व्यवसाय विचार

छोटी-मझोली कंपनियां भी आईपीओ से ऐसे जुटा सकती हैं पूंजी

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jan 23, 2024 - 6 min read
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आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) ऐसा शब्द है, जिसे हम गाहे-बगाहे सुनते ही रहते हैं। छोटी-मझोली कंपनियां भी आईपीओ के जरिए पूंजी जुटा सकती हैं। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं...

आईपीओ के जरिए कंपनियों को मिल जाता है स्टॉक एक्सचेंज में स्थान

आईपीओ के माध्यम से शेयर खरीदने वालों को मिल जाती है कंपनी में हिस्सेदारी

आईपीओ यानी कि आरंभिक सार्वजनिक पेशकश इसके बारे में आप अक्सर ही सुनते या पढ़ते होंगे लेकिन इसका मतलब क्या होता है यह जानते हैं आप? आखिर क्यूं कंपनियां अपने आईपीओ जारी करती हैं। इससे आम लोगों को क्या लाभ होता है? क्यूं लोगों का रुझान होता है आईपीओ खरीदने के लिए? ये सारे सवाल अगर आपके मन में आते हैं तो इस आलेख को पूरा पढ़ें। यहां हम आपके साथ आईपीओ क्या होता है? कंपनियां क्यूं इसे जारी करती हैं? बीएसई क्या है? इसमें सूचीबद्ध होने की पात्रता क्या है? यहां हम ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियां शेयर कर रहे हैं।

आईपीओ एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके जरिए कोई भी पंजीकृत कंपनी पहली बार सार्वजनिक रूप से अपने शेयरों को ऑफर करके सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी बन जाती है। किसी भी निजी कंपनी में कुछ शेयरधारक होते है। ये अपने शेयर्स का व्यापार करके सार्वजनिक में जाकर अपने स्वामित्व को साझा करते हैं। इसे और आसान भाषा में समझें तो जब भी कोई प्राइवेट कंपनी अपने स्टॉक को जनता के लिए पहली बार उपलब्ध कराती है।

आईपीओ के जरिए ही किसी भी कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कर लिया जाता है। किसी भी कंपनी के आईपीओ खरीदने के बाद ग्राहकों की भी कंपनी में हिस्सेदारी हो जाती है। इस तरह कंपनी के पास फंड एकत्रित हो जाता है यानी कि अब ग्राहक कंपनी के निवेशक कहलाएंगे। कोई भी कंपनी अपनी विभिन्न वित्तीय जरूरतों के लिए आईपीओ ला सकती है। आईपीओ से प्राप्त धन से कंपनी अपने बुनियादी ढांचे को बेहतर करके व्यवसाय बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती है। सावर्जनिक होने वाली कंपनी का आशय यह भी होगा कि स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने की योग्यता भी पूरी होगी। इससे कंपनी के प्रति निवेशकों की विश्वसनीयता भी बढ़ती है। वहीं, एक सार्वजनिक कंपनी कभी भी अपने स्टॉक जारी कर सकती है।

आईपीओ में निवेश करना चाहिए या फिर नहीं? तो कुछ जरूरी बातें हैं, जिनको ध्यान में रखते हुए आप आईपीओ में निवेश कर सकते हैं। सबसे पहले तो आप जिस कंपनी के आईपीओ को खरीदना चाहते हैं, उस कंपनी का रिकॉर्ड चेक करें। उसमें निवेश करना कितना सुरक्षित या असुरक्षित है, कंपनी कितनी पुरानी है, कितना टर्नओवर है और कंपनी में किन-किन लोगों ने निवेश किया है। कंपनी के खर्चों के बाद शुद्ध लाभ का स्तर क्या है? कंपनी पर कितना कर्ज है? कंपनी का वर्तमान संचालक कौन है? उसके कार्यकाल में कंपनी का कारोबार कैसा चल रहा है? इन विषयों पर गहनता से शोध करने के बाद ही किसी कंपनी का आईपीओ खरीदें।

कंपनियां और बीएसई और एमएसई में सूचीबद्ध होने के लिए आईपीओ लाती रही हैं। हालांकि छोटी और मझोली यानी कि एमएसएमई कंपनियां बीएसई के एसएमई एक्सचेंज पर सूचीबद्धता के माध्यम से भी पूंजी जुटा सकती हैं। इसकी स्थापना 2012 में हुई थी। वर्तमान में इसपर पांच सौ से अधिक एमएसएमई कंपनियां सूचीबद्ध हैं।

कंपनी एसएमई एक्सचेंज में सूचीबद्ध (लिस्टिंग) होने के मानदंड

इसमें कंपनी को कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत शामिल किया जाएगा। कंपनी का निवल मूल्य कम से कम एक करोड़ रुपए पिछले दो पूर्ण वित्तीय वर्षों के लिए होना चाहिए। ऐसे मामले जिनमें पंजीकृत प्रोपराइटरशिप, पार्टनरशिप, एलएलपी के रूपांतरण के अनुसार कंपनी बनाई जाती है, तो पार्टनरशिप फर्म, एलएलपी के पास पिछले दो (पूर्ण) वित्तीय वर्षों के लिए एक करोड रुपए का नेट वर्थ होना चाहिए। शुद्ध मूर्त संपत्ति के नाम पर पिछले (पूर्ण) वित्तीय वर्ष में तीन करोड़ रुपए का रिकॉर्ड हो। लिस्टिंग चाहने वाली आवेदक कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड कम से कम तीन साल का होना चाहिए। जहां आवेदक कंपनी ने एक स्वामित्व संस्था, पंजीकृत साझेदारी फर्म, एलएलपी का अधिग्रहण किया है, तो ऐसी स्वामित्व संस्था, पंजीकृत फर्म, एलएलपी का ट्रैक रिकॉर्ड कम से कम तीन वर्ष का होना चाहिए।

