भारत में केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और नीतियां लागू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल वाहन अपनाने को प्रोत्साहित करना और देश में ईवी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है। केंद्र सरकार ने 15 मार्च, 2024 को वैश्विक ईवी निर्माताओं से निवेश आकर्षित करने और भारत को ई-वाहनों के लिए मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के रूप में बढ़ावा देने के लिए भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना को अधिसूचित किया।
1.फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (फेम-इंडिया योजना)
इस योजना का उद्देश्य हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देना है। इसके तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी दी जाती है, ताकि ये वाहन सस्ते हो सकें।
2.इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (ईएमपीएस 2024)
इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें सरकार चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी विकास पर जोर देगी।
3.प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव –ऑटोमोबाइल एंड ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री (पीएलआई-एएटी)
इस योजना का उद्देश्य ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। इससे नए और उन्नत तकनीक वाले वाहन और पार्ट्स बनाने में मदद मिलती है।
4. प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव – एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (पीएलआई-एसीसी)
इस योजना का उद्देश्य उन्नत बैटरी उत्पादन को बढ़ावा देना, ताकि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बेहतर बैटरी बनाई जा सके। इसके तहत उत्पादन पर सब्सिडी दी जाती है।
5. ईवी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना (2024)
इस योजना का उद्देश्य वैश्विक ईवी निर्माताओं को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित करना और देश को इलेक्ट्रिक वाहनों के मैन्युफैक्चरिंग का एक प्रमुख केंद्र बनाना। इसके तहत सरकार विभिन्न सुविधाएं और प्रोत्साहन देती है, जैसे कि करों में छूट और अन्य वित्तीय लाभ।
इन योजनाओं और नीतियों का मुख्य लक्ष्य है कि भारत में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन बनाए और उपयोग किए जाएं। इससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होगी बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
सरकार ने एक नई योजना लागू की है जिसके तहत इलेक्ट्रिक फोर-व्हीलर (ई-4W) बनाने वाली कंपनियों को कुछ खास सुविधाएं दी जाएंगी।
1. आयात की अनुमति: जिन कंपनियों का आवेदन स्वीकृत होगा, वे अपने द्वारा निर्मित ई-4W वाहनों के 8,000 यूनिट्स (सीबीयू - कंप्लीट बिल्ट यूनिट) को हर साल आयात कर सकती हैं।
2.मूल्य शर्त: इन वाहनों का न्यूनतम मूल्य 35,000 अमेरिकी डॉलर होना चाहिए। इसका मतलब है कि ये वाहन थोड़े महंगे होंगे, और ये शर्त इसलिए रखी गई है ताकि केवल उन्नत और उच्च गुणवत्ता वाले वाहन ही आयात हों।
3. सीमा शुल्क में छूट: सामान्यतः आयात किए गए वाहनों पर एक खास प्रतिशत का सीमा शुल्क (इम्पोर्ट ड्यूटी) लगाया जाता है। लेकिन, इस योजना के तहत इन वाहनों पर 15 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इसका मतलब है कि कंपनियों को कम शुल्क देना होगा, जिससे वाहन थोड़े सस्ते हो सकते हैं।
4.निवेश की शर्त: इन सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए, कंपनियों को भारत में कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करके ई-4W मैन्युफैक्चरिंग सुविधाएं (फैक्ट्रियाँ) स्थापित करनी होंगी। इस योजना का उद्देश्य यह है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को बढ़ावा दिया जाए और कंपनियों को प्रोत्साहन मिले कि वे भारत में उत्पादन करें और नए रोजगार सृजन करें। इसके अलावा, देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा निम्नलिखित पहल की गई हैं: -
इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जर/चार्जिंग स्टेशनों पर जीएसटी घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने घोषणा की है कि बैटरी से चलने वाले वाहनों को ग्रीन लाइसेंस प्लेट दी जाएगी और उन्हें परमिट आवश्यकताओं से छूट दी जाएगी। MoRTH ने राज्यों को ईवी पर रोड टैक्स माफ करने की सलाह देते हुए एक अधिसूचना जारी की, जिससे ईवी की शुरुआती लागत कम करने में मदद मिलेगी। यह जानकारी भारी उद्योग और इस्पात राज्य मंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने दी।