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- जी-20 सदस्यों ने न्यायसंगत और सतत शिक्षा के लिए विश्व की प्रतिबद्धता दोहराई: धर्मेंद्र प्रधान
भारत की अध्यक्षता में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन की सराहना करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सर्वसम्मति, सहयोग एवं सहकारिता के आधार पर वैश्विक व्यवस्था को परिवर्तित करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस प्रयास की सराहना की है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने जी-20 के तहत शैक्षिक प्राथमिकताओं को लेकर कहा कि नई दिल्ली में नेताओं की घोषणा में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक गणना (एफएलएन), तकनीक-सक्षम शिक्षा, आजीवन सीखने के लिए क्षमता निर्माण एवं कार्य आधारित भविष्य तथा सुदृढ़ीकरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विचार-विमर्श को प्रमुखता दी गई है। उन्होंने बताया कि इसमें सहयोग के माध्यम से अनुसंधान एवं नवाचार ने शिक्षा की सहायता से एक न्यायसंगत व सतत भविष्य हेतु काम करने के उद्देश्य से वैश्विक संकल्प को नवीनीकृत किया है और इसके लिए एक रोडमैप भी प्रदान किया है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के शैक्षिक पारिस्थितिकी को दुनिया भर में उच्च स्तर पर पहचान दिलाई है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रमुख सिद्धांतों व प्राथमिकताओं को इसका पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि घोषणा पत्र से डिजिटल परिवर्तन, जस्ट ग्रीन ट्रांजीशन और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के तीन पहचाने गए उत्प्रेरकों पर शिक्षा कार्य समूह की प्राथमिकताओं के साथ ही सभी आवश्यक बातें प्रतिध्वनित होती हैं। यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सहित निर्णय लेने वाले निर्माताओं के रूप में महिलाओं की सार्थक भागीदारी बढ़ाने की प्रतिबद्धता में परिलक्षित होता है। इसमें शिक्षा सहित डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को विकसित करना और मिशन लाइफ को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना भी शामिल है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने वैश्विक नेताओं की घोषणा में स्कूली भोजन कार्यक्रमों में सुलभ, मूल्य परक, सुरक्षित व पौष्टिक भोजन तथा स्वस्थ आहार का समर्थन करने की आवश्यकता पर जोर देने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया, जो प्रधानमंत्री पोषण कार्यक्रम का उद्देश्य भी है।
प्रधान ने शिक्षा पर केंद्रित निम्नलिखित बिंदुओं का उल्लेख भी किया, जिन्हें नई दिल्ली में नेताओं के घोषणा-पत्र में शामिल किया गया हैः
इंडिया-यूएस ग्लोबल चैलेंजेज इंस्टीट्यूट
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने जी-20 शिक्षा कार्य समूह की बैठकों में आगे की जा रही अनुवर्ती कार्रवाई की जानकारी देते हुए कहा कि अनुसंधान सहयोग कई देशों के साथ सक्रिय रूप से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह हमारी संयुक्त पहल, जैसे- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिषद (आईआईटी काउंसिल) और एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन यूनिवर्सिटीज (एएयू) के बीच होने वाले समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के माध्यम से परिलक्षित हो रहा है। इसका लक्ष्य इंडिया-यूएस ग्लोबल चैलेंजेज इंस्टीट्यूट की स्थापना करना है। यह आगे चलकर दोनों देशों के अग्रणी अनुसंधान एवं उच्च-शिक्षण संस्थानों को साथ लेकर आएगा। इसके अंतर्गत विज्ञान व प्रौद्योगिकी में नई सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए, विशेषकर जिसमें स्थायी ऊर्जा और कृषि, स्वास्थ्य एवं महामारी से निपटने की तैयारी, सेमीकेंडक्टर प्रौद्योगिकी तथा विनिर्माण, उन्नत सामग्री, दूरसंचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम विज्ञान में सहयोग शामिल है। प्रधान ने बताया कि हम कई नई उभरती बहु-संस्थागत सहयोगी शिक्षा साझेदारियां भी देख रहे हैं। इनमें मुख्य तौर पर न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी-टंडन और आईआईटी कानपुर एडवांस्ड रिसर्च सेंटर, बफेलो में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के जॉइंट रिसर्च सेंटर्स तथा आईआईटी दिल्ली, कानपुर, जोधपुर व बीएचयू के बीच, महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों के लिए आईआईटी बॉम्बे शिकागो क्वांटम एक्सचेंज में शामिल हो रहा है और भारत-अमेरिका डिफेंस एक्सेलारेशन इकोसिस्टम (इंडस-एक्स) की शुरुआत भी हो रही है। इसी तरह से हम कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, ताइवान, ब्रिटेन और अन्य देशों के साथ विश्वविद्यालय स्तर के सहयोग की तलाश कर रहे हैं।
वैश्विक कौशल अंतराल की पहचान
कौशल क्षेत्र में ध्यान दिये जाने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक भाग कौशल और योग्यता आवश्यकताओं के आधार पर व्यवसायों का एक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ वर्गीकरण तैयार करके सदस्य देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय मानकों का प्रचालन है, जिससे बेहतर क्रॉस-कंट्री तुलनीयता और योग्यता की पारस्परिक मान्यता प्राप्त होती है। इस प्रतिबद्धता में अच्छी तरह से प्रबंधित, नियमित व कौशल-आधारित प्रवासन मार्ग स्थापित करने की प्रतिज्ञा शामिल है, जो मूल एवं गंतव्य देशों को पारस्परिक रूप से लाभान्वित करती है। उन्होंने इन प्रयासों का सहयोग बढ़ाने के लक्ष्य के साथ वैश्विक कौशल अंतराल की पहचान करने और उन्हें संसाधित करने के उद्देश्य से नीतियों को प्राथमिकता देने पर ध्यान केंद्रित किया। इनमें राष्ट्रीय सांख्यिकीय डेटा को सशक्त करना और जी-20 देशों को शामिल करने हेतु नौकरियों के डेटाबेस के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) तथा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन कौशल का विस्तार करना शामिल था।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन तथा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन ने वैश्विक कौशल अंतराल की निगरानी और मापन के लिए 12 बुनियादी व 14 विस्तारित संकेतक प्रस्तावित किए हैं। इन संकेतकों पर जी-20 देशों द्वारा सहमति भी व्यक्त की गई है। इसके अलावा, ये अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन पर सहमत हुए संकेतकों के आधार पर जी-20 देशों में वैश्विक कौशल अंतराल की निगरानी व मापन के उद्देश्य से हस्तक्षेप को लागू करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
प्रशिक्षण प्रणालियों पर समन्वित कार्रवाई
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह भी बताया कि किस तरह से भारत की जी-20 अध्यक्षता ने हमारी शैक्षिक प्राथमिकताओं, प्रासंगिक वास्तविकताओं एवं राष्ट्रीय आवश्यकता संबंधी गतिविधियों, एक गति आधारित वृद्धि और दीर्घकालिक प्रणालीगत नीति दृष्टि को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि भारत और उसके जी-20 भागीदार देशों ने सहयोग, ज्ञान साझाकरण एवं नवोन्मेषी दृष्टिकोण को बढ़ावा देकर भविष्य की शिक्षा तथा प्रशिक्षण प्रणालियों पर समन्वित कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए वचनबद्धता व्यक्त की है।