कार्पेट का उपयोग घरो में होता है और इसकी बहुत ज्यादा मांग है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। भारत में बनाए गए लगभग 75 से 85 प्रतिशत कार्पेट 70 से ज्यादा देशों को निर्यात किए जाते हैं। कार्पेट का बिजनेस कई वर्षों से देश की अर्थव्यवस्था में हजारों करोड़ों डॉलर का योगदान देता आ रहा है। भारत में कार्पेट बनाने के प्रमुख क्षेत्र राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, जम्मू कश्मीर आदि हैं।
कार्पेट बनाने का व्यवसाय करके आप लाखों रूपये कमा सकते है। इस व्यवसाय ने गांव में रोजगार के अवस भी पैदा किये है। किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए बहुत सारी चीजों की जरुरत पड़ती है जैसे की स्टाफ, पैसा, मशीने आदि, लेकिन चीजों की जरुरत बिज़नेस के आकार पर निर्भर करती है क्योकि इस व्यवसाय को आप छोटे स्तर से भी शुरू कर सकते है।
अगर आप छोटे स्तर से शुरू करते है तो आपको ज्याद निवेश लगाने की जरूरत नही पढ़ती है। यही, बड़े स्तर से शुरू किया जाए तब आपको ज्यादा निवेश की जरूरत पड़ेगी जैसे की मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाना होगा, डाइंग प्लांट लगाना होगा आदि। इस सेक्टर की एमएसएमई कंपनीयों को सरकार भी मदद कर रही है। ऐसे व्यवसाय ने लाखों लोगों को रोजगार दिया है और उन्हे सशक्त बनाया है, ताकि वह अपने क्षेत्र में आगे बढ़ सके और बेरोजगारी से मुक्त हो सके।
आज के समय में कई एमएसएमई कंपनीयां ऐसे व्यवसाय को काफी समय से चला रही है और आज एक अच्छे मुकाम में पहुंची हुई है। सरस्वती ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरूआत राजस्थान के चूरू से शुरू हुई। यह कार्पेट बनाने का बिजनेस करती है। इसकी स्थापना बहुत वर्ष पहले 1978 में की गई थी।
सरस्वती ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और चेयरमैन महेश चौधरी ने अपने व्यवसाय के शुरूआती दौर के बारे में बतात हुए कहा हमारे इस व्यव्साय में आने का कोई विचार नही था। राजस्थान के चूरू में एक ट्रेनिंग सेंटर था जो यह सिखाता था की कार्पेट को कैसे बनाया जाए लेकिन जब हमे पता चला की ट्रेनिंग के बावजूद लोगों को रोजगार नहीं मिल रह है,तब हमने इस व्यवसाय में आने का फैसला किया। व्यवसाय की शुरूआत 2 लूम लगाकर लगभग 10 से 15 हजार रूपये में शुरू किया था, लेकिन आज उसका राजस्व 60 करोड़ है।
हमार खुद का सेटअप है जिसमें डाइंग प्लांट है और वूलन यार्न स्पिनिंग प्लांट है। कार्पेट की बुनाई राजस्थान के गावों में होती है। बुनाई का काम करीब 15 से 20 हजार लोग करते है। जब बुनाई हो जाती है फिर इसकी फिनिशिंग की जाती है, जो इन हाउस होती है। कार्पेट बनान में काफी समय लगता है 6 महिने भी लगते है, 12 महिने भी लगते है। इसे बनाने का समय इसके आकार पर निर्भर करता है। 300 से 400 स्क्योर फिट के कार्पेट 7 से 8 हजार के होते है। जितनी भारी क्वालिटी होती है या फिर आप कह सकते है जितना बड़ा कार्पेट बनेगा उतना ज्यादा समय लगेगा जैसे की 8/10 स्क्योर फीट का कार्पेट बनाने के लिए 5 महिने चाहिए।
सरस्वती ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड का मुख्यालय जयपुर मे है। बिकानेर में स्पिनिंग प्लांट है। राज्सथान और यूपी के मिरजापुर में ब्रांच है और जयपुर में डाईग प्लांट है। जब हमने 1986 में एक्सपोर्ट कंपनी खोली तो उस समय बहुत बढ़ी चुनौती थी। इसमें हमने 5 लाख रूपये लगाए थे जो डूब गए थे। फिर भी हमने हिम्मत रख कर उसे चालू रखा। उन्होंने कहा चुनौतियां तो समय समय पर आती है जिस तरह की स्थिती होती है उस तरह से मैनेज किया जाता है।
