एमएमएमई मंत्रालय की ओर से आयोजित आइडिया हैकथॉन के तहत एमएसएमई इनोवेशन योजना में झारखंड के सात स्टार्टअप चुने गए हैं। देशभर से शामिल हुए 5126 स्टार्टअप में से कुल 257 को चुना गया, जिसमें सात झारखंड के हैं।
राज्य के चुने गए स्टार्टअप वेस्ट मैनेजमेंट, स्मार्ट डिप्रेशन मॉनिटरिंग सिस्टम, न्यू जेनरेशन डोमेस्टिक वाटर प्योरीफायर के आइडिया को केंद्र सरकार से अनुमोदन मिला है। इन्हें केंद्र सरकार 15 लाख रुपये का अनुदान भी देगी। इससे पहले होस्ट इंस्टीट्यूट की ओर से इन्हें 15 लाख रुपये मिल चुके हैं। बता दें कि योजना में तीन कैटेगरी रखी गई थी, जिसमें इनक्यूबेशन, डिजाइन व बौद्धिक संपदा शामिल थे।चुने गए सात स्टार्टअप में एनआईटी जमशेदपुर के तीन, झारखंड मिनी टूल रूम के दो और इंडो डेनिस टूल रूम के दो स्टार्टअप शामिल हैं।
झारखंड गवर्नमेंट मिनी टूल रूम ट्रेनिंग सेंटर के इंटरप्रेन्योर साकेत कुमार ने ओएस वेल ड्रिकिंग वाटर प्योरीफायर का आइडिया दिया था। इसमे कम दर पर और बिना बिजली के न्यू जेनरेशन डोमेस्टिक वाटर प्योरीफायर तैयार करने का प्रोजेक्ट शामिल है। एनआईटी जमशेदपुर के तीन स्टार्टअप का चयन प्रतियोगिता में चुने गए स्टार्टअप्स में से राज्य के सबसे ज्यादा तीन स्टार्टअप्स एनआईटी जमशेदपुर के छात्र हैं। इन्होंने वाई-फाई स्मार्ट एडाप्टर समेत तकनीक से जुड़े अन्य आइडिया का प्रस्ताव दिया था। इंडो डेनिश टूल रूम के इंटरप्रेन्योर भोगेश कुमार ने अंडरग्राउंड माइनर्स के लिए सुरक्षित रेस्क्यू सिस्टम डिजाइन विकसित करने से संबंधित स्टार्टअप का प्रस्ताव दिया था।
एमएसएमई इनोवेशन योजना क्या है
एमएसएमई मंत्रालय ने रचनात्मकता को बढ़ावा देने, नवीनतम तकनीकों को अपनाने और एमएसएमई के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस योजना को शुरू किया। यह योजना मंत्रालय की ऊष्मायन, डिजाइन और आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) योजनाओं का एक समामेलन है।
ऊष्मायन: योजना का प्राथमिक उद्देश्य अप्रयुक्त रचनात्मकता को बढ़ावा देना और उसकी मदद करना है। साथ ही प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट स्तर पर अपने आइडिया की वैलिडेशन के लिये एमएसएमई में नवीनतम तकनीकों को बढ़ावा देना है।
इस योजना के हिस्से के रूप में सरकार ने मेजबान संस्थानों के माध्यम से एमएसएमई, छात्रों से विचारों को आमंत्रित करने के लिये एक एमएसएमई आइडिया हैकथॉन शुरू करने की घोषणा की है।प्रति आइडिया 15 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता और संबंधित संयंत्र तथा मशीनों के लिये एक करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे।
डिजाइन: इस कंपोनेंट का उद्देश्य भारतीय मैन्युफेक्चरिंग क्षेत्र और डिज़ाइन विशेषज्ञता को एक साझा मंच पर लाना है। इसका उद्देश्य नए उत्पाद विकास, इसके निरंतर सुधार और मौजदा एवं नए उत्पादों में मूल्यवर्द्धन के लिये डिज़ाइन समस्याओं पर रियल टाइम विशेषज्ञ सलाह तथा लागत प्रभावी समाधान प्रदान करना है।
आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार): इस योजना का उद्देश्य एमएसएमई के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और भारतीय अर्थव्यवस्था में रचनात्मक बौद्धिक प्रयास को प्रोत्साहित करने हेतु भारत में आईपी संस्कृति में सुधार करना है। इसका उद्देश्य एमएसएमई द्वारा उनके व्यावसायीकरण और आईपी सुविधा केंद्र के माध्यम से आईपीआर उपकरणों के प्रभावी उपयोग के लिये विकसित विचारों, तकनीकी इनोवेशन और ज्ञान-संचालित व्यापार रणनीतियों की सुरक्षा हेतु उपयुक्त उपाय करना है। इसमें विदेशी पेटेंट के लिये 5 लाख रुपए, घरेलू पेटेंट पर 1 लाख रुपए, जीआई पंजीकरण हेतु 2 लाख रुपए, डिज़ाइन पंजीकरण के लिये 15,000 रुपए, प्रतिपूर्ति के रूप में ट्रेडमार्क हेतु 10,000 रुपए तक की वित्तीय सहायता का प्रावधान है।