बीस वर्षीय पी.वी. संधु ने शुद्ध साहस और दृढ़ता का परिचय दिया जब उन्होंने रियो ओलम्पिक्स 2016 में बैडमिंटन में भारत के लिए रजत पदक जीता था। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि वह जिस खेल अकादमी से है, वहाँ पर प्रवेश के लिए नाम दर्ज कराने के लिए लगातार फोन आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार द गोपीचन्द बैडमिंटन अकादमी, जहाँ से सिंधु और सायना नेहवाल जैसे असाधारण खिलाड़ी निकले हैं, ओवरबुक्ड हैं। ऐसी परिस्थिति में क्या ऐसी और अकदमियाँ हैं जो भारत में खेल बाजार में इन विपुल अवसरों का फायदा उठा रही हैं ?
वैश्विक खेल क्षेत्र 480-620 बिलियन अमरीकी डॉलर का होने का अनुमान है। 2013 में भारत का रूपये 43.7 बिलियन का खेल उद्योग विस्तृत रूप से विकसित होते हुए 2015 में रूपये 48 बिलियन (713 मिलियन अमरीकी डॉलर) का हो गया जो मुख्यतः नई खेल प्रतियोगिताओं के उद्भव के कारण हुआ है। साथ ही, भारत एक-खेल खेलने वाले देश से आगे बढ़कर अब विभिन्न खेल खेलने वाला देश हो गया है और यहाँ पर व्यापार में अप्रत्याशित उछाल आया है, जिसका फायदा आने वाले सालों में खेल व्यवसाय को भी होगा।
भारत में माता-पिता अब अपने बच्चों का खेल कोचिंग संस्थान में दाखिला करा रहे हैं, ताकि उनके समग्र स्वास्थ्य का विकास हो सकें। इस तरह के बहुत से संस्थान, मौजूदा या सेवानिवृत्त खिलाड़ियों द्वारा चलाए जा रहे हैं जो खेल के विषय में अपने ज्ञान को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना चाहते हैं। इन अकादमियों के खिलाड़ी बहुत बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीत रहे हैं। इसलिए यह बिल्कूल उपयुक्त समय है कि जब उद्योग इस अवसर की ओर ध्यान दे और भारत की सर्वश्रेष्ठ खेल अकादमियों से सबक लें। अगर आप खुद की खेल अकादमी खोलना चाहते हैं, तो इन अकादमियों से सबक ले सकते हैं:
गोपीचन्द बैडमिंटन अकादमी
यह अकादमी अपनी खिलाड़ी पी.वी. सिंधु के रियो ओलिम्पिक्स 2016 में रजत पदक जीतने की वजह से खबरों में है। इसकी स्थापना ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियन पुलेला गोपीचंद द्वारा 2001 में हैदराबाद में की गई थी। यहाँ पर सायना नेहवाल, परूपल्ली कश्यप, पी.वी. सिंधु, अरूंधती पंतावने, गुरू साई दत्त और अरूण विष्णु जैसे खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया गया है। वर्तमान में, यह अकादमी कई सालों के लिए ओवरबुक हो चुकी है।
2.5 मिलियन अमरीकी डॉलर की इस बैडमिंटन अकादमी में आठ कोर्ट, एक तरणताल, वजन प्रशिक्षण कमरा, कैफेटेरिया और सोने के कमरे हैं। इस अकादमी का निर्माण प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी की तर्ज पर किया गया था, जिसके प्रमुख प्रकाश पादुकोण है। हैदराबाद स्थित आर्वी कंसल्टेंट्स द्वारा इसका वास्तुशिल्प डिजाइन किया गया था। कोर्ट्स में लकड़ी की फर्श को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाया गया था। इसके अलावा भौतिक चिकित्सा, भोजन और आहार योजनाएं भी उपलब्ध है। 2009 का भारतीय ओपन यही पर खेला गया था और 2009 की बी.डब्ल्यू.एफ. प्रतियोगिता में इसका प्रशिक्षण स्थल के रूप में उपयोग किया गया था।
प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी
प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी को 1994 में प्रकाश पादुकोण, विमल कुमार और विवेक कुमार ने शुरू किया था। बैंगलोर स्थित इस अकादमी में युवा खिलाड़ियों को उच्च कोटि का प्रशिक्षण और कोचिंग प्रदान की जाती है। इन युवा खिलाड़ियों को योग्यता के आधार पर चुना जाता है और इन्हें छात्रवृत्ति के आधार पर प्रशिक्षण और सुविधाएं प्रदान की जाती है। कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों का प्रशिक्षण यहाँ पर हुआ है।
