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- झारखंड एमएसएमई नीति 2023 मसौदे में हर जिले के लिए सौगात, 3.5 लाख से अधिक एमएसएमई पंजीकृत
-झारखंड उद्यम पोर्टल पर 3.5 लाख से अधिक एमएसएमई पंजीकृत
-राज्य स्तर पर एक एमएसएमई निदेशालय और प्रत्येक जिले में एक जिला एमएसएमई केंद्र यानी कि डीएमसी की व्यवस्था
-झारखंड एमएसएमई विशेष रियायत अधिनियम 2023 लॉन्च करने का भी प्रस्ताव
एमएसएमई क्षेत्र के विकास और वृद्धि के लिए हाल ही में राज्य सरकार द्वारा झारखंड एमएसएमई नीति 2023 मसौदा जारी किया गया। इसमें झारखंड में राज्य स्तर पर एमएसएमई का एक समर्पित निदेशालय और प्रदेश के हर जिले में एक जिला एमएसएमई केंद्र यानी कि डीएमसी का प्रस्ताव रखा गया। जबकि राज्य और केंद्र सरकार की एमएसएमई योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए निदेशालय जिम्मेदार होगा। साथ ही डीएमसी उद्यमियों को उद्यम पंजीकरण, एकल-खिड़की मंजूरी, विनिर्माण के विस्तार जैसे एमएसएमई स्थापित करने में सुविधा प्रदान करने के लिए आवश्यक सेवाएं और सहायता भी प्रदान करेगा। इसके अलावा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एमएसएमई सेवाओं के लिए भी जिम्मेदार भूमिका का निर्वहन करेगा। एमएसएमई के क्षेत्र में प्रदेश का स्थान पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में पूरे भारत का 1.69 प्रतिशत है। यानी कि झारखंड उद्यम पोर्टल पर 3.5 लाख से अधिक एमएसएमई पंजीकृत हैं। यह आंकड़ा पूरे भारत में 2.08 करोड़ उद्यम एमएसएमई उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म के माध्यम से पंजीकरण को छोड़कर बताया गया है।
इस नीति के अनुसार शुरुआत में राज्य में मौजूदा जिला उद्योग केंद्रों (डीआईसी) को एमएसएमई को सहयोग देने के लिए जिले में जिला एमएसएमई केंद्र यानी कि डीएमसी के रूप में नामित किया जाएगा। मसौदा नीति में एमएसएमई को स्थापना के संबंध में किसी भी राज्य कानून के तहत सभी अनुमोदन और निरीक्षण जैसे अनुमति, एनओसी, मंजूरी, मंजूरी, सहमति, पंजीकरण, लाइसेंस इत्यादि से छूट प्रदान करने के लिए झारखंड एमएसएमई विशेष रियायत अधिनियम 2023 लॉन्च करने का भी प्रस्ताव शामिल है। इस मसौदा नीति को लेकर सरकार ने कहा कि वह एमएसएमई के क्लस्टर-आधारित विकास पर भी ध्यान केंद्रित करेगी ताकि एमएसएमई को व्यक्तिगत व्यवसायों के रूप में उनकी अखंडता को बनाए रखते हुए बड़े खिलाड़ियों के साथ समान स्तर पर स्थापित किया जा सके। इसके अलावा, एमएसएमई समूहों में समय-समय पर आयोजित किए जाने वाले प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों के अलावा एमएसएमई क्षेत्र में शुरू की गई प्रौद्योगिकी और नई तकनीक के उपयोग पर जिला स्तर पर नियमित प्रशिक्षण और कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी। इसके साथ ही एमएसएमई को नौकरी-विशिष्ट तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करने और स्थानीय पॉलिटेक्निक, सरकारी अनुसंधान संस्थानों और प्रशिक्षण केंद्रों के समन्वय में अधिक से अधिक कौशल कार्यक्रम चलाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
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मसौदा नीति के तहत प्रस्तावित प्रोत्साहन निम्नवत् हैं
मसौदा नीति के तहत व्यावसायिक उत्पादन की तारीख से पांच बैंकों के लिए सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों या बैंकों से लिए गए ऋण के समय पर भुगतान पर नए एमएसएमई के लिए 5 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज सब्सिडी की सुविधा।
- मसौदा नीति के तहत सूक्ष्म इकाइयों के लिए अधिकतम सीमा 25 लाख रुपये, लघु उद्यमों के लिए 1 करोड़ रुपये और मध्यम उद्यमों के लिए 2 करोड़ रुपये होगी।
-राज्य में सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) योजना के तहत ली गई गारंटी शुल्क की प्रतिपूर्ति उद्यमों को की जाएगी।
-रैयतों से सीधे खरीदी गई या सहमति पुरस्कार के माध्यम से प्राप्त भूमि के लिए स्टैम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति। यह केवल किसी विशेष भूमि भूखंड के लिए पहले लेनदेन के लिए ही दी जाएगी।
-बी.आई.एस. से गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त करने के लिए सहायता। इसके साथ ही अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्थानों पर 100 प्रतिशत खर्च अधिकतम 25 लाख रुपये तक होगा।
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- मसौदा नीति के तहत पेटेंट पंजीकरण पर होने वाले व्यय का 50 प्रतिशत, अधिकतम 25 लाख रुपये प्रति पेटेंट तक वित्तीय सहायता। पेटेंट दाखिल करने, वकील की फीस, पेटेंट ट्रैकिंग आदि में होने वाले खर्च पर 10 लाख रुपये तक और पेटेंट की अंतिम स्वीकृति पर 25 लाख रुपये तक की छूट दी जा सकती है।
- मसौदा नीति में वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ होने की तिथि से 5 वर्ष तक विद्युत शुल्क की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति।
-मसौदा नीति में 3 लाख रुपये की अधिकतम सीमा के अधीन ट्रेडमार्क पंजीकरण प्राप्त करने में किए गए व्यय की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की भी व्यवस्था।
- मसौदा नीति में नए उद्यमों को एसएमई एक्सचेंज द्वारा अनुमोदित योजना के अनुसार इक्विटी के सफल जुटाने के बाद एसएमई एक्सचेंज के माध्यम से पूंजी जुटाने के लिए किए गए व्यय का 20 प्रतिशत की एकमुश्त वित्तीय सहायता की पेशकश की जाएगी, जो अधिकतम 10 लाख रुपये होगी।
-ईआरपी समाधान और आईसीटी समाधान लागू करने के लिए 75 प्रतिशत की वित्तीय सहायता, क्रमशः 1 लाख रुपये और 5 लाख रुपये की अधिकतम सीमा के अधीन।
-इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) से औद्योगिक भवनों के लिए ग्रीन रेटिंग प्राप्त करने के लिए परामर्श शुल्क में किए गए व्यय की 50 प्रतिशत प्रतिपूर्ति, अधिकतम 4 लाख रुपये की वित्तीय सहायता के अधीन।