व्यवसाय विचार

एमएसएमई को प्रोत्साहन देने के लिए आठ नए प्रस्ताव

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jul 23, 2024 - 7 min read
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केंद्रीय वित्त मंत्री ने प्रस्तावित किया कि एमएसएमई और पारंपरिक कारीगरों के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोडल में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जो एक छत के नीचे व्यापार और निर्यात सेवाएं प्रदान करेंगे।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 'केंद्रीय बजट 2024-25' पेश किया। इस बजट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है। यह वह क्षेत्र है जिसमें कच्चे माल से विभिन्न उत्पाद बनाए जाते हैं। सीतारमण ने उन क्षेत्रों पर भी जोर दिया है जहां ज्यादा संख्या में लोग काम करते हैं जैसे कि कपड़ा उद्योग, हस्तशिल्प, अन्य और इसे हम श्रम-प्रधान उद्योग कहते हैं।

सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए एक विशेष पैकेज तैयार किया है। इस पैकेज में तीन मुख्य बातें शामिल हैं:

1.वित्त पोषण (फंडिंग)- सरकार ने एमएसएमई को वित्तीय सहायता देने के लिए योजनाएं बनाई हैं ताकि इन्हें सस्ते और आसान लोन मिल सकें। इससे छोटे और मध्यम व्यवसाय अपने व्यापार को बढ़ा सकेंगे।

2.नियामकीय बदलाव- सरकार ने एमएसएमई के लिए कुछ नियमों और कानूनों में बदलाव किए हैं ताकि उनके लिए व्यवसाय करना और भी आसान हो जाए। इस तरह के बदलाव से कानूनी प्रक्रियाएं सरल हो जाएंगी और समय की बचत होगी।

3.टेक्नॉलॉजी सपोर्ट- सरकार ने एमएसएमई को नई तकनीकों का उपयोग करने में मदद करने का भी प्रावधान किया है। इससे ये व्यवसाय अधिक उत्पादक और कुशल बन सकेंगे और आधुनिक तकनीकों का लाभ उठाकर अपने उत्पादों को और बेहतर बना सकेंगे।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने एमएसएमई के सपोर्ट के लिए चार मुख्य थीम और कुछ विशेष कदमों का प्रस्ताव किया है।

1.वित्त पोषण- एमएसएमई को वित्तीय सहायता प्रदान करना ताकि वे अपने व्यापार को बढ़ा सकें।

2.टेक्नॉलॉजी- एमएसएमई को नई और आधुनिक टेक्नॉलॉजी का उपयोग करने में मदद करना।

3.कौशल विकास- कर्मचारियों को नए कौशल सिखाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम।

4.बाजार तक पहुंच-  एमएसएमई को उनके उत्पादों और सेवाओं के लिए नए बाजारों तक पहुंचाने में मदद करना।

विशेष कदम

1.क्रेडिट गारंटी योजना: सरकार ने एमएसएमई के लिए एक क्रेडिट गारंटी योजना का प्रस्ताव किया है, जिससे इन व्यवसायों को बैंक से लोन प्राप्त करना आसान हो जाएगा। इससे उन्हें अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए पूंजी मिल सकेगी।

2.सस्ता और सरल लोन: एमएसएमई के लिए सस्ते और सरल लोन की व्यवस्था की जाएगी ताकि उन्हें वित्तीय समस्याओं का सामना न करना पड़े।

3.इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट: एमएसएमई के लिए विशेष औद्योगिक क्षेत्र और हब बनाए जाएंगे, जहां उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं मिलेंगी। इससे उत्पादन और व्यापार की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।

4.डिजिटल प्लेटफॉर्म: एमएसएमई के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा, जहां वे अपने उत्पादों और सेवाओं को बेच सकेंगे। इससे उन्हें बड़े बाजारों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।

5.नियामकीय सुधार: एमएसएमई के लिए कुछ नियमों और कानूनों को सरल बनाया जाएगा ताकि व्यापार करना आसान हो और वे बिना किसी बाधा के काम कर सकें।

मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना

वित्त मंत्री ने एक नई ऋण गारंटी योजना की घोषणा की है जिसका उद्देश्य एमएसएमई को बिना संपार्श्विक (कोलैटरल) या तृतीय पक्ष गारंटी के मशीनरी और उपकरण खरीदने के लिए आवधिक ऋण (टर्म लोन) प्रदान करना है। यह योजना ऐसे एमएसएमई के ऋण जोखिमों की पूलिंग के आधार पर संचालित होगी। इसका ब्योरा देते हुए, केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि प्रत्येक आवेदक को 100 करोड़ रुपये तक का गारंटी कवर देने के लिए एक पृथक स्व-वित्त गारंटी निधि बनाई जाएगी, जबकि ऋण की राशि इससे अधिक हो सकती है। इस नई ऋण गारंटी योजना के तहत, ऋण लेने वाले (एमएसएमई) को कुछ शुल्क देने होंगे।

पीएसबी एमएसएमई ऋण के लिए नया आकलन मॉडल विकसित करेंगे

सीतारमण ने प्रस्ताव दिया है कि एमएसएमई को ऋण सुलभ बनाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपनी खुद की आकलन क्षमता विकसित करेंगे। अब तक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अक्सर बाहरी आकलनकर्ताओं (जैसे क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों) पर निर्भर रहते थे यह तय करने के लिए कि एमएसएमई को ऋण देना चाहिए या नहीं। यह प्रक्रिया समय लेने वाली और कभी-कभी महंगी हो सकती है। बैंकों को अपनी खुद की इन-हाउस (अपने अंदर) आकलन क्षमता विकसित करनी चाहिए। इसका मतलब है कि बैंक खुद यह तय करने के लिए अपने संसाधनों और विशेषज्ञता का उपयोग करेंगे कि एमएसएमई को ऋण दिया जाए या नहीं। इन-हाउस आकलन के कारण, बैंक तेजी से और प्रभावी ढंग से निर्णय ले सकेंगे कि किसे ऋण देना है। बाहरी आकलनकर्ताओं को भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे लागत कम होगी। बैंक अपने ग्राहकों को बेहतर समझ पाएंगे और उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर अधिक अनुकूलित वित्तीय सेवाएं प्रदान कर सकेंगे।

उदाहरण के जरिये समझते है, मान लीजिए, एक छोटा कपड़ा उद्योग (एमएसएमई) बैंक से ऋण लेना चाहता है। अब तक, बैंक बाहरी एजेंसी को इस उद्योग का आकलन करने के लिए कहता था, जो समय लेने वाला और महंगा हो सकता था। अब, बैंक अपनी खुद की टीम से ही इस उद्योग का आकलन करेगा, जिससे समय की बचत होगी और प्रक्रिया भी सरल होगी।

वित्त मंत्री ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है कि जिन उद्यमियों ने ‘तरुण’ श्रेणी के अंतर्गत मुद्रा ऋण लिया है और अपने पिछले ऋणों को सफलतापूर्वक चुका दिया है, उनके लिए ऋण की सीमा को ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹20 लाख किया जाएगा। यह सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है जो छोटे और मध्यम व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। मुद्रा योजना के तहत तीन श्रेणियां होती हैं – शिशु, किशोर, और तरुण। तरुण श्रेणी उन व्यवसायों के लिए होती है जो पहले से स्थापित हैं और उन्हें विस्तार के लिए अधिक राशि की आवश्यकता होती है। इस श्रेणी के अंतर्गत अब तक ऋण की सीमा दस लाख रूपये थी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई को कार्यशील पूंजी बढ़ाने के लिए एक नया प्रस्ताव किया है। ट्रेड्स प्लेटफॉर्म, यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जहां व्यापारी और खरीदार अपनी खरीददारी और भुगतान की जानकारी साझा कर सकते हैं। यह एमएसएमई को अपने व्यापारिक लेन-देन को आसानी से ट्रैक करने में मदद करता है और उन्हें समय पर भुगतान मिल सके, जिससे उनकी कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) बढ़ जाती है। अब तक, केवल उन कंपनियों को इस प्लेटफॉर्म पर शामिल करना अनिवार्य था जिनका सालाना कारोबार 500 करोड़ रूपये से अधिक था। वित्त मंत्री ने प्रस्तावित किया है कि अब केवल उन कंपनियों को ही इस प्लेटफॉर्म पर शामिल करना अनिवार्य किया जाए जिनका सालाना कारोबार 250 करोड़ रूपये या उससे अधिक हो। जब बड़ी कंपनियाँ और खरीदार इस प्लेटफॉर्म पर शामिल होते हैं, तो वे अपने लेन-देन को जल्दी और पारदर्शी तरीके से पूरा कर सकते हैं। इससे एमएसएमई को अपने भुगतान समय पर मिलते हैं, जिससे उनकी कार्यशील पूंजी में वृद्धि होती है। छोटे और मध्यम व्यवसाय जो 250 करोड़ रूपये के सालाना कारोबार के दायरे में आते हैं, अब इस प्लेटफॉर्म का लाभ उठा सकेंगे और उन्हें समय पर भुगतान मिल सकेगा। इससे 22 और सीपीएसई और सात हजार अन्य कंपनियां इस प्लेटफॉर्म से जुड़ जाएंगी। मध्यम उद्यमों को भी आपूर्तिकर्ता के दायरे में शामिल किया जाएगा।