बशर्ते, लिस्टिंग की मांग करने वाली आवेदक कंपनी के पास कम से कम एक पूर्ण वित्तीय वर्ष के संचालन का ट्रैक रिकॉर्ड और एक पूर्ण वित्तीय वर्ष के लिए ऑडिट किए गए वित्तीय परिणाम होने चाहिए या जहां आवेदक कंपनी के पास तीन साल का ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है, तो जिस परियोजना के लिए आईपीओ प्रस्तावित किया जा रहा है, उसका मूल्यांकन और वित्त पोषण नाबार्ड, सिडबी, बैंकों (सहकारी बैंकों के अलावा), वित्तीय संस्थानों द्वारा किया जाना चाहिए। इसके अलावा लिस्टिंग की मांग करने वाली आवेदक कंपनी के पास कम से कम एक पूर्ण वित्तीय वर्ष के संचालन का ट्रैक रिकॉर्ड और एक पूर्ण वित्तीय वर्ष के लिए ऑडिट किए गए वित्तीय परिणाम होने चाहिए। कंपनी स्वामित्व वाली संस्था, पंजीकृत फर्म, एलएलपी को आवेदन तिथि से पहले के तीन नवीनतम वित्तीय वर्षों में से दो के लिए संचालन से परिचालन लाभ (ब्याज, मूल्यह्रास और कर से पहले की कमाई) होना चाहिए। साथ ही कंपनी को आवेदन तिथि से पहले एक पूर्ण वित्तीय वर्ष के लिए संचालन से परिचालन लाभ (ब्याज, मूल्यह्रास और कर से पहले की कमाई) होना चाहिए। सूचीबद्ध होने वाली कंपनियों के लिए जहां परियोजना का मूल्यांकन और वित्त नाबार्ड, सिडबी, बैंकों (सहकारी बैंकों के अलावा), वित्तीय संस्थानों द्वारा किया गया है, इसमें एक पूर्ण संचालन से सकारात्मक परिचालन लाभ (ब्याज, मूल्यह्रास और कर से पहले की कमाई) होगी।

राष्ट्रव्यापी ट्रेडिंग टर्मिनल वाले किसी भी स्टॉक एक्सचेंज द्वारा प्रमोटरों या प्रमोटरों द्वारा प्रवर्तित कंपनियों के खिलाफ व्यापार के निलंबन की कोई नियामक कार्रवाई नहीं की जाएगी। प्रवर्तक या निदेशक एक्सचेंज द्वारा अनिवार्य रूप से असूचीबद्ध कंपनियों के प्रवर्तक या निदेशक (स्वतंत्र निदेशकों के अलावा) नहीं होंगे और अनिवार्य असूचीबद्धता के परिणामों की प्रयोज्यता को आकर्षित किया जाता है या जिन कंपनियों को गैर-सूचीबद्धता के कारण व्यापार से निलंबित कर दिया जाता है। किसी भी नियामक प्राधिकारी द्वारा निदेशक को अयोग्य घोषित नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा आवेदक कंपनी, प्रमोटरों, प्रवर्तक कंपनी(कंपनियों), सहायक कंपनियों द्वारा डिबेंचर, बॉन्ड, सावधि जमा धारकों को ब्याज या मूलधन के भुगतान के संबंध में कोई लंबित चूक नहीं होनी चाहिए। पिछले एक वर्ष के भीतर नाम परिवर्तन के मामले में, पिछले एक पूर्ण वित्तीय वर्ष के लिए पुनर्निर्धारित और समेकित आधार पर गणना की गई राजस्व का कम से कम पचास प्रतिशत उसके द्वारा अपने नए नाम द्वारा इंगित गतिविधि से अर्जित किया गया है।

कुछ अन्य आवश्यकताएं

किसी कंपनी के लिए एक कार्यात्मक वेबसाइट का होना अनिवार्य है। कंपनी में प्रमोटर की शत प्रतिशत हिस्सेदारी डिमटेरियलाइज्ड फॉर्म में होनी चाहिए। कंपनी के लिए डीमैट प्रतिभूतियों में व्यापार की सुविधा देना और दोनों डिपॉजिटरी के साथ एक समझौता करना अनिवार्य है। एसएमई सेगमेंट के तहत लिस्टिंग के लिए बीएसई में आवेदन दाखिल करने की तारीख से एक वर्ष से पहले कंपनी के प्रमोटरों में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए। सैद्धांतिक अनुमोदन के समय बोर्ड की संरचना कंपनी अधिनियम, 2013 की आवश्यकताओं के अनुरूप होनी चाहिए। निवल मूल्य की गणना सेबी (आईसीडीआर) विनियमों में दी गई परिभाषा के अनुसार होगी। कंपनी को आईबीसी के तहत एनसीएलटी में नहीं भेजा गया है। कंपनी के खिलाफ कोई समापन याचिका नहीं है, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया हो।

एशिया का सबसे प्राचीन शेयर बाजार है बीएसई

बीएसई एशिया का सबसे प्राचीन शेयर बाजार है। इसकी स्थापना 1875 में मुंबई स्टॉक एक्सचेंज के रूप में हुई थी। इसका संचालन मैनेजिंग डायरेक्टर के नेतृत्व में डायरेक्टर्स बोर्ड द्वारा होता है। एसएमई स्टॉक एक्सचेंज इसी का एक हिस्सा है, जिसकी स्थापना वर्ष 2012 में छोटी व मझोली कंपनियों को सूचीबद्ध करने के लिए हुई थी। बीएसई के इस स्टॉक एक्सचेंज पर अब तक पांच सौ से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध हो चुकी हैं।



 

 

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