भाइचुंग भुटिया फुटबॉल स्कूल्स
भाइचुंग भुटिया फुटबॉल स्कूल्स, भुतपूर्व भारतीय कप्तान भाइचुंग भाटिया और फुटबॉल बाय कार्लोस क्यूरोज़ (एफ.बी.सी.क्यू) द्वारा शुरू की गयी एक पहल है। पुर्तगाल प्रशिक्षकों की सहायता से बी.बी.एफ.सी. में 5 से 15 वर्ष के बच्चों का फुटबॉल कौशल का परिमार्जन करने के लिए मार्गदर्शन दिया जाता है। इस विद्यालय में नामांकित छात्रों में से लगभग 20-30 प्रतिशत बच्चे समाज के वंचित वर्गों में से आते हैं।
मैरीकॉम बॉक्सिंग अकादमी
5-बार विश्व चैंपियन मैरीकॉम ने इम्फाल में एक मुक्केबाजी अकादमी स्थापित की है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। कई और मेरीकॉम्स बनाने के सपने के साथ वह मुक्केबाजी अकादमी में आधारभूत संरचना उपलब्ध कराने की योजना बना रही है जिसमें पुरूषों और महिलाओं के अलग-अलग छात्रावास, मुक्केबाजी रिंग्स, मुफ्त भोजन, ट्रैकसुट्स आदि शामिल हैं। केंद्रीय सरकार द्वारा भूमि उपलब्ध कराई गई है और वहाँ पर निर्माण कार्य जारी है। अकादमी में उत्कृष्ट सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए वह क्राउडफंडिंग के तरीके से धन जुटा रही है।
भिवानी बॉक्सिंग क्लब
भारतीय खेल प्राधिकरण और भुतपूर्व भारतीय मुक्केबाज जगदीश सिंह द्वारा भिवानी बॉक्सिंग क्लब की शुरूआत की गई थी। एशियन खेलों में दो बार के स्वर्ण पदक विजेता, 11-बार राष्ट्रीय चैंपियन हवा सिंह द्वारा इसे स्थापित किया गया था। 2008 के बीजिंग ओलिम्पिक्स में प्रतिनिधित्व करने वाले पाँच में से चार मुक्केबाज इसी मुक्केबाजी क्लब के थे। जितेन्द्र कुमार और अखिल कुमार क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे और विजेन्दर सिंह ने देश के लिए कांस्य पदक जीता था। बड़ी मात्रा में मुक्केबाज देने के कारण भिवानी को भारत में लिटिल क्यूबा के नाम से जाना जाता है।
नेताजी सुभाष राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान
यह एशिया का सबसे बड़ा खेल संस्थान है और पटियाला में स्थित है। इस संस्थान को भारतीय खेल के ‘मक्का’ के नाम से जाना जाता है और यहाँ से कई अनुकरणीय प्रशिक्षक निकले हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में विभिन्न टीम्स को सहयोग दिया है। खेल प्रशिक्षण सुविधाओं में व्यायामशाला, तरणताल, आंतरिक हॉल, साइकिल चलाने के लिए वेलोड्रोम, स्क्वैश कोर्ट, कंडिशनिंग इकाइयाँ, हॉकी का मैदान (घास और सिंथेटिक), एथलेटिक ट्रेक (सिंडर और सिंथेटिक) और बाह्य कोर्ट। खिलाड़ियों के स्वास्थ्य लाभ के लिए सौना स्नान, भाप स्नान और जलोपचार सुविधाएं भी उपलब्ध है।
भारतीय खेल प्राधिकरण
युवा कार्य और खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 1984 में भारतीय खेल प्राधिकरण बनाया गया था। इसके सात क्षेत्रीय केंद्र है जो बैंगलोर, भोपाल, गांधीनगर, कोलकाता, सोनीपत, दिल्ली, मुंबई और इम्फाल में स्थित है और गुवाहाटी और औरंगाबाद में दो उप-केंद्र है। भारतीय खेल प्राधिकरण के दो शैक्षिक खंड है जो शारीरिक चिकित्सा, खेल और खेल चिकित्सा में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं - प्रशिक्षकों के लिए नेताजी सुभाष राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान, पटियाला और दूसरा लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय, थिरूवनंतपुरम।
महेश भूपति टेनिस अकादमी (एम.बी.टी.ए.)
