व्यवसाय विचार

कम बजट में भी शुरू कर सकते हैं 'प्ले-स्कूल', जानिए क्या हैं नियम

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk May 29, 2023 - 6 min read
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अगर आप कम बजट में कोई ऐसा व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, जिसमें आपको लाभ तो हो ही, समाज सेवा सी संतुष्टि भी हो तो अपने इलाके में अच्छी सी जगह देखकर छोटे बच्चों के लिए प्ले स्कूल शुरू कर दें। यकीन मानिए, छोटे-छोटे बच्चों के साथ आप जीवन के नए इंद्रधनुषी रंगों में सराबोर ही नहीं हो जाएंगे, इस व्यवसाय से अच्छा-खासा लाभ भी कमा सकेंगे।
शुरुआती पांच वर्षों में बच्चों की मनः स्थिति और उनकी सोच को एक ऐसा आकार दे दिया जाता है, जो आगे चलकर उनके जीवन को काफी हद तक प्रभावित करती है। अर्थात बच्चों का पूरा जीवन इस बात पर निर्भर करता है कि आखिर उनका बचपन कैसा बीता है। बचपन में उन्हें कैसे माहौल में रखा गया, क्या खिलाया-पिलाया गया, किस तरह की शिक्षा और सीख दी गई, यह सब बहुत महत्वपूर्ण है। उनके जीवन के शुरुआती कुछ साल काफी हद तक यह तय करते हैं कि उनका भविष्य कैसा होगा। ऐसे में बहुत जरूरी है कि बच्चों को इस खास उम्र में उचित शिक्षा प्राप्त हो। इसके लिए उन्हें प्री-स्कूल या कहें कि प्ले-स्कूल में भेजने की जरूरत है, जहां न केवल उनका ध्यान रखा जाए बल्कि कहानियों के माध्यम से उन्हें अच्छी सीख दी जा सके, उनके अंदर अच्छी सोच विकसित की जा सके ताकि बड़े होकर वे एक अच्छे नागरिक साबित हो सकें।

निवेशः अगर आप 4 से 6 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं तो ग्रामीण इलाकों में प्ले स्कूल या कहें कि प्री-स्कूल शुरू कर सकते हैं। वहीं, अगर आपके पास 5 से 7 लाख रुपये निवेश करने के लिए हैं तो अर्ध-ग्रामीण इलाकों में प्री-स्कूल शुरू कर सकते हैं और अगर आपके पास 6 से 10 लाख रुपये हैं तो आप आसानी से शहरी क्षेत्र में भी प्ले-स्कूल शुरू कर सकते हैं। इतने निवेश में आप स्कूल की बिल्डिंग की पेंटिंग करवा सकते हैं, बच्चों के लिए खेलकूद की सामग्रियां जुटा सकते हैं, फर्नीचर और कक्षाओं में पढ़ाने के लिए जरूरी सामान, खिलौने आदि खेल-कूद की सामग्रियां भी आसानी से जुटा सकते हैं।

स्थानः अगर आप छोटे बच्चों के लिए प्ले स्कूल शुरू करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपके पास 800 से 1500 वर्ग फीट का क्षेत्र होना चाहिए। यह रेजिडेंशियल या कमर्शियल, कोई भी क्षेत्र हो सकता है, लेकिन इसके लिए ग्राउंड फ्लोर बेहतर होगा। जरूरी है कि स्कूल की इमारत को चारदीवारी या बाड़ से पूरी तरह से सुरक्षित किया गया हो। वहां पर्याप्त सर्कुलेशन एरिया और वेंटिलेशन की व्यवस्था हो। बच्चों के लिए अलग से एक विश्राम कक्ष हो। स्कूल तक पहुंचने के लिए बाधा रहित पहुंच की व्यवस्था भी होनी चाहिए। लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग बाल-सुलभ और विकलांग-अनुकूल शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए। साबुन, साफ कपड़ा/तौलिया, कूड़ेदान और बच्चों की लंबाई का ध्यान रखते हुए वाॅश बेसिन/सिंक की व्यवस्था की जानी चाहिए। प्ले स्कूल में सभी बच्चों के लिए पीने योग्य सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल की सुविधा भी मुहैया होनी चाहिए। बच्चों के लिए एक पेंट्री की व्यवस्था होनी चाहिए। उनके खेलने के लिए खेल क्षेत्र होना चाहिए। सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था होनी चाहिए। स्कूल में अग्नि सुरक्षा उपाय किए गए होने चाहिए। आवधिक कीट नियंत्रण की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

