कतर और ओमान की हिस्सेदारी करीब 80 प्रतिशत है।