व्यवसाय विचार

ऑनलाइन गेमिंग में बच्चों को सुरक्षित बनाना जरूरी

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Feb 13, 2024 - 3 min read
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ऑनलाइन गेमिंग के बारे में बच्चों को शिक्षित करना जरूरी है। बच्चों को नियम, नैतिकता,साइबर सुरक्षा के तरीकों का ज्ञान दे और अगर बच्चे ऑनलाइन हमले का शिकार होते हैं, तो उन्हें तत्काल सहायता और समर्थन प्राप्त करने के लिए साधनों की जानकारी दें।

भारत में ऑनलाइन गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स में बच्चों के अधिकार, विश्वास, सुरक्षा और कल्याण पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हो रहे है, ताकि बच्चों को साइबरस्पेस की दिशा में सुरक्षित बनाया जा सके। आज के समय में बच्चे डिजिटल की ओर बढ रहे है और ऐसे में उनका ध्यान रखना जरूरी है।परिवार के सदस्यों के बीच संवाद को बढ़ावा दें ताकि बच्चे अपनी ऑनलाइन गेमिंग अनुभवों को साझा कर सकें और जरूरत पड़ने पर समर्थन प्राप्त कर सकें।

साइबरपीस के ग्लोबल प्रेसिडेंट और फाउंडर विनीत कुमार ने ऑनलाइन गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स के संबंध में बच्चों के अधिकार, कल्याण, विश्वास और सुरक्षा के महत्तव के बारे में बताया।

भारत सरकार में एनसीपीसीआर की पूर्व चेयरपर्सन स्तुति नारायण काकर ने ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में बच्चों के अधिकारों से संबंधित नियामक परिदृश्य में अंतर्दृष्टि साझा की। काकर ने बताया कि आजकल छात्र खुद को गेमिंग की दुनिया में कैसे शामिल कर रहे हैं और हमे माता-पिता और बच्चों पर क्या सावधानियां उठानी चाहिए।

साइबरपीस ने यूनिसेफ के सहयोग से भारत में ऑनलाइन गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स में बच्चों के अधिकार, विश्वास, सुरक्षा और कल्याण पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करके सुरक्षित साइबरस्पेस की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

सम्मेलन ने बच्चों और ऑनलाइन गेमिंग उद्योग और ईस्पोर्ट्स के लिए प्रस्तुत अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य किया। आयोजन के महत्वपूर्ण क्षणों में से एक ऑनलाइन गेमिंग और ईस्पोर्ट्स उद्योग के लिए एक स्वतंत्र स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) फ्रेमवर्क और साइबरपीस दिशानिर्देशों की स्थापना के बारे में चर्चा थी, जिसका उद्देश्य नवाचार, बच्चों के अधिकारों और भलाई के बीच संतुलन बनाना था। ऑनलाइन गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स के परिवर्तनों और उनके प्रभावों पर एक व्यापक अध्ययन का प्रकाशन किया गया।

यूनिसेफ में बिजनेस इंगेजमेंट एंड चाइल्ड राइट्स की प्रोग्राम ऑफिसर ((चाइल्ड राइट्स और डिजिटल बिजनेस) डॉ.शूली गिलुट्ज़ ने कहा डिजिटल गेमिंग में बच्चों की भलाई को देखते हुए एक प्रस्तुति प्रस्तुत की गई। वह इस तथ्य पर ध्यान केंद्रित करती हैं कि बच्चे अब डिजिटल जीवन जी रहे हैं और इसमे उनकी भलाई को देखना और उन्हें सुरक्षित रहने में मदद करना महत्वपूर्ण है। भलाई बच्चों के अधिकार से अलग है और यह व्यक्तिगत दृष्टिकोण है कि बच्चे अपने जीवन का कैसे अनुभव कर रहे है। अब हम ई-गेमिंग में बच्चों की भलाई पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने बच्चों की भलाई के लिए यूनिसेफ की एक परियोजना पर चर्चा की।

गवर्नेंस फोरम में फॉर्मर एमएजी यूनाइटेड नेशन इंटरनेट की डॉ. सुबी चतुर्वेदी ने कहा ऑनलाइन गेमिंग के नकारात्मक प्रभाव के कारण बच्चों के व्यवहार में आने वाले बदलावों पर प्रकाश डाला और कहा कि भारतीय गेमिंग उद्योग पूरी दुनिया में है और इसलिए इसके लिए कुछ विशिष्ट प्रारूप होना चाहिए जिसमें बच्चे कुछ नया सीखते हुए खेलेंगे और इनोवेटिव करेंगे। एआई चैटबॉट आजकल छात्रों के मित्र बनने के लिए बहुत आम हैं और माता-पिता को इस पर नजर रखनी चाहिए। ब्लू व्हेल परिदृश्यों को रोकने के लिए बच्चों को जिम्मेदार गेमिंग सिखाई जानी चाहिए।

सम्मेलन ने हितधारकों को ऑनलाइन गेमिंग में चुनौतियों से निपटने में विचारों, अंतर्दृष्टि और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने के लिए एक व्यापक प्लेटफॉर्म प्रदान किया है।

 

 

 

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