शिक्षा की दुनिया में अपना मुकाम बनाने में सफल रहे दि बिग लीग और एडमिटकार्ड के सह-संस्थापक पीयूष भारतीय और इट्सक्रेेडिबल, एडुलाॅकर और क्रेडुलाॅकर के संस्थापक मुकेश शर्मा सरकार की नई-नई पाॅलिसी के बारे में क्या कहते हैं, आइए जानते हैं...
ओआई : स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार प्रयासरत है। उसका कहना है कि जो भी संस्थान इसे बढ़ावा देने के लिए अपने पाठ्यक्रम में इसे शामिल करेंगे, उन्हें रैंकिंग में भी इसका लाभ दिया जाएगा। स्कूल, काॅलेज और यूनिवर्सिटीज में कौशल विकास को लेकर कौन-कौन से काम किए जा सकते हैं?
पीयूष भारतीय : यूनिवर्सिटीज और काॅलेज का पाठ्यक्रम अपडेट करना बहुत जरूरी है। यह भी जरूरी है कि उद्योगों के साथ वे लगातार संपर्क में रहें और उनसे जुड़े रहें। किसी भी यूनिवर्सिटी के लिए यह सब कर पाना थोड़ा कठिन हो सकता है, लेकिन बहुत सारी एडटेक कंपनियां ऐसी हैं, जो यह प्रयास कर रही हैं कि कैसे बच्चों को इंडस्ट्री रेडी यानी उद्योगों के साथ काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार बनाया जाए। उद्योगोें के साथ जुड़कर यूनिवर्सिटीज आसानी से अपने पाठ्यक्रम को बेहतर बना सकते हैं और अपने यहां बेहतर परफाॅर्म करने वाले छात्र तैयार कर सकते हैं, जो नौकरी के लिए पूरी तरह से तैयार हों।
मुकेश शर्मा : मैं मानता हूं कि बचपन से ही छात्रों का कौशल बढ़ाने के लिए स्कूलों को प्रयास करने चाहिए। बच्चों में आत्मविश्वास भरना चाहिए, ताकि वे बचपन से ही अपने भविष्य को लेकर तैयार हो सकें। बचपन से ही उन्हें सिखाना चाहिए कि अलग-अलग उद्योगों में बेहतर परफाॅर्म करने के लिए कौन-कौन सी बातें जानना जरूरी है। इससे न केवल उनका दिमाग तेज होगा बल्कि हर परिस्थिति के अनुसार खुद को ढालने में वे सक्षम बनेंगे, जो भविष्य में उन्हें काफी मदद करेगा।
ओआई : नीति आयोग ने विकसित भारत का रोडमैप तैयार किया है। उसमें कहा गया है कि बच्चे ऑनलाइन या ऑफलाइन जैसे भी पढ़ना चाहते हों, पढ़ सकते हैं। यह पूरी तरह से उनकी पसंद पर निर्भर होगा। यह भी कहा गया है कि छात्र स्कूल में फेल नहीं होंगे। इन सब पर आप क्या कहना चाहेंगे?
पीयूष भारतीय : अगर हम ज्यादा से ज्यादा बच्चों को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं और शिक्षा को उनकी पहुंच में बनाना चाहते हैं तो हमें हाइब्रिड माॅडल (ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों ही तरीकों) का प्रयोग करना ही होगा। ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों को बराबरी से मजबूत करना होगा। इससे हम बहुत से लोगों को (चाहे वे कामकाजी हों या दिव्यांग या दूरदराज के बच्चे हों, जहां संभवतः उनके आसपास कोई यूनिवर्सिटीज भी न हों) अपने एजुकेशन सिस्टम में जोड़ पाएंगे। ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा को कम खर्च में ही सबकी पहुंच में लाया जा सकता है, जिसका लाभ हर तरह से और हर किसी को मिलता है।
मुकेश शर्मा : मैं मानता हूं कि यह अच्छी बात है। किसी भी बच्चे को एक विषय की वजह से यह कह देना सही नहीं है कि वह फेल हो गया है। जीवन में हम कितने सफल या असफल होते हैं, यह हमारी मेहनत, लगन और जज्बे पर निर्भर करता है। जरूरी नहीं कि एक छात्र हर विषय में बेहतर हो। वह किसी एक विषय में अच्छा या बुरा हो सकता है, लेकिन इस आधार पर उसे पूरी तरह से फेल या पास करना मेरे ख्याल से सही नहीं है। जहां तक बच्चों के ऑनलाइन या ऑफलाइन पढ़ाई की बात है तो वह तो मैं हमेशा से ही मानता रहा हूं कि यह मौका छात्रों को अवश्य दिया जाना चाहिए, ताकि वे आसानी से अपनी शिक्षा पूरी कर सकें। हां, छोटे बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा से दूर रखना जरूरी है।
ओआई : सरकार छात्रों के लिए अपार आईडी बनाने की घोषणा कर चुकी है। इसे आप किस तरह से लेते हैं?
पीयूष भारतीय : APAAR ID एक तरह से एजुकेशनल आईडी है, जिससे कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी क्वालिफिकेशन को मेनटेन कर सकता है और हम कई सर्विस प्रोवाइडर्स और एजुकेशन प्रोवाइडर्स के साथ उन्हें जोड़कर रखेंगे तो किसी भी नौकरी प्रदाता के लिए उस छात्र की पूरी क्वालिफिकेशन देखने का एकमात्र सोर्स उनको मिल जाएगा और वेरिफाई करने का भी सोर्स उन्हें मिल जाएगा। अपार आईडी भी सरकार की ओर से एक अच्छी पहल है।
मुकेश शर्मा : ItsCredible, EduLocker और CreduLocker के संस्थापक शिक्षा मंत्रालय की APAAR ID पहल का समर्थन किया और कहा कि सरकार और सृजनात्मक दृष्टिकोण वालों के बीच मिलकर, छात्रों का भविष्य पहले से भी उज्ज्वल होगा। हालांकि, APAAR ID पहल अभी भी अपनी विनम्र शुरुआत में है, EduLocker ने पहले ही वर्ष 2018 में अपनी नींव रख दी है। उन्होंने यह भी दर्ज किया कि किसी भी छात्र के प्रत्येक विशेष पहचान के लिए एक अलग-अलग यूनिक आईडी की आवश्यकता नहीं है, बल्कि स्कूल, विश्वविद्यालय, संस्थान और संगठन ItsCredible प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके तुरंत सत्यापित और अपरिवर्तनीय डिजिटल बैज जारी कर सकते हैं। ये प्रमाणपत्र व्यक्ति के CreduLocker में संग्रहित होते हैं। इस तरह की साझेदारी से शिक्षा विभाग को छात्रों के लिए एक यादगार शैक्षिक यात्रा सुनिश्चित करने के लिए अधिक लाभ हो सकता है, विशेष रूप से जब इसे आधार आईडी का सहारा लेने की आवश्यकता नहीं होती है।