व्यवसाय विचार

टीडीबी ने रीसाइक्लिंग ऑन व्हील्स स्मार्ट ईआर के लिए 6 करोड़ रुपये की मंजूरी दी

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Sep 07, 2023 - 2 min read
टीडीबी ने रीसाइक्लिंग ऑन व्हील्स स्मार्ट ईआर के लिए 6 करोड़ रुपये की मंजूरी दी image
टीडीबी-डीएसटी ने मेसर्स इको रीसाइक्लिंग लिमिटेड के 'रीसाइक्लिंग ऑन व्हील्स स्मार्ट ईआर' के लिए 6.00 करोड़ रुपये की मंजूरी दी, जो स्थाई ई-वेस्ट सोल्यूशन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।

भारत में बढ़ते ई-वेस्ट को देखते हुए टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड (टीडीबी) ने मुंबई स्थित इको रीसाइक्लिंग लिमिटेड नामक कंपनी को उसके इनोवेटिव ई-वेस्ट प्रोजेक्ट के लिए छह करोड़ रुपये की घोषणा की है, जबकि इसकी कुल लागत 12 करोड़ रुपये है।

ई-वेस्ट से पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा हुए हैं। हैरानी की बात यह है कि भारत में केवल 20 प्रतिशत ई- वेस्ट औपचारिक रिसाइक्लिंग से गुजरता है, जबकि देश ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में आश्चर्यजनक रूप से 3.2 मिलियन टन ई-वेस्ट उत्पन्न किया है।

इस परियोजना का मूल 'रीसाइक्लिंग ऑन व्हील्स स्मार्ट ईआर' एक इनोवेशन दृष्टिकोण है जो ई-वेस्ट मैनेजमेंट में अंतराल को रोकने और पाटने का प्रयास करता है। परियोजना की कार्यप्रगति को अधिकतम दक्षता के लिए क्रम के अनुसार डिज़ाइन किया गया है:

1.साइट पर ई-वेस्ट ऑन व्हील्स सुविधा के पूर्व-प्रसंस्करण को तैनात करें।

2.ई-वेस्ट उपकरणों की स्कैनिंग ।

3.कटाई के लिए उपकरण ।

4.कटा हुआ पदार्थ सुरक्षित पिंजरे के नीचे श्रेडर के नीचे डिब्बे में गिरता है।

5.कटे हुए ई-वेस्ट का पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल संग्रह।

आज के बदलते नियामक परिदृश्य में यहां तक कि अनौपचारिक क्षेत्र भी अधिक औपचारिक ई-वेस्ट मैनेजमेंट के लिए खुला है। यह अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कौशल विकास की पेशकश करके उनके विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के साथ जोड़कर और पर्यावरणीय स्थिरता और बेहतर आजीविका दोनों के लिए प्रतिबद्धता दिखाकर सामान्य से परे है।

यह परियोजना विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड), अनुसंधान और विकास केंद्रों और इसी तरह के स्थानों की सेवा करती है, जो विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करती है। जो बात इस परियोजना को आम बनाती है वह यह है कि भारत में कोई समान "रिसाइक्लिंग ऑन व्हील्स" व्यवस्था नहीं है, यह एक पहल है। यह न केवल ई-वेस्ट मौनेंजमेंट में एक महत्वपूर्ण अंतर को भरता है, बल्कि समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने का भी वचन देता है।

कटे हुए ई-वेस्ट की विशेषता लागत और श्रम आवश्यकताओं को कम करते हुए परिवहन दक्षता को बढ़ाने की क्षमता में निहित है। इसके अतिरिक्त परियोजना के दूसरे चरण में कंपनी कीमती धातुओं को निकालने के लिए कटे हुए कचरे को संसाधित करने की कल्पना करती है, जिससे एक अर्थव्यवस्था की अवधारणा में मूल्यवान योगदान मिलता है।

टीडीबी के सचिव राजेश कुमार पाठक ने कहा की, टीडीबी को 'रिसाइक्लिंग ऑन व्हील्स सुविधा' के लिए मेसर्स इको रीसाइक्लिंग लिमिटेड के दूरदर्शी प्रस्ताव का समर्थन करने पर गर्व है। यह परियोजना 'अपशिष्ट मुक्त शहरों' की प्राप्ति और भारत में ई-वेस्ट चुनौती से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नवाचार, पर्यावरणीय स्थिरता और सकारात्मक सामाजिक प्रभाव को बढ़ावा देने के लिए हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है।

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