वो दिन अब नहीं रहे, जब कक्षा में शिक्षा का मतलब किताबें पढ़ना, शिक्षकों का चीजें समझाने के लिए ब्लैकबोर्ड पर लिखना और छात्रों का नोट्स लिखना, इन्हीं चीजों तक सीमित था। टेक्नॉलॉजी यानी सिर्फ ऑनलाइन गेम्स खेलना और एनिमेटेड वीडियोज देखना नहीं है। शिक्षा प्रभावी करने के लिए बच्चे, पालक और शिक्षक टेक्नोलॉजी किस तरह इस्तेमाल करते हैं, इस बात पर उसके फायदे निर्भर करते हैं। जब टेक्नोलॉजी शैक्षिक उद्देश्यों के लिए अच्छी तरह इस्तेमाल की जाती है, तब शिक्षा का अनुभव ज्यादा असरदार होने में मदद मिलती है और छात्र उसमें ज्यादा शामिल होते हैं। आज सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में PPT’s, वीडियो प्रेजेंटेशन्स, ई-लर्निंग तरीके, ऑनलाइन प्रशिक्षण और अन्य डिजिटल पद्धतियों के इस्तेमाल को महत्व दिया जा रहा है। इस वजह से कक्षा में सिखाना ज्यादा संवादात्मक (इन्टरेक्टिव) होती जा रही है। बच्चों को बुनियादी (बेसिक), चुनौती (चैलेंजर) और तेजतर्रार (एक्सलरेटर) ऐसे तीन स्तरों पर सिखाना चाहिए। उन्हें गेम्स खेलने के बजाय ज्ञान पाने के लिए इंटरनेट का उपयोग करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए। इन दिनों ऑनलाइन के जरिए बच्चे निजी तौर पर कई बातें सीख सकते हैं। उन्हें ऑनलाइन खतरों से बचते हुए अपनी शिक्षा, समझ और हुनर विकसित करते रहना चाहिए।
डिजिटल साक्षरता के जरिए बच्चे अपने आसपास की दुनिया से बातचीत करने के लिए टेक्नोलॉजी का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करना सीख सकते हैं। साथ ही उससे उन्हें उनके लिए फायदेमंद ज्ञान के नए क्षेत्रों की जानकारी भी मिल सकती है। इसके अलावा ऐसी कई ऑनलाइन प्रतियोगिताएं होती हैं, जो बच्चों के लिए ज्ञान पाने के लिए बेहतरीन मंच होती हैं। उनमें वे सहभागी भी हो सकते हैं और बौद्धिक रूप से काफी सीख भी सकते हैं। बच्चे का जिंदगी में अहम बदलाव लाने में डिजिटल शिक्षा से कई फायदे होते हैं, जैसे मोटर स्किल्स, निर्णय क्षमता, विजुअल लर्निंग, सांस्कृतिक जागरूकता, बेहतर शैक्षिक गुणवत्ता और नई चीजों की खोज। ये सब शिक्षा को इंटरेक्टिव बनाते हैं।
इंटरनेट प्रोग्राम्स सीखते वक्त बच्चे डिजिटल विश्व को अच्छी तरह समझकर नया कुछ कर पाते हैं। आजकल के बच्चे टेक्नोलॉजी आधारित समाज में जन्मे हैं और बहुत कम उम्र में ही इंटरनेट के आदि हो चुके हैं। पालक होने के नाते, ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनसे इंटरनेट के फायदे-नुकसान के बारे में बताएं, उन्हें इंटरनेट की सुरक्षित आदतें सिखाएं और उन्हें सब कुछ सुरक्षित तरीके से करने की तालीम दें। इन दिनों ऑनलाइन लेसंस होते हैं, जहां बच्चे निजी तौर पर कई चीजें सीख सकते हैं। इसके अलावा कोडिंग भी बच्चों में टेक्नोलॉजी की जादू साबित हो रही है। आज के छात्र जो सीखना चाहते हैं, उससे संबंधित टेक्स्ट सोर्स, विडिओज, पॉड कास्ट्स और प्रेजेंटेशन्स इंटरनेट के द्वारा रिसर्च करके ढूंढ़ निकालना जानते हैं। स्कूलों ने छात्र और शिक्षकों के लिए कक्षाएं इंटरनेट से जोड़नी चाहिए, उनके पास जानकारी तथा सिखाने और सीखने के रिसोर्सेज की आसान और सस्ती उपलब्धता होनी चाहिए।
सीखना बुनियादी तौर से एक सामाजिक गतिविधि है। इसीलिए बच्चों को ऑनलाइन नेटवर्क से जुड़ने से रोकने के बजाय हमने उन्हें सुरक्षा के साथ सीखने के लिए प्रोत्सहित करना चाहिए। डिजिटल शिक्षा अब हमारे जीवन का एक अंग बन चुकी है। अगर हम डिजिटल लर्निंग चाहते हैं, तो हमें अपने स्कूलों और शिक्षकों को उचित रूप से इंटरनेट संसाधनों के साथ तैयार करना जरूरी है।
ये लेख क्लोनफ्यूचरा की CEO और सह-संस्थापिका सुश्री विदुषी डागा द्वारा लिखित है।