केंद्र सरकार ने ऑटोमोटिव सेक्टर के लिए 25,938 करोड़ रुपये की उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को एक वर्ष के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। यह योजना वित्त वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक के लिए थी, जिसे अब बढ़ाकर 2028 तक के लिए कर दिया है। केंद्र सरकार ने देश में आधुनिक ऑटोमोटिव टेक्नॉलोजी से जुड़े उत्पादों ( वाहन और कलपुर्जों) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पहली अप्रैल 2022 को ऑटोमोटिव सेक्टर में पीएलआई योजना लांच की थी। भारी उद्योग मंत्रालय का मानना है कि योजना के व्यापक प्रभाव से ऑटोमोटिव उद्योग की वृद्धि होगी और यह अनुमान है कि भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग 2030तक दुनिया में तीसरे नंबर पर होगा। मंत्रालय ऑटोमोटिव उद्योग के तहत पीएलआई-ऑटो आवेदकों को योजना के महत्वपूर्ण हितधारकों में से एक मानता है।
मंत्रालय ने कहा कि देश में उन्नत ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (एएटी) उत्पादों को स्थानीय स्तर पर लाने और उन्हें विकसित करने का लक्ष्य ऑटोमोटिव उद्योग के समर्थन और विकास के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है। केंद्र सरकार नवोन्मेष या नवाचार और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता के साथ-साथ अनुकूल वातावरण प्रदान करके इस महत्वपूर्ण उद्योग को सुदृढ़ करने की नैतिक जिम्मेदारी लेती है।
भारत में ऑटोमोटिव उद्योग अर्थव्यवस्था के मुख्य स्तंभों में से एक है। राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान 1992-93कें 2.77 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 7.1 प्रतिशत हो गया है। यह 19 मिलियन (1.9 करोड़) से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है।
भारत में ऑटोमोबाइल बाजार में 2021-22 के दौरान दोपहिया वाहनों और पैसेंजर कार की बाजार हिस्सेदारी क्रमशः 77 प्रतिशत और 18 प्रतिशत रही। पैसेंजर कार की बिक्री में छोटे और मध्यम आकार की कारों का दबदबा है। पीएलआई-ऑटो योजना की समीक्षा केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने इसी सप्ताह पीएलआई-ऑटो योजना की समीक्षा के लिए एक बैठक बुलाई थी। इसका उद्देश्य पीएलआई-ऑटो योजना के तहत ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्यूफैक्चरर्स यानी ओईएम और कंपोनेंट कंपनियों के सामने आने वाली समस्याओं या कठिनाइयों का पता लगाना था। इस योजना को उद्योग जगत में आगे लाने की समस्याओं और विचारों को साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। भारत को मैन्युफैक्चरिंग का वैश्विक हब बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विज़न के अनुरूप ही
यह बैठक आयोजित की गई थी।
भारी उद्योग मंत्रालय ने स्वच्छ ईंधन चालित आवागमन को बढ़ावा देने समेत नवाचार व प्रौद्योगिकी की एक पूरी पारिस्थितिकी यानी इकोसिस्टम विकसित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना दरअसल एडवांस ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (एएटी) के उत्पादों की सप्लाई चेन को चलाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। डॉ. पांडेय ने पीएलआई ऑटो योजना की नीतियों, प्रक्रियाओं और प्रभावशीलता को आकार देने के लिए उद्योग के फीडबैक और सहभागिता का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकार एक अनुकूल कारोबारी माहौल को बढ़ावा देने और भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र के विकास में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
पीएलआई-ऑटो योजना
पीएलआई-ऑटो योजना केवल उन पात्र एडवांस ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (एएटी) उत्पादों को प्रोत्साहित करती है जिनके लिए न्यूनतम 50 प्रतिशत डोमेस्टिक वैल्यू एडिड (डीवीए) हासिल किया गया है और मंत्रालय की परीक्षण एजेंसियों द्वारा प्रमाणित किया गया है। यह मानक आयात को कम करेगा, एएटी उत्पादों के लिए गहन स्थानीयकरण की सुविधा प्रदान करेगा और घरेलू तथा वैश्विक सप्लाई चेन के सृजन को सक्षम करेगा। भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर कृष्ण ने कहा कि ऑटो उद्योग देश की जीडीपी में 7 प्रतिशत योगदान देता है और पीएलआई योजना इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को और बढ़ाएगी और रोजगार के अधिक अवसर पैदा करेगी।
भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव कामरान रिज़वी ने कहा कि ऑटोमोटिव उद्योग भारत में एक प्रमुख आर्थिक योगदानकर्ता है। पीएलआई-ऑटो योजना भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगी और भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र के वैश्वीकरण को बढ़ाने का काम करेगी। यह भारत में एडवांस ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (एएटी) के लिए वैश्विक सप्लाई चेन के उद्भव को प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा कि यह योजना उच्च टेक्नोलॉजी, अधिक कुशल और हरित ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग में एक नए युग की शुरुआत करेगी।