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जी-20 सम्मेलन में कई बड़े आर्थिक फैसलों पर होगी नजर

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Sep 08, 2023 - 7 min read
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जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 की मेजबानी के लिए भारत पूरी तरह से तैयार है। भारत की अध्यक्षता में हो रहे जी-20 सम्मेलन के लिए पूरी दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया है। इस सम्मेलन का आयोजन नौ और 10 सितंबर को नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में होगा।

जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 के सदस्य एक-एक करके नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में विश्व नेता जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीति और बहुपक्षीय सहयोग सहित वैश्विक विकास की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। सबसे पहले नई दिल्ली पहुंचने वालों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) प्रमुख क्रिस्टलिना जॉर्जीवा का नाम है। ये उन शीर्ष नेताओं में से हैं, जो जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे। इसके बाद जापान के प्रधानमंत्री फ़ुमिओ किशिदा और यूएस सेक्रेटरी जनरल एंटनी जे. ब्लिंकन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा, ओमान के राजनेता और पूर्व सेना के अफसर सैय्यद असाद बिन तारीक अल सैय्यद भी नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। सम्मलेन में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष समेत अन्य कई मेहमान भी हिस्सा ले रहे हैं। 

किसी भी देश में जब इस तरह का कोई बड़ा आयोजन होता है, तो मेजबान देश के पास दुनिया को अपनी क्षमता दिखाने का अवसर मिलता है। यकीनन भारत न केवल आर्थिक मामलों में तेजी से प्रगति कर रहा है, बल्कि बुनियादी ढांचों के मामलों में भी काफी विकास कर रहा है। इस सम्मेलन के सफल समापन के बाद विकसित देशों के बीच हमारी अलग पैठ बनाने में हमें मदद मिलेगी, जो आगे चलकर भारत में निवेश हेतु अन्य देशों को प्रेरित करेगी। यही नहीं, यहां आ रहे मेहमान देशों को भारतीय बाजार को समझने में भी मदद मिलेगी। बीते कुछ वर्षों से भारत जिस तरह से आत्मनिर्भरता और नई तकनीक के विकास पर जोर दे रहा है, साथ ही भारत में निवेश के लिए अन्य देशों को जिस तरह से आमंत्रित कर रहा है, उन कोशिशों को भी इस सम्मेलन का लाभ अवश्य मिलेगा।

फास्ट ट्रैक रेगुलेटरी अप्रूवल्स के लिए सक्षम तंत्र

"वसुधैव कुटुम्बकम- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" की थीम पर होने वाले इस जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता करना भारत के लिए अपने यहां निवेश हेतु आकर्षित करने के लिए अपनी क्षमता और उपलब्धियों का प्रदर्शन करने का विशेष मौका साबित होगा। उम्मीद तो यह भी की जा रही है कि इस सम्मेलन में देश के छोटे कारोबारियों या एमएसएमई सेक्टर को मजबूती देने से जुड़ी कई घोषणाएं भी की जा सकती हैं। 

उम्मीद की जा रही है कि फास्ट ट्रैक रेगुलेटरी अप्रूवल्स के लिए सक्षम तंत्र के रूप में क्वालिटी मैनेजमेंअ सर्टिफिकेट, जो विभिन्न देशों में कई मल्टीपल रेगुलेटरी अप्रूवल से बचकर निर्माताओं को व्यापार करने में आसानी प्रदान करते हुए आयात करने वाले देशों के नियामकों को विश्वास दिलाएगा, चिकित्सा उपकरण विशिष्ट कानून, एकल राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण के तहत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क, ऐसे बिंदु हैं, जिसे जी-20 हेल्थकेयर एजेंडे के लिए सुझाया जा सकता है।

अर्थव्यवस्था पर यूक्रेन संघर्ष का असर

भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 का आयोजन ऐसे समय हो रहा है जब खंडित भू-राजनीतिक माहौल के बीच विश्व कई जटिल चुनौतियों का सामना कर रहा है जिनमें ‘‘वैश्विक दक्षिण” की चिंताएं, यूक्रेन संघर्ष के परिणाम, निराशाजनक आर्थिक परिदृश्य आदि शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘यह समझ बढ़ रही है कि दुनिया को जिन समाधानों की आवश्यकता है, उनमें से कई पहले से ही हमारे देश में सफलतापूर्वक लागू किए जा रहे हैं। भारत की जी-20 अध्यक्षता से कई सकारात्मक प्रभाव सामने आ रहे हैं। उनमें से कुछ मेरे दिल के बहुत करीब हैं।”

कोविड महामारी और यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप की अर्थव्यवस्था काफी लड़खड़ाई हुई है। कुछ देश पहले ही मंदी में फंस गए हैं और कुछ मंदी के कगार पर हैं। अमेरिका की स्थिति यूरोप से बेहतर है, लेकिन वहां भी मुश्किलें हैं। चीन की स्थिति कुछ ज्यादा ही डावांडोल नजर आ रही है। एक तो कोविड के बाद हाल ही में उन्होंने अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से खोला है इसलिए अब भी वह पूरी तरह से महामारी के असर से उबर नहीं पाया है। अमेरिका और चीन के रिश्तों को लेकर भी अनिश्चितता बरकरार है। इस अनिश्चितता की वजह से एक बार फिर वैसी ही स्थिति पैदा हो गई है, जैसी वर्ष 2008 में हुई थी। जी-20 का गठन ही वैश्विक अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए किया गया था। दुनिया भर में आर्थिक उथल-पुथल है, मंदी का खतरा मंडरा रहा है। यूक्रेन युद्ध की वजह से ग्लोबल साउथ में तो खाने-पीने की दिक्कत पैदा हो रही है। कच्चे माल, उर्वरक और अन्य वस्तुओं की तंगी हो गई है। इन सबके बीच भारत का जी-20 की मेजबानी करना हमारे लिए कई मायनों में नए अवसर प्रदान करने वाला माना जा रहा है।

