व्यवसाय विचार

कॉर्पोरेट वैलनेस प्रोग्राम (CWP) - फायदे और कानूनी जोखिम

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Oct 29, 2018 - 3 min read
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कॉर्पोरेट वैलनेस प्रोग्राम के फायदे सही रूप में पाने के लिए उससे जुड़ी कानूनी जोखिम को समझ लेना जरूरी है।

कॉर्पोरेट वैलनेस प्रोग्राम (CWP) या कंपनी के कर्मचारी कल्याण कार्यक्रम से कंपनी और कर्मचारी दोनों का फायदा होता है। कर्मचारियों को प्रोग्राम के जरिए स्वास्थ्य और खुशहाली से सम्बंधित कई तरह के प्रोडक्ट्स, सेवाएँ और प्रोत्साहन मिलते हैं, जिनसे उनके रूपयों की बचत होती है और हौसला बढ़ता है।

लेकिन CWP में निवेश के साथ अपने आप ही कुछ कानूनी जोखिम भी आते हैं। केंद्र ने भेदभाव के विरोध में कुछ कानून बनाए हैं, जिनके तहत कर्मचारियों की गोपनीयता की रक्षा करना जरूरी होता है। इस वजह से प्रोग्राम को लागू करने में कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं।

क्या होते हैं कॉर्पोरेट वैलनेस प्रोग्राम?

CWP के जरिए एक स्वास्थ्य-संस्कृति का निर्माण करते हुए कर्मचारियों की खुशहाली को महत्व देने वाले नजरिए को बढ़ावा दिया जाता है। अब तक चलते आ रहे कार्यक्रम से आगे बढ़ कर उनकी खुशहाली के लिए कदम उठाए जाते हैं, ताकि कर्मचारियों में एक स्वस्थ जीवनशैली विकसित हो और कंपनी को बेहतर नतीजे मिले।

इससे कर्मचारियों में जो निवेश किया जाता है, उससे ज्यादा फायदे मिलने में मदद होती है। कर्मचारियों की सहभागिता और उत्पादकता दोनों बढ़ती हैं।

फायदे

प्रोग्राम से व्यवसाय और कर्मचारी दोनों का फायदा होता है। कर्मचारियों को स्वस्थ रहने में और बीमारी तथा चोट आदि की जोखिम कम हो जाती है और उस वजह से कंपनी उनके हेल्थ इन्शुरन्स और अन्य स्वास्थ्य-सेवाओं पर हो रहे खर्च में काफी बचत कर पाती है। कई कंपनियों का मानना है कि कार्यक्रम मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों को कई फायदे पहुंचाते हुए उनके टोटल एम्प्लॉई पैकेज की उपयोगिता बढ़ाते हैं। इससे कर्मचारियों की कंपनी के प्रति वफादारी बढ़ती है, जिससे उसे बाजार में एक कदम आगे रहने में मदद मिलती है।

कानून

CWP के साथ कंपनी के लिए कुछ जोखिम भी आ जाते हैं। कंपनी की जवाबदेही कम करने के लिए उन्हें समझना बहुत जरूरी है। कंपनी CWP के जरिए कर्मचारियों के स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए कुछ ठोस कदम उठाती है, ये एक अच्छी बात है। मगर उसका सीधा असर कर्मचारियों की समानता और उनकी गोपनीयता पर पड़ सकता है। कंपनी के कल्याण कार्यक्रम में कर्मचारियों के हित के जितने मुद्दों का जितना ज्यादा विचार किया जाएगा, उतना ही कानून की उलझन में फंस जाने का खतरा ज्यादा होगा। इसीलिए उसकी रूपरेखा बनाते हुए सभी कानूनी पहलुओं का अच्छी तरह सोच-विचार करना चाहिए।

कॉर्पोरेट वैलनेस प्रोग्राम्स पर लागू केंद्र के मूलभूत कानून यहां दिए जा रहे हैं:

जेनेटिक इनफार्मेशन नॉनडिस्क्रिमिनेशन एक्ट (GINA)

GINA के तहत कर्मचारी ने अपने से संबंधित आनुवांशिक जानकारी जैसे पारिवारिक इतिहास, कंपनी को देना जरूरी नहीं हैं।

दी अफोर्डेबल केयर एक्ट (ACA)

इसके तहत कॉर्पोरेट कुल स्वास्थ्य राशि के 30 प्रतिशत से ज्यादा रकम वैलनेस प्रोग्राम्स के फायदों पर खर्च नहीं की जा सकती।

दी हेल्थ इन्शुरन्स पोर्टेबिलिटी एंड एकाउंटेबिलिटी एक्ट (HIPAA)

ये कानून कर्मचारियों की निजी जानकारी जमा करने और उसे किस तरह इस्तेमाल किया जाने वाला है, ये तय करने से संबंधित है। कंपनी प्रोग्राम के तहत किस तरह की जानकारी जमा कर सकती है और उसका उपयोग कैसे कर सकती है, ये इस कानून के तहत नियंत्रित किया जाता है। 

एम्प्लॉयमेंट रिटायरमेंट इनकम सिक्योरिटी एक्ट (ERISA)

ERISA के अनुसार कंपनी को अपने कर्मचारियों से उनके स्वास्थ्य की हालत को लेकर भेदभाव करने से मना किया गया है। हालाँकि ERISA के तहत कंपनी कर्मचारी के स्वास्थ्य के कुछ मुद्दों को लेकर वैलनेस सर्विसेज पर एक हद तक छूट दे सकती है। 

भारत में कॉर्पोरेट वैलनेस प्रोग्राम्स के मूल हेतु और उसे जिस तरह उसे लागू किया जाता है, इन दोनों के बीच बहुत चिंताजनक अंतर पाया जाता है। हाल ही के एक अध्ययन में पाया गया है कि जागरूकता और सुधार की इच्छा, इन दोनों के अभाव में कल्याण कार्यक्रम उतने असरकारक नहीं हो पाते, जितना उन्हें होना चाहिए।

इसीलिए भारत में अब तक कॉर्पोरेट वैलनेस प्रोग्राम के फायदे सही मायने में देखे नहीं गए हैं।

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