व्यवसाय विचार

खाद्य ट्रक फ्रेंचाइजिंग शुरू करने के लिए बड़े ब्रांड्स को क्याचीज़ प्रेरित कर रही है?

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Aug 31, 2018 - 3 min read
खाद्य ट्रक फ्रेंचाइजिंग शुरू करने के लिए बड़े ब्रांड्स को क्याचीज़ प्रेरित कर रही है? image
पिछले कुछ सालों में भारत में खाद्य उद्योग ने जबरदस्त विकास किया है जिसमें से बहुत कुछ को सीधे सांस्कृतिक सम्मिश्रण से जोड़ा जा सकता है।

विदेशी ब्रांड्स न केवल भारतीय बाज़ार मेंतेज़ीसेप्रवेशकररहेहैं बल्कि वह भारतीय स्वाद के साथ एकरूप होने को भी तैयार है। घरेलू ब्रांड भी तेज़ी से उभर रहे हैं और खाद्य बाज़ार को बढ़ावा देने वाले अवसरों और व्यवसायों का फायदा उठा रहे हैं।

आइए पता लगाते हैं कि वह क्या है जो ज्यादा से ज्यादा ब्रांड्स को खाद्य ट्रक खोलने और परोसने की नई शैली को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है।

जगह की परेशानी

शॉनकेनवर्दी, एक सेलिब्रिटी शेफ, रेस्तरां व्यवस्थापक, सलाहकार, खाद्य और यात्रा लेखकजिन्होंने हाल ही में वर्ल्डआइकोनिकब्रांड्स (डब्ल्यू.आई.बी., फ्रेंचाइजी इंडिया के अंतर्राष्ट्रीय एफ एंड बी वर्टिकल) में पाक निदेशक का पद संभाला है, कहते हैं, ‘विदेशी खाद्य ब्रांड्स का भारतीय बाज़ार में प्रवेश करने का एक कारण भारत की बढ़ती आबादी है।’

रियाज़ अमलानी, एन.आर.ए.आई. के अध्यक्ष और इम्प्रेसेरियो एंटरटेनमेंट के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालन अधिकारी, ‘दिल्ली में खुली जगह के रेस्तरां, सड़कों पर ज्यादा खाद्य ट्रक्स और पर्यटक केन्द्रों की जरूरत है जो खाने और मनोरंजन के साथ पर्यटकों को आकर्षित कर सके।’ 

आसान फ्रेंचाइजिंग

बड़े रेस्तरां या ब्रांड्स द्वितीय और तृतीय श्रेणी या प्रथम श्रेणी के शहरों के हर कोने और गली में अपनी फ्रेंचाइजी नहीं खोल सकते और इसकी वजह से खाद्य ट्रक खोलना आसान होता है जो उनके विशिष्ट स्वाद को देश की हर गली में ले जा सके।

इसके अतिरिक्त यह ब्रांड को आसानी और सुगमता से फैलाने में मदद करता है जैसे कि ‘द ललित’ ने दिल्ली, मुंबई और बैंगलुरू में ललित ट्रक शुरू किया है ताकि वह अपने ग्राहकों तक अपना विशिष्ट स्वाद पहुंचासके।

सौरभ खनीजो, कायलिन रेस्तरां श्रंखला के प्रबंध निदेशक महसूस करते हैं कि यह संकल्पना बहुत ही ‘फलोत्पदक है और इसमें मापनीयता है’।

खनीजो कहते है, ‘यह ब्रांड्स को उनके उत्पादों को उत्तम तरीके से प्रदर्शित करने का मौका देता है, क्योंकि खाद्य ट्रक की भौगोलिक सीमा नहीं होती तो उन्हें कहीं भी भेजा जा सकता है। ब्रांड्स एक रेस्तरां और खाद्य ट्रक स्थापित करने के अंतर को आसानी से देख सकते हैं। यह अवधारणा अपरंपरागत है और रेस्तरां की तुलना में ज्यादा अच्छी। यह नए ग्राहकों के सामने खुद को पेश करने का अच्छा तरीका है।’

सामाजिक मीडिया का प्रभाव

शिकागो से आए कोलकाता वेंचर्स के प्रबंध निदेशक अवेला रॉयकहते हैं कि शिकागो में सारे रेस्तरां के पास उनके खाद्य ट्रक है और उनके पास जी.पी.एस. जैसी उच्च तकनीक नहीं है।’

रॉयकहते है, ‘वह ट्विटर पर जाते हैं और उस दिन के समय, जगह और उत्पादों के विषय में विवरण डालते हैं। उनको फॉलोकरने वाले या उनमें दिलचस्पी रखने वाले लोग उस जगह पर पहुंच कर खाद्य ट्रक के बाहर इंतजार करते हैं। कुछ लोग होते हैं जो रेस्तरां में जाना पसंद नहीं करते इसलिए रेस्तरां उन तक आ जाते हैं।’

खाद्य ट्रक की शुरूआत के बारे में बात करते हुए रॉयकहते हैं कि सबसे पहले मेक्सिकन लोगों ने इसकी शुरूआत की थी क्योंकि उनके पास रेस्तरां स्थापित करने के लिए धन नहीं था। रेस्तरां व्यवस्थापकों ने बढ़ती आय के अवसर देखें।

‘तो अब एल.ए., शिकागो, न्यु ओरलिअंस, मियामी में ....... संयुक्त अमेरिका के हर राज्य के हर प्रमुख रेस्तरां का खाद्य ट्रक से जुड़ा बहुत बड़ा व्यवसाय है।’ रॉय कहते हैं, ‘और यह सब सामाजिक मीडिया द्वारा संचालित होता है, खाद्य ट्रक, उत्पाद स्वयं बातचीत करते हैं।’

रॉय आगे कहते है, ‘हर वह उद्यमी जो व्यवसाय में नया है, उसके पास पुराना खाद्य ट्रक खरीदने का अवसर है और बस सामाजिक मीडिया में जाने की जरूरत है। और जल्दी ही उन्हें ढेर सारे सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलने लगेंगी।’

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