व्यवसाय विचार

ऑटो पार्ट्स निर्माता ईवी व्यवसाय के लिए 25,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे: इक्रा

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Apr 24, 2024 - 2 min read
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रेटिंग एजेंसी इक्रा (आईसीआरए) ने कहा कि इस पूंजीगत व्यय का उपयोग क्षमता निर्माण, टेकनोलॉजी और उत्पाद संवर्द्धन के लिए किया जाएगा। इसका लगभग 45 से 50 प्रतिशत हिस्सा बैटरी सेल के लिए होगा।

ऑटो कंपोनेंट निर्माता इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए कंपोनेंट बनाने के लिए तीन से चार  वर्षों में 25,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। रेटिंग एजेंसी इक्रा (आईसीआरए) ने कहा कि इस पूंजीगत व्यय का उपयोग क्षमता निर्माण, टेकनोलॉजी और उत्पाद संवर्द्धन के लिए किया जाएगा। इसका लगभग 45 से 50 प्रतिशत हिस्सा बैटरी सेल के लिए होगा। 

इक्रा के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट शमशेर दीवान ने कहा पीएलआई (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन) योजना, ई-वाहन नीति और राज्य प्रोत्साहन भी पूंजीगत व्यय में तेजी लाने में योगदान देंगे। बड़ी परियोजनाओं (विशेषकर बैटरी सेल स्थानीयकरण के लिए) को शुरू में आंशिक रूप से ऋण द्वारा वित्त पोषित किए जाने की उम्मीद है।

वर्तमान में ईवी सप्लाई चेन का लगभग 30 से 40 प्रतिशत ही स्थानीयकृत है। बैटरी सेल बड़े पैमाने पर आयातित रहते हैं। आमतौर पर, ईवी में बैटरी पैक सबसे महंगी वस्तु होती है, जो वाहन की लागत का लगभग 40 प्रतिशत बनाती है। जिन चेसिस कंपोनेंट को न्यूनतम टेक्नोलॉजी उन्नयन की आवश्यकता होती है, उनका निर्माण स्थानीय स्तर पर किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में ट्रैक्शन मोटर्स, कंट्रोल यूनिट, नियंत्रण इकाइयों और बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम में पर्याप्त स्थानीयकरण हुआ है।

दीवान ने कहा ईवी की बड़े पैमाने पर पहुंच और प्रतिस्पर्धी लागत संरचना हासिल करने के लिए, भारत को स्थानीय स्तर पर बैटरी सेल विकसित करने के लिए अपना स्वयं का इकोसिस्टम बनाने की आवश्यकता होगी। आईसीआरए के विचार में भारत में ईवी बैटरी की मांग (अकेले घरेलू बिक्री के लिए) 2025 तक ~15 गीगावॉट और 2030 तक ~60 गीगावॉट तक पहुंचने की उम्मीद है।

टाटा संस और सुजुकी गुजरात में ईवी बैटरी सेल बनाने वाले प्लांट लगा रहे हैं। एक्साइड इंडस्ट्रीज कर्नाटक में एक प्लांट स्थापित करेगी जबकि जेएसडब्ल्यू समूह ने ईवी बैटरी प्लांट के लिए ओडिशा को चुना है।

आईसीआरए को उम्मीद है कि 2030 तक घरेलू दोपहिया वाहनों की बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत और पैसेंजर वाहन की बिक्री में 15 प्रतिशत होगी। रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि भारतीय ई-दोपहिया वाहन के कंपोनेंट बाजार की क्षमता 2030 तक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी, जबकि ई-पैसेंजर वाहन (ई-पीवी) कंपोनेंट की राजस्व क्षमता के संदर्भ में कम से कम 50,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

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