ऋण सुलभ बनाने के लिए एमएसएमई क्लस्टरों में सिडबी की शाखाएं

केंद्रीय वित्त मंत्री ने प्रस्ताव किया कि सिडबी तीन वर्षों में सभी प्रमुख एमएसएमई क्लस्टरों को सेवाएं देने के उद्देश्य से अपनी पैठ बढ़ाने के लिए नई शाखाएं खोलेगी और उन्हें सीधे ऋण उपलब्ध कराएगी। सीतारमण ने कहा कि इस वर्ष ऐसी 24 शाखाएं खोली जाने के साथ ही सेवा कवरेज का विस्तार 242 प्रमुख क्लस्टरों में से 168 क्लेस्टरों तक हो जाएगा।

एमएसएमई क्षेत्र में 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इरेडिएशन इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। एनएबीएल से मान्यता प्राप्त 100 खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण प्रयोगशालएं स्थापित करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। फूड इरेडिएशन, यह एक प्रक्रिया है जिसमें खाद्य पदार्थों को रेडियोधर्मी किरणों से उपचारित किया जाता है ताकि उनके जीवनकाल को बढ़ाया जा सके और बैक्टीरिया या कीटाणुओं को मारा जा सके।सरकार ने 50 ऐसी इकाइयों को स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता देने का प्रस्ताव किया है। इसका मतलब है कि इन इकाइयों को शुरू करने के लिए सरकार पैसा या अन्य मदद प्रदान करेगी।एनएबीएल (नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज) एक संस्था है जो प्रयोगशालाओं को मान्यता देती है कि वे मानक परीक्षण और निरीक्षण कर सकती हैं। सरकार 100 ऐसी प्रयोगशालाओं की स्थापना की सुविधा प्रदान करेगी, जो एनएबीएल से मान्यता प्राप्त होंगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि खाद्य पदार्थों की जांच उच्च मानक के अनुसार की जाएगी।

निष्कर्ष

वित्त मंत्री की घोषणा का उद्देश्य उन उद्यमियों को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करना है जिन्होंने पहले से ही अपने ऋणों को सफलतापूर्वक चुकाया है। इससे छोटे और मध्यम व्यवसायों को अधिक पूंजी मिलेगी, जिससे वे अपने व्यवसाय को और भी विस्तार दे सकेंगे और देश की अर्थव्यवस्था में अधिक योगदान कर सकेंगे। वित्त मंत्री की योजना से एमएसएमई और पारंपरिक कारीगरों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में मदद मिलेगी। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सहयोग से स्थापित होने वाले ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र व्यापार और निर्यात से संबंधित सभी सेवाएं एक ही स्थान पर प्रदान करेंगे, जिससे एमएसएमई को वैश्विक बाजार में कदम रखने में आसानी होगी।

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