करियर के लिहाज से आज के दौर में महिलाओं के लिए कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रह गया है। महज कुछ साल पहले तक हमारे देश में मुश्किल से ही कोई महिला शेफ मिल पाती थीं। घर में महिलाएं भले ही सदियों से दिन-रात खाना पकाने का काम कर रही हों, लेकिन इसी काम को करियर के तौर पर चुनने के काबिल उन्हें नहीं माना जाता था। महिलाएं अगर शेफ बनना चाहतीं तो उन्हें सुनने को मिलता कि आपके लिए यह काम आसान नहीं होगा क्योंकि उसमें लंबे समय तक खड़े रहकर काम करना होता है।
हालांकि, करियर के तौर पर अन्य क्षेत्रों की तरह ‘कलनरी आर्ट्स’ में भी बेहतर करके महिलाओं ने खुद को साबित कर दिखाया। उन्होंने दिखा दिया कि ज़िद और जुनून हो तो महिलाएं भी हर काम अच्छे से कर सकती हैं। ऐसा ही एक नाम है- ओबेरॉय, हयात, द ताज़ और जेपी होटल्स में बतौर शेफ काम कर चुकीं जानी-मानी शेफ नीता नागराज का।
नई पीढ़ी को कमिटेड मानती हैं शेफ नागराज
नई दिल्ली स्थित पुलमैन होटल में 'फ्रैंचाइज़ इंडिया' द्वारा आयोजित '11वें इंडियन रेस्टोरेंट कांग्रेस 2022' इवेंट में पहुंचीं शेफ नीता नागराज ने इस क्षेत्र में करियर बनाने की तैयारी कर रहीं छात्राओं को अपने अनुभवों के आधार पर कुछ टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि आज के समय में अगर आप खुद की बेकरी शुरू करना चाहती हैं तो दो बातों का ध्यान रखना सबसे जरूरी है। पहला- प्रैक्टिस (अभ्यास) और दूसरा- मार्केटिंग।
नीता नागराज को देश की शुरुआती महिला शेफ में से एक कहा जा सकता है। आज से 40 साल पहले इन्होंने अपने इस सफ़र का आगाज़ किया था। कितने ही शेफ के लिए मेंटर या गॉडमदर रह चुकीं नागराज, अपने प्रोफेशन में नई पीढ़ी को पूरी तरह कमिटेड मानती हैं। वह कहती हैं कि नई पीढ़ी अपने पैशन के लिए काम करती है और उनकी यही बात उन्हें आगे ले जाती है, खासकर इस प्रोफेशन में तो ऐसा ही है।
फास्ट फूड का कंसेप्ट बदलना चाहती थीं शेफ आकृति
कुछ ऐसा ही कहना है, नई दिल्ली स्थित गॉरमेट बर्गर रेस्टोरेंट 'अकुज- द बर्गर कंपनी' की सह-संस्थापक और शेफ आकृति मल्होत्रा का। शेफ आकृति के लिए भी उनका यह सफर आसान नहीं रहा। दिल्ली यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन करने के बाद कुछ दिनों तक इन्होंने 'ईएंडवाई' के साथ काम किया लेकिन संतुष्ट नहीं हो पाईं। इन्हें हमेशा लगता कि यह उनका पैशन नहीं, उनका पैशन कलनरी आर्ट्स है। तब अपनी बड़ी बहन के साथ मिलकर इन्होंने दिल्ली में एक बेकरी शुरू की, जिसका नाम रखा- 'फोर द लव ऑफ़ केक' (एफएलओसी)।
आकृति उन दिनों को याद करते हुए कहती हैं, "केक मेकर्स के तौर पर लेडी शेफ का नाम सुनकर तब मुझे ग्राहकों की प्रतिक्रिया बहुत अच्छी नहीं मिल पाती थी। तब मुझे महसूस हुआ कि महिलाओं के लिए फिलहाल यह बिजनेस करना आसान नहीं है। तब साल 2018 में मैंने अपने भाई अंकित मल्होत्रा को इस बिजनेस से जोड़ा। भाई के साथ मिलकर नए नाम 'अकुज' और नए अंदाज के साथ अपनी कंपनी शुरू की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।"
आकृति ने इवेंट के दौरान बताया कि एफएलओसी के दिनों में दिल्ली के लिए वह सबसे ज्यादा कपकेक्स और केक्स बेक करती थीं, लेकिन फिर इन्हें कुछ कमी का एहसास हुआ। असल में वह अपने फूड के चटपटे और स्वादिष्ट साइड को ढूंढ़ना चाहती थीं, 'हॉट किचन' और 'पिज्जा सेक्शन' को बेहतर ढंग से समझना चाहती थीं। उन्होंने अपने दिल की आवाज़ सुनी और 'दीवा' की शेफ रितु डालमिया के साथ काम करने का निर्णय लिया। अब आकृति का मकसद शेफ डालमिया की नजरों से किचन को समझना और उसका अनुभव लेना था।