कार्पेट बनाने में किसी टेक्नोलॉजी का उपयोग नही किया गया है, इसे हाथ से बनाया जाता है। हम दूसरों से अलग इसलिए है, क्योकि हमारे यहा पूरा हैंडमेड काम होता है। जो बुनाई होती है उसे एक दम सही तरीके से किया जाता है। हमें बुनाई में करीब 35 वर्षों का अनुभव है। पूरा सेटअप इनहाउस होता है जो डाईग होती है वह कंसिस्टेंट चलती है उसमे कोई फर्क नही आता है। जो हामरे कॉम्पीटीटर है उनकी डाईग कंसिस्टेंट नही होती है और रिजेक्ट हो जाती है। हमार मटेरियल रिजेक्ट नही होता है क्योकि जो भी काम होता है वह इन हाउस होता है और उस पर हमारा पूरा कंट्रोल रहता है।
हमारे कार्पेट की सप्लाई पूरी दुनिया में होती है जैसे की यूएस, यूरोप, रूस अरब देशों में और जो पहले से ही मौजूद बॉयर्स है। हम नए बॉयर्स की खोज बड़े –बडे ईवेंट मे जा कर भी करते है। हमारी कंपनी एमएसएमई में रजिस्टर्ड है। कोविड के दौरान सरकार से हमे पूरा योगदान मिला और उन्होंने फाइनेंस उपलब्ध करा के हमारी पूरी सहायता की लोन के जरिये। हमारा जितना लोन था उसका 15 प्रतिशत हो गया। जैसे की 10 करोड़ का लोन था तो वह डेढ करोड़ का हो गया और 15 करोड़ का लोन था तो वह सवा दो करोड़ का हो गया।
एक बिजनेस को ऊपर पहुचाने में बहुत समय लगता है। अगर आप किसी व्यवसाय की शुरूआत कर रहे हैं तो आप में धैर्य होना बहुत ही जरूरी है। आज के युवाओं में धैर्य नही है वह सिर्फ कम समय में बिजनेस को ऊचाइयों तक पहुंचाने के बारे में सोचते है, उन्हे बस पैसा और बिजनेस चाहिए। आपको शुरूआत में कुछ चीजों को सिखना पढ़ेगा। अगर आप में सिखने की लगन और धैर्य है तो आपको आगे बढ़ने से कोई नही रोक सकता है।
सरस्वती को बुने हुए ऊनी कार्पेट के लिए हाईस्ट एक्सपोर्ट ऑफ द ईयर 1993-1994 से नवाजा गया जो की यह इसका पहला सम्मान पुरस्कार था। 1994-1997: सरस्वती एक्सपोर्ट्स ने लगातार 4 वर्षों तक "एक्पोर्ट परफॉर्मेस के लिए गोल्ड ट्रॉफी सर्टिफिकेट" प्राप्त करके अपने कॉम्पीटीटर को पछाड़ा। सरस्वती ग्लोबल को वर्ष 2014-15 के दौरान कार्पेट, दरी और लकड़ी के उत्पादों की श्रेणी में दर्ज किए गए उनके बेस्ट परफॉरमेंस की मान्यता के लिए राजस्थान एमएसएमई दिवस 2017 में निर्यात उत्कृष्टता के लिए राजस्थान राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सरस्वती को यह पुरस्कार राज्य में एमएसएमई उद्योगों की दुनिया में किए गए अपने मजबूत योगदान के कारण दिया गया था। तत्कालीन राज्य के उद्योग मंत्री राजपाल शेखावत ने कंपनी को अपने संबंधित क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए समावेशी विकास प्रदान करके उद्योग को सम्मानित किया।
सरस्वती ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड ने खुद को भारत के अग्रणी हस्तनिर्मित कार्पेट निर्माता के रूप में स्थापित किया है। हमारे कॉम्पीटीटर की तुलना में हमारे पास जो सबसे बड़ा लाभ है, वह यह है कि उत्पादन का हर पहलू (कच्चे माल के संग्रह से लेकर प्रसंस्करण और कताई तक, बुनाई से लेकर परिष्करण तक) एक ही छत के नीचे है, जिससे हमारे लिए अपने ग्राहकों को अच्छे क्वालिटी वाले आसनों को सुनिश्चित करना आसान हो जाता है।
निष्कर्ष
किसी भी व्यवसाय में फायदा होने में समय लगता है, जैसे जैसे लोग हमें जानने लगेंगे फायदा होगा ही होगा। भले ही थोड़ा देर से हो, लेकिन होगा जरूर। कार्पेट जैसी चीज तो हर घर में उपयोग होती है, तो ऐसे सामान का व्यापार करने में लाभ जल्दी मिलना शुरू हो जाता है, बस आपको धौर्य रखना होगा।