प्रसिद्ध खिलाड़ी महेश भूपति, जिन्होंने युगल खिलाड़ी के रूप में दुनिया भर में कई प्रतियोगिताएं जीती है। अपनी पूरी निपुणता का उपयोग करते हुए बच्चों और वयस्कों को टेनिस की बारीकियाँ समझाते हैं। एम.बी.टी.ए. ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चे अपने जीवन की शुरूआत में ही टेनिस के बारे में जाने, विद्यालयीन टेनिस कार्यक्रम शुरू किया था। एम.बी.टी.ए. का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करते हुए टेनिस की पहुंच बढ़ाने का था कि सभी सामाजिक-आर्थिक समूह के लोगों को खेल का अनुभव लेने का अवसर मिले। भारत भर में इसके 35 केंद्र है, जिनमें 8000 बच्चें प्रशिक्षण लेते हैं।
गन फॉर ग्लोरी शूटिंग अकादमी
पुणे में स्थिति गन फॉर ग्लोरी को गगन नारंग और पवन सिंह ने शूटिंग में भारत के लिए संभावित पदक विजेताओं की पहचान करने के लिए शुरू किया था। इस भवन में विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना प्रदान की जाती है और एथलेटिक्स के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के लिए यहाँ विभिन्न टीम्स है। यह अकादमी विदेशी प्रशिक्षको, विदेशी ग्रिप मेकर, खेल चोट प्रबंधन टीम, भौतिक चिकित्सक, योग गुरू, आहार विशेषज्ञ, मालिश करने वाला, बंदूक परीक्षण सुविधा, एस.सी.ए.टी.टी. का उपयोग, वीडियो विश्लेषक, उपकरण नियंत्रण और मनोवैज्ञानिक के समूह को एक साथ लेकर आई है।
टाटा फुटबॉल अकादमी
कदाचित यह भारत की सर्वश्रेष्ठ अकादमी है। टाटा फुटबॉल अकादमी का उद्देश्य, राष्ट्रीय फुटबॉल की मुख्यधारा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित और उन्मुख फुटबॉलर्स का समूह निरंतर प्रदान करना है। रणनीति सरल है - ‘उन्हें अल्पायु में ही पकड़ ले’ और आधुनिक तकनीकों, कार्यनीतियों, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक अनुकूलन और संबंधित इनपुट्स के साथ प्रशिक्षण के मामले में उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रदान करें।
क्रिकेट इंडिया अकादमी
क्रिकेट इंडिया अकादमी, अच्छी तरह से परिभाषित और प्रगतिशील योजना के साथ एकीकृत क्रिकेट विकास कार्यक्रम और विशेष क्रिकेट मार्ग प्रदान करता है। जैसे-जैसे बच्चा शैक्षणिक स्तर पर आगे बढ़ता है, उसके क्रिकेट विकास को भी समानांतर प्रगति करनी चाहिए। मजेदार और संशोधित खेलों के माध्यम से क्रिकेट की मूल बातें सीखने से अपने शैक्षणिक विकास के साथ अनुक्रमिक कोचिंग कार्यक्रमों में अपनी क्रिकेट क्षमता का विकास करते हुए बच्चे को क्रिकेट विकास यात्रा में सफर करने का अवसर मिलना चाहिए। गुणवत्तापूर्ण क्रिकेट कोचिंग के अलावा प्रतियोगिता की तैयारी और खेल प्रदर्शन को भी महत्व दिया जाता है।
तो फिर एक खेल अकादमी खोलना लाभप्रद लेकिन चुनौतीपूर्ण व्यवसाय हो सकता है। भले ही आप वहीं कर रहे हैं जिसे आप प्यार करते हैं लेकिन फिर भी यह व्यवसाय है। कुल मिलाकर, भारतीय अर्थव्यवस्था में अगली प्रमुख चीज होने के साथ ही भारत में खेल उद्योग के लिए जबरदस्त व्यावसायिक संभावना है।