व्यवसाय विचार

जलवायु परिवर्तन से बेहद प्रभावित हो रहे किसान

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Aug 01, 2022 - 6 min read
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जलवायु परिवर्तन के कारण हुई तापमान वृद्धि से कृषि प्रभावित होता है, इसलिये यह जरूरी है कि किसानों को यह पता होना चाहिए कि इस समस्या का सामना कैसे किया जाए।

आज के समय में शायद ही कोई ऐसा होगा जिस पर जलवायु परिवर्तन का कोई प्रभाव न पड़ा हो। इसकी चपेट में आने की संभवाना सबसे ज्यादा किसानों की होती है। भारत मे खेती प्रमुख रूप से मौसम पर आधारित होती है और जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले मौसमी बदलावों का इस पर काफी असर पड़ता है।

जलवायु परिवर्तन के कारण हुई तापमान वृद्धि से कृषि प्रभावित होता है, इसलिये यह जरूरी है कि किसानों को यह पता होना चाहिए कि इस समस्या का सामना कैसे किया जाए। वैश्विक आबादी बढ़ने के साथ खाद्यान्नों की वैश्विक मांग में भी इज़ाफा हो रहा है। विकसित देशों में रहने वाले लोगों के खानों में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा रहती है। खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) का अनुमान है कि फूड सप्लाई और मांग के बीच अंतर को कम करने के लिये वैश्विक कृषि उत्पादन 2050 तक दोगुना करने की आवश्यकता होगी।

असमान वर्षा होने की वज़ह से हमारे देश में फसलों का खराब होना आम बात है। कई गाँवों में देखने को मिलता है कि हरियाली का नामो-निशान तक नहीं है और किसानों के लिये पशुओं का पेट भर पाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। नए परिवर्तनों को जल्द अपनाने में समस्या उत्पन्न होती है। हर मौसम में किसान अलग-अलग फसल बोते हैं और वह अच्छे परिणामों की उम्मीद करते है।

जलवायु परिवर्तन का असर कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में दिखाई देने लगा है। सभी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के बदलाव को महसूस किया जा सकता है। इसके कारण देश के पश्चिमी तटों पर उगाए जाने वाले नारियल, काजू, सुपारी, केला, आम, अनानास जैसी प्रमुख फसलों के साथ-साथ काली मिर्च, दालचीनी, हल्दी अदरक और सब्जियों की खेती बहुत बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। कई कंपनिया किसानों की मदद के लिए सामने आई है ताकि जलवायु परिवर्तन के कारण खराब होने वाली फसलों का नुकसान ना हो पाए।

ग्राम उन्नति एक ऐसी कंपनी है जो किसानों की फसल को बेहतर बनाने, जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों को नुकसान न हो आदि समस्याओं का हल निकालने के लिए किसानों की मदद के लिए सामने आई है। ग्राम उन्नति ने उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में 5,000 एकड़ से अधिक खेत में मौसम के अनुसार खेती करके 4,000 लीटर प्रति एकड़ पानी की पर्याप्त बचत की है।

लाखों भारतीय किसानों के लिए एक सिख है कि वह मौसम के अनुसार खेती करके अपनी फसल को अच्छा बना सकते है। ग्राम उन्नति ने स्थानीय जिला प्रशासन, स्थानीय मक्का प्रोसेसर, इनपुट कंपनियों और प्रमुख किसानों के साथ मिलकर 18 महीने की छोटी अवधि में 2,000 किसानों को मौसम के अनुसार उन फसलो की खेती करने के लिए प्रेरित किया है जो व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य भी हैं।

परियोजना की सफलता पर बात करते हुए ग्राम उन्नति के सीईओ और संस्थापक, अनीश जैन ने कहा परियोजना की सफलता ऐसे समय में आई है जब हम दुनियाभर में पानी की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2050 तक पांच अरब से अधिक पानी की किल्लत से लोग प्रभावित हो सकते हैं। भारत, जो विश्व की कुल जनसंख्या का 16 प्रतिशत है और भारत के पास विश्व के जल संसाधनों का केवल 4 प्रतिशत उपयोग है। अनीश जैन ने बताया उत्तराखंड में हमारी पायलट परियोजना की सफलता अन्य किसानों को जलवायु के अनुकूल फसलों की ओर जाने के लिए प्रेरित करती है।

उत्तर प्रदेश (रामपुर, बरेली और पीलीभीत) में उधम सिंह नगर और आसपास के क्षेत्रों के किसान परंपरागत रूप से रबी की फसल के बाद और खरीफ की बुवाई से पहले कम अवधि के दौरान धान की फसल लेते हैं। रिसर्च के आधार पर, ग्राम उन्नति ने मक्का को गर्मीयों मे होने वाली धान के लिए एक उचित लाभकारी विकल्प के रूप में पहचाना है। मक्का केवल कम अवधि की फसल ही नहीं है,धान की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन उच्च रिटर्न लाने के लिए भी जाना जाता है। इसकी कई उपयोगिताएँ जैसे भोजन, चारा, और 'फ़ीड' किसानों को संभावित कम-मांग वाली स्थितियों से बचाने में मदद करती हैं।