प्री या प्ले स्कूल शुरू करने के लिए सरकारी अनुमति लेना अनिवार्य है। फिलहाल देश के सभी राज्यों में यह नियम लागू नहीं होते, लेकिन नए शैक्षणिक नियम 2020 के लागू होने के बाद से सभी राज्यों में बच्चों को स्कूल भेजने से पहले प्री-स्कूल भेजना अनिवार्य हो जाएगा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इसके बाद प्री या प्ले स्कूल शुरू करने के लिए सरकारी अनुमति लेना आवश्यक हो जाएगा।

सुरक्षा: प्री या प्ले स्कूल शुरू करने के समय शुरुआती दिनों में कम से कम दो शिक्षकों का होना अनिवार्य होगा, जो कम से कम ग्रेजुएट हों। हालांकि, अमूमन प्री या प्ले स्कूल में 10, 15 या 20 शिक्षक और इतने ही देखभाल करने वाले यानि केयरटेकर्स होते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वह प्ले स्कूल किस क्षेत्र में है और वहां कितनी फीस ली जा रही है? प्री या प्ले स्कूल छोटे बच्चों के लिए होता है, जिन्हें प्यार और उचित देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में सबसे जरूरी यह है कि स्कूल में स्वच्छता और हाइजीन का खास ध्यान रखा जाए। साथ ही वहां के केयरटेकर्स बच्चों के साथ दोस्ताना बर्ताव रखें और उनकी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें। 

पाठ्यक्रमः इसके बाद यह भी महत्वपूर्ण है कि पूरे साल में आप बच्चों को कब, क्या और कैसे पढ़ाएंगे, इसकी पूरी योजना पहले से ही तैयार कर ली जाए। बच्चों के लिए प्ले स्कूल में एक पुस्तकालय होना चाहिए, जहां शैक्षणिक ऑडियोविजुअल की व्यवस्था होनी चाहिए। इस बात का खास ध्यान रखा जाना चाहिए कि बच्चों को प्ले-स्कूल में नई-नई कहानियों के माध्यम से अच्छी-अच्छी सीख दी जाए। उन्हें खेल-खेल में ही ऐसी शिक्षा दी जाए, जिससे आगे चलकर वे देश के कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बन सकें। प्ले-स्कूल के माध्यम से बचपन से ही उनके अंदर ऐसी सीख डाली जानी चाहिए, जिससे वे सही और गलत की पहचान कर सकें। उन्हें गुड और बैड टच के बारे में भी जानकारी दे दी जानी चाहिए।
 
स्वास्थ्यः बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्री स्कूल में फर्स्ट ऐड बाॅक्स और मेडिसीन किट की व्यवस्था होनी चाहिए, जहां बैंडऐड्स/बैंडेजेज, काॅटन वूल और छोटी-मोटी चोट पर लगाई जाने वाली दवाईयां होनी चाहिए। ओआरएस पैकेट, कैंची, थर्मामीटर और एंटीसेप्टिक ऑइंटमेंट भी स्कूल के मेडिसीन किट में शामिल होना चाहिए। इन सबके अलावा प्री स्कूल को पंजीकृत चिकित्सकों द्वारा तिमाही स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था भी करनी चाहिए।
 
अन्य नियम व शर्तेंः आप चाहें तो इस व्यवसाय को फुल टाइम या पार्ट टाइम के लिए भी कर सकते हैं। आपके पास यह भी मौका है कि आप इसे पूर्णतः निजी तौर पर शुरू करें या फिर किसी समिति या संस्था के तौर पर। आप इसे फ्रेंचाइजी बिजनेस भी बना सकते हैं और खासतौर पर किसी एक जगह पर भी शुरू कर सकते हैं। यह प्राइवेट या पार्टनरशिप बिजनेस के तौर पर भी शुरू किया जा सकता है। यदि आप इसे पूरी तरह से लाभ को ध्यान में रखकर किये जाने वाले व्यवसाय के रूप में शुरू करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि इसे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप बनाएं। अगर आप इसे गैर लाभकारी संस्था के तौर पर शुरू करना चाहते हैं तो इसे कंपनी या कंपनीज एक्ट 2013 सेक्शन (6) के तहत ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर करवाएं। आपको यह भी बता दें कि देश के अलग-अलग राज्यों में फिलहाल प्री-स्कूल शुरू करने के लिए अलग-अलग नियम हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप प्ले-स्कूल शुरू करने से पहले उस खास राज्य के नियमों और शर्तों से संबंधित जानकारी विस्तारपूर्वक ले लें। इससे आप अपने व्यवसाय को शुरू करने से पहले किसी भी तरह की गलतियां करने से बचे रहेंगे।
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