कुछ समय उनके साथ काम करने के बाद कलनरी आर्ट्स को और बेहतर ढंग से समझने के लिए आकृति न्यूयॉर्क स्थित 'दि कलनरी इंस्टीट्यूट ऑफ़ अमेरिका' चली गईं। अपनी कलनरी शिक्षा पूरी करने के बाद, आकृति शेफ डेनियल बोलुड के बैनर तले न्यूयॉर्क के ऊपरी भाग में स्थित 'मिशेलिन स्टार रेस्टोरेंट- डेनियल' में काम करने पहुंचीं। पूरी दुनिया कैसे खाती है... यहां उन्हें यह समझने का मौका मिला। देश लौटकर साल 2015 में एक बार फिर से वह 'दीवा' रेस्टोरेंट पहुंचीं और शेफ रितु के साथ काम किया।
महिलाएं बेहतर मल्टीटास्कर्स
इस दौरान आकृति को महसूस हुआ कि बहुत कम ऐसे रेस्टोरेंट्स हैं, जहां ग्राहकों के लिए अच्छी क्वालिटी का भोजन, जल्दी पकाया और परोसा जाता है। वह फास्ट फूड का कंसेप्ट बदलना चाहती थीं और न्यूयॉर्क स्टाइल का खाना नई दिल्ली तक लेकर आना चाहती थीं। वह एक फास्ट फूड रेस्टोरेंट खोलना चाहती थीं, लेकिन स्लो फूड रेस्तरां के गुणों के साथ। वह लोगों को बताना चाहती थीं कि ताजे और गॉरमेट फूड भी जल्दी सर्व किए जा सकते हैं, वह भी सही सामग्रियों के साथ।
साथ ही यह भी साबित करना चाहती थीं कि महिलाएं बेहतर मल्टीटास्कर्स हैं। इसी के बाद साल 2018 में आकृति ने अपने भाई अंकित मल्होत्रा के साथ मिलकर 'अकुज- द बर्गर कंपनी' की स्थापना की थी। कहना गलत न होगा कि अपनी ज़िद, जुनून और मेहनत के बल पर आखिरकार आकृति ने एक शेफ के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाबी हासिल कर ली।
कुछ ऐसा ही सफर रहा अमृतसर में अपना रेस्टोरेंट 'रूह रिसॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड' चला रहीं किरण ढिल्लों का। रूह रिसॉर्ट्स की को-ऑनर ढिल्लों ने इस इवेंट के दौरान बताया, "मैं फैशन इंडस्ट्री से आती हूं, लेकिन पंजाब के अमृतसर में मैंने अपना रेस्टोरेंट शुरू किया है। वहां महिलाएं हर तरह का काम कर रही हैं। वे शेफ भी हैं। मैं उनके लिए बहुत कुछ तो नहीं कर पाई, लेकिन अपने रेस्टोरेंट में काम देकर जितना भी कर पाई, वह मुझे खुशियां देता है।"
वह कहती हैं, "मैं मानती हूं कि महिलाएं किसी भी तरह का काम करने में सक्षम हैं। जो लोग उन्हें कमजोर बताते हैं और उनके लिए काम का एक दायरा फिक्स कर देते हैं, वे उन महिलाओं के साथ गलत करते हैं। उनकी काबिलियत को कम आंकते हैं, जिसे बिल्कुल भी सही नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोगों से मैं कहना चाहूंगी कि वे गांव जाकर महिलाओं को देखें। किस तरह वे जानवरों का ध्यान रखती हैं, खेतों में काम करती हैं और समय से घर के सारे काम भी निपटा लेती हैं।"
खाने की चीज़ों की खासियत है, उसकी मौलिकता
"मैं खुद किसान परिवार से हूं। बचपन से मैंने पिता को किसानी करते हुए देखा है और मां को खाना पकाते। पापा के साथ रहकर मैंने जाना कि खाने की किसी भी चीज की खासियत, उसकी मौलिकता है। किस माहौल में उसे उगाया गया है, किस तरह के पर्यावरण और मिट्टी में वह अन्न पैदा हुआ है, इस पर निर्भर करता है, उसका 'खास' होना। यही वह 'खास' बात है, जो किसी भी भोजन को न केवल स्वादिष्ट बनाता है बल्कि उसे हेल्दी भी रखता है। बड़े शहरों में ताज़ा और साफ हवा-पानी में पैदा किया गया अन्न मिल पाना मुश्किल होता है। यही वजह है कि मैंने अपना रेस्टोरेंट अमृतसर में खोला, जिसका नाम रखा- 'रंग पंजाब' यानी जहां पंजाब का रंग हो। यहां आप ऐसा खाना खा सकते हैं, जो आपको गांव से जोड़ता है, जिस खाने में आपको पंजाबी सभ्यता और संस्कृति की झलक भी मिलेगी।
कुशल शेफ के 10 अनिवार्य गुण
'फ्रैंचाइज़ इंडिया' के इस इवेंट में 'लीला पैलेस होटल्स एंड रिसॉर्ट्स' के जनरल मैनेजर शेफ माधव सहगल, 'प्लेट्स' की सह-संस्थापक व शेफ हनीषा सिंह और 'डीन विद अस' की पार्टनर व शेफ आकांक्षा डीन भी पहुंचीं थीं। जब इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने की तैयारी कर रही एक छात्रा ने मंच पर मौजूद सभी हस्तियों से पूछा कि इस क्षेत्र में खुद को स्थापित करने के लिए कौन-कौन से गुण होना अनिवार्य है। तो इन्होंने एक-एक करके जो बताया, वे हैं...