बहुपक्षीय विकास बैंकों की आवश्यकता को मान्यता

इस जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 के एजेंडे का मुख्य बिंदु बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूती प्रदान करना होगा, जिसकी सफलता से गरीबी से लड़ने एवं जलवायु को बचाने के लिए अरबों डॉलर एकत्र होने की संभावना है। गरीबी और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई और वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकास बैंक बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। कोई देश आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हों या किसी आपदा का, ऐसे बैंक जरूरतमंद देशों को ऋण देने के लिए आगे आते हैं। भारत की अध्यक्षता में इस वर्ष अपनी पहली बैठक में जी-20 के वित्त मंत्रियों एवं केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने सीमा पार चुनौतियों के दायरे और जटिलताओं को देखते हुए बहुपक्षीय विकास बैंकों की आवश्यकता को मान्यता दी है। इसके साथ ही उन्होंने निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए उनके ऋण संसाधनों, ज्ञान समर्थन और मांग में वृद्धि को देखते हुए ऐसे बैंकों को विकसित करने की जरूरत पर भी जोर दिया है।

उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंकों से अपने दृष्टिकोण, प्रोत्साहन संरचनाओं, संचालन दृष्टिकोण और वित्तीय क्षमताओं को विकसित करने के लिए व्यापक प्रयास करने को कहा है ताकि वे सतत विकास लक्ष्यों में प्रगति की दिशा में तेजी लाने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप ढेर सारी वैश्विक चुनौतियों को हल करने में अपना प्रभाव बढ़ा सकें। भारत ने एक एजेंडा विकसित कर अगला तार्किक कदम उठाया, जिसके आधार पर बहुपक्षीय विकास बैंक लेन-देन कर सकते हैं। एक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह को यह कार्य सौंपा गया है, जिसकी स्थापना 21वीं सदी की साझा वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए की गई है।

स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए अहम जी-20 सम्मेलन

भारत जी-20 की अध्यक्षता ऐसे समय में कर रहा है, जब यह दुनिया की सबसे ज्यादा तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बन चुका है। यही वजह है कि जी-20 के अन्य सदस्य देश इस सम्मेलन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। इस सम्मेलन के जरिए होने वाले लाभ की बात करें तो केंद्र ने अपनी तरह की पहल करते हुए स्टार्टअप 20 एंगेजमेंट ग्रुप की स्थापना की है, जो विभिन्न स्टेकहोल्डर्स को एक साझा मंच पर एक साथ लाकर वैश्विक स्टार्टअप इकोसिस्टम की आवाज के रूप में कार्य कर रहा है। इसके जरिए सदस्य देशाों द्वारा क्षमता निर्माण, फंडिंग गैप को कम करने, रोजगार के अवसर बढाने, सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने और समावेशी ईकोसिस्टम में विकास जैसे सेक्टर्स के लिए ठोस कदम उठाएंगे।

इस बार सम्मेलन की थीम, लोगो, उद्देश्य और महत्व क्या है, आइए जानें...

जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 की थीम : जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 की इस बार की थीम वसुधैव कुटुम्बकम यानी एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य है।

जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 का लोगो : भारत ने इस बार कमल के फूल के साथ धरती को अपना लोगो बनाया है। यह लोगो तीन रंग का है, जो भारतीय तिरंगे झंडे के रंगों- केसरिया, सफेद, हरा और नीला से लिया गया है।

जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 का उद्देश्य : विशेषज्ञों का कहना है कि जी-20 की मेज़बानी से दुनियाभर में भारत के रिश्ते काफी मज़बूत हो रहे हैं। उनका मानना है कि भारत की जी-20 के लिए अध्यक्षता की भूमिका सदस्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने में मददगार साबित होगी और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में उन देशों से निवेश आकर्षित करने का अवसर प्रदान करेगी। वे कहते हैं कि ग्लोबल इकोनॉमी में करीब 80 फीसदी से ज्यादा का प्रतिनिधित्व करने वाले जी-20 की अध्यक्षता करना भारत के लिए एक बड़ा मौका है।

जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 का महत्व : जी-20 को ग्रुप ऑफ ट्वेंटी कहा जाता है। इस समूह के 19 देश- फ्रांस, चीन, कनाडा, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, अमेरिका, यूके, तुर्की, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, रूस, मैक्सिको, जापान, इटली, इंडोनेशिया तथा 20वें सदस्य के तौर पर यूरोपीय संघ हैं, जिसे मिलाकर जी-20 के कुल 20 सदस्य हो जाते हैं। साल 2008 में इस जी-20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई थी। अगले दो साल, यानी 2009 और 2010 में, जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन साल में दो-दो बार किया गया, लेकिन इसके बाद से इस आयोजन को साल में एक बार कर दिया गया। इस सम्‍मेलन में समूह के सदस्‍य देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष समेत कुछ अन्‍य देशों को भी बुलाया जाता है। इसके बाद सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष बैठकर कई मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इस साल 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 की मेजबानी भारत कर रहा है।

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