लोग बाजार जाने के बजाय घर से ही विभिन्न शॉपिंग साइट्स से ऑर्डर करना पसंद करते हैं। आज के समय में अनेकों ई-कामर्स साइट आ गई है। केंद्र सरकार ने देश के तेज़ी से बढ़ते डिजिटल ई-कॉमर्स स्पेस को "लोकतांत्रिक" करने के उद्देश्य से ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स का पायलट चरण शुरू किया। इसका लक्ष्य डिजिटल नेटवर्क के जरिए वस्तुओं एवं सेवाओं के लेन-देन और खरीद-बेच के सभी पहलुओं के लिए एक ओपन प्लेटफॉर्म को प्रोत्साहित करना है, जिसका उपयोग सभी आनलाइन रिटेल विक्रेता कर सकें।
भारत में इंटरनेट कनेक्शन और मोबाइल फोन की तगड़ी पहुंच होने के बावजूद, छोटे और मध्यम बिजनस डिजिटल माध्यम को अपनाने में पिछड़ गए हैं। इसका नतीजा ये हो रहा है कि उन्हें एग्रिगेटर्स पर निर्भर होना पड़ा है। हालांकि, सरकार की नई ओएनडीसी पहल का मकसद इसे बदलना है, ताकि छोटे और स्वतंत्र उद्यमियों के हाथों में भी ताकत वापस आ सके।
केंद्र सरकार छोटे व्यापारियों की मदद के लिए यह प्लेटफार्म लेकर आई है। ओएनडीसी के तहत भाग लेने वाली ई-कॉमर्स साइट पर पंजीकृत खरीदार किसी अन्य प्रतिभागी ई-कॉमर्स साइट पर विक्रेता से सामान खरीद सकता है। खरीदारों और विक्रेताओं को एक ही प्लेटफॉर्म के माध्यम से होने वाले लेनदेन के लिये एक ही ऐप पर होना चाहिये। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है जो उद्योगों में स्थानीय डिजिटल कॉमर्स स्टोर को किसी भी नेटवर्क-सक्षम एप्लीकेशन द्वारा खोजने में सक्षम बनाने के लिये एक नेटवर्क की पेशकश करता है।
ओपन नेटवर्क की अवधारणा रिटेल क्षेत्र से परे थोक, गतिशीलता, फूड डिलीवरी, लॉजिस्टिक, अर्बन सर्विस आदि सहित किसी भी डिजिटल कॉमर्स डोमेन तक फैली हुई है। यह प्लेटफॉर्म संभावित रूप से ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस के दिग्गजों की एकाधिकार को तोड़ेगा। यह न तो एक एग्रीगेटर एप्लीकेशन है और न ही एक होस्टिंग प्लेटफॉर्म है। सभी मौजूदा डिजिटल कॉमर्स एप्लिकेशन और प्लेटफ़ॉर्म स्वेच्छा से अपनाने और ओएनडीसी नेटवर्क का हिस्सा बनने का विकल्प चुन सकते हैं।
ओएनडीसी से छोटे बिजनस को ऐसे होगा फायदा
नई व्यवस्था में तमाम तरह के मार्केटप्लेस ओएनडीसी पर ही दिखाई देंगे। ऐसे में छोटे कारोबारियों को अलग से हर वेबसाइट पर जाकर खुद को रजिस्टर नहीं करना पड़ेगा। साथ ही ऑनबोर्डिंग और प्रोडक्ट कैटलॉगिंग जैसे काम ओपन सोर्स हो जाएंगे। ओपन-सोर्स कॉमर्स प्लेटफॉर्म स्थानीय व्यवसायों को सपोर्ट देता है। यानी की कोई ऑनलाइन खरीदार अपने आसपास ही दुकान का पता लगा सकता है। एक तरह से यह प्लेटफॉर्म व्यापार को बढ़ावा देने का काम करता है। इससे ग्राहकों के साथ सीधा जुड़ सकेंगे और एग्रिगेटर्स की वजह से आने वाली बाधा के चलते उनसे दूर नहीं होंगे। इस प्लेटफॉर्म के जरिए विक्रेता अपने कैटलॉग का विस्तार कर सकेंगे, लॉजिस्टिक समाधानों को उपयोग कर सकेंगे और साथ ही खरीदारों को अधिक विकल्प प्रदान कर सकेंगे। यह एक ओपन प्लेटफॉर्म है, इसलिए छोटे ब्रांड के पास अपने ब्रांड की मौजूदगी दर्ज करने का बेहतर अवसर है।
ओपेन नेटवर्क डिजिटल कॉमर्स से रिटेलर्स को कारोबार में लागत को कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही आपूर्ति लागत को कम करने की भूमिका काफी अहम होगी। ओपन नेटवर्क डिजिटल कॉमर्स का उद्देश्य आनलाइन प्लेटफार्म को सरल बनाना है जहां व्यापारी और ग्राहक छोटे से लेकर बड़ी चीज़ों को खरीद और बेंच सकें। सरकार की इस पहल के पीछे उन कंपनियों से टक्कर लेना है जो देश के रिटेल मार्केट पर अपना कब्जा जमा चुकी है। एक तरह से छोटी दुकानों को रिटेल मार्केट में अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है, क्योकि छोटे दुकानदार थोक के भाव में समान खरीदते है। वह किसी भी माध्यम से अपने सामान को बेचकर एक अच्छा लाभ कमाते है।
ओएनडीसी पर लिस्ट करने का फायदा
कंपनियों को हर ई-कॉमर्स वेबसाइट पर अपने प्रोडक्ट को लिस्ट कराने की जरूरत नहीं होगी। इसके साथ ही कंपनियां कम लागत में एक बड़े बाजार पर अपनी पकड़ बना सकती हैं। वहीं, ग्राहकों का शॉपिंग करने का अनुभव इससे बेहतर होगा।वे सभी प्रकार के उत्पाद एक ही जगह पर खरीद सकते हैं। देश की जानीमानी एफएमसीजी फर्म यूनिबिक और द गुड स्टफ एलयूवीएलटी, बिजकॉम सेलर ओएनडीसी सरकार के द्वारा उठाया एक कदम है, जिसमें सभी ग्राहकों और विक्रेताओं के लिए समान अवसर होंगे। ओएनडीसी के जरिए सरकार की कोशिश ई-कॉमर्स में होने वाले विकास का लाभ आम दुकानदारों तक पहुंचाना है।
ओएनडीसी की स्थापना कब हुई
ओएनडीसी, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) द्वारा स्थापित एक निजी गैर-लाभकारी कंपनी है। इसकी स्थापना अप्रैल 2022 में हुई थी। माइक्रोसॉफ्ट, पेटीएम, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और एक्सिस बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, फोन पे और अन्य कई कंपनियों ने इस परियोजना में निवेश किया है।