जैन ने कहा पायलट प्रोजेक्ट से 5,000 एकड़ भूमि को वसंत मक्का में स्थानांतरित करने में सफल रही, जिसके परिणामस्वरूप 4,000 लीटर प्रति एकड़ पानी की पर्याप्त बचत हुई। फसल ने उसी भूमि के टुकड़े पर 25 प्रतिशत अधिक उपज भी उत्पन्न की। यह 'प्रति बूंद अधिक फसल' का एक अच्छा उदाहरण बनकर उभरा है।परियोजना ने सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में भी योगदान दिया जैसे गरीबी को कम करना, कृषि उत्पादकता में वृद्धि, पानी का विवेकपूर्ण उपयोग और सतत उत्पादन। उन्होने आगे कहा कि ऊधमसिंह नगर में परियोजना की सफलता से ग्राम उन्नति को प्रोत्साहन मिला है नई चुनौतियों को लेने के लिए।



ग्राम उन्नति का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में इस हस्तक्षेप को 100,000 एकड़ वसंत मक्का तक बढ़ाने का है। इससे न केवल भूजल संसाधनों पर निर्भरता कम होगी, बल्कि यह किसानों के लिए कृषि को अधिक लाभकारी और पर्यावरण के लिए अधिक टिकाऊ बनाने में भी मदद करेगा। कृषि भारत में ताजे पानी का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, मक्का, दलहन, बाजरा, तिलहन इत्यादि जैसी उच्च से कम तीव्रता वाली फसलों में बदलाव में मदद करते हुए वर्षा जल/सिंचाई पर किसानों की निर्भरता को काफी कम करने की क्षमता है। अधिक से अधिक जल संरक्षण, जलवायु परिवर्तन से बेहतर ढंग से निपटने के लिए किसानों की क्षमता को बढ़ाना और लंबे समय में भारत को इन फसलों में अधिक आत्मनिर्भर बनाना।

यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में ग्राउंड वाटर मे से निकाला गया 90 प्रतिशत पानी वार्षिक रूप से कृषि के लिए जाता है, जो अक्सर धान, गन्ना और गेहूं जैसी अत्यधिक जल-गहन फसलों का समर्थन करता है, कभी-कभी देश के गंभीर रूप से पानी की कमी वाले क्षेत्रों में।हाल के सेंट्रल ग्राउंडवॉटर बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार भारत के कम से कम 30 प्रतिशत जिलों ने भूजल स्तर को 'गंभीर' बताया है। बढ़ते तापमान और बारिश की वजह से जलवायु परिवर्तन से बढ़ता जल संकट गहराता जा रहा है।

ग्राम उन्नति एक डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त कृषि-तकनीक स्टार्ट-अप है, जो i) सलाहकार सेवाएं प्रदान करता है, ii) कम लागत पर उच्च क्वालिटी वाले इनपुट तक पहुंच और iii) सीमांत किसानों के साथ-साथ बाजार से जुड़ाव iv) संस्थागत खरीदारों के लिए लॉजिस्टिक्स और कृषि उत्पाद का संपूर्ण क्वालिटी कंट्रोल। कंपनी की स्थापना आईआईटी खड़गपुर के स्नातक अनीश जैन ने 2013 में की थी।उन्होंने महसूस किया कि पूरी तरह से एकीकृत मंच की अनुपस्थिति के कारण किसान और खरीदार अक्सर मूल्य जाल के शिकार हो जाते हैं।

कंपनी देश भर में फैले 30 जिला स्तरीय केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से काम करती है, जिससे कृषि प्रसंस्करणकर्ताओं को सीधे किसानों से क्वालिटी वाले अनाज, तिलहन, दालें, फल और सब्जियां प्राप्त करने में मदद मिलती है। अनीश जैन ने एमएसएमई पर बात करते हुए कहा केंद्र सरकार स्टार्टअप और एमएसएमई के लिए टेंडर निकालती है जिससे काफी लाभ मिलता है। सरकार काफी वॉकल हो रही है स्टार्टअप और एमएसएमई में काम करने के लिए। हमारे पास इतने संसाधन नही होते है कि हम एक बार में सब काम कर ले। अगर सरकार एक प्लेटफॉर्म देती है तो सारी चीजे आसान हो जाती है। हम किसानों की समस्याओं पर पूरा ध्यान देते है और उनकी समस्याओं का हल भी निकालते है। किसानों को ट्रेंड को देखते हुए फसलों को नही उगाना चाहिए, किसानों को सिर्फ वो ही चीजे उगानी चाहिए जो की वह बेचपाए और जहा पर उनकी वैल्यू बन सके।

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