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- टेक्नोलाॅजी एक फोर्स मल्टीप्लायर है, जो शिक्षा को कई गुना प्रभावी बनाता है : विजय थडानी
फ्रेंचाइज इंडिया स्टार्टअप समिट-2023 में देश-विदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े व्यवसायियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान अलग-अलग विषयों पर पैनल चर्चा का आयोजन भी किया गया था, जिसमें अपने-अपने क्षेत्र की कई बड़ी हस्तियों ने पहुंचकर अपनी बात रखी। इन विशेषज्ञों में से कुछ ऐसे भी थे, जिनके ज्ञान की गंगा में नहाकर वहां मौजूद लोग खुद को खुशकिस्मत समझ रहे थे। ऐसी ही एक हस्ती रही- एनआईआईटी लिमिटेड के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर विजय थडानी।
विजय थडानी ने एजुकेशन और एडटेक समेत अपाॅरच्युनिटी इंडिया पर बतौर कीनोट स्पीकर अपनी बातें सामने रखीं। उन्होंने कहा- "एडटेक को लेकर पहले लोगों की सोच वैसी नहीं थी, जैसी कि आज है। इसमें काफी बदलाव देखने को मिला है। ऐसे में आज जिस मुद्दे पर बात की जानी चाहिए, वह है- भारत के पास वो कौन-कौन सी अपाॅरच्युनिटी है, जिसे एडटेक पर लागू किया जा सकता है। दूसरी बात जिस पर बात की जानी चाहिए, वह है- एजुकेशन और एडटेक। अपने आप में यह बहुत ही विशाल विषय है, इसलिए इसे दो भाग में बांट लेते हैं। शिक्षा (एजुकेशन) यानि जिसे हम फाॅर्मल एजुकेशन कहते हैं, जिसके अंतर्गत स्कूल, काॅलेज, मार्कशीट वगैरह... सबकुछ आता है और दूसरा, एडटेक सेक्टर, जिसके अंतर्गत ज्यादातर प्राइवेट संस्थान आते हैं, उनके पास किस-किस तरह की अपाॅरच्युनिटी है, आज इसी पर बात करते हैं।"
भारत के लिए एक खास और विशाल अवसर
शिक्षा, विशेषतः भारत के लिए एक खास और विशाल अवसर की तरह है। यह नीति-निर्धारण के लिए भी एक खास मौका है। नई शिक्षा नीति 2020 स्पष्ट करता है कि शिक्षा को किस तरह से न्यायसंगत, सुलभ और समान ढंग से सभी तक पहुंचाया जा सकता है। शिक्षा के क्षेत्र की बात करें तो हमारे देश में सबसे ज्यादा युवा हैं, जिनमें से 250 बिलियन केवल छात्र हैं। 25 करोड़ छात्र प्रतिदिन स्कूल जाते हैं। 1.5 मिलियन स्कूल हैं। यह एक विशाल दृश्य है। 52 हजार काॅलेज हैं। 11 हजार यूनिवर्सिटीज। 40 मिलियन 4 करोड़ छात्र यहां प्रतिदिन काॅलेज जाते हैं। लगभग पांच लाख छात्र यहां प्रतिवर्ष ग्रेजुएशन कर रहे हैं यानि यह एक विशाल स्थान है। भारत में 35 से 40 के करीब शैक्षणिक बोर्ड हैं। कई यूनिवर्सिटी हैं। छात्रों तक अपनी बात पहुंचाने के कई तरीके हैं। शिक्षा के मामले में भारत आज न केवल एक विशाल बाजार है बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा प्रयोगशाला भी है, जहां कई प्रयोग किए जा सकते हैं।
एडटेक निवेश की बात करें तो हमारे यहां 10 हजार 500 बेजोड़ एडटेक स्टार्टअप्स कंपनियां काम कर रही हैं। अगर हम नकारात्मकता की ओर ध्यान न दें तो 10,500 बेहतरीन दिमाग असल में हिस्सेदारी पहुंच और राजनीति (इक्विटी एक्सेस और पाॅलिटी) के बीच की दूरी को भरने और उनके बीच पुल की भांति काम करने की कोशिश कर रहे हैं। इसे हम एक बेहतरीन और जबरदस्त मौका कह सकते हैं।
टेक्नोलाॅजी एक फोर्स मल्टीप्लायर है
मेरा दूसरा मैसेज है कि टेक्नोलाॅजी एक फोर्स मल्टीप्लायर है यानि शिक्षा की पहुंच को कई गुना बढ़ाकर प्रभावी ढंग से लक्ष्य तक पहुंचाने का काम करता है तकनीक। हम जब एडटेक शब्द का प्रयोग करते हैं तो उसका अर्थ होता है, टेक एड और एड टेक। हम जब एडटेक शब्द का प्रयोग करते हैं तो इसका अर्थ होता है, टेक एड और एड टेक। टेक एड का अर्थ है- टेक्नोलाॅजी या एजुकेशन फोर टेक्नोलाॅजी यानि लोगों को यह सिखाना कि आखिर वे टेक्नोलाॅजी का प्रयोग किस तरह से करें? उदाहरण के तौर पर- मेरी कंपनी का 42 साल पुराना इतिहास है। टेक एड अपने आप में एक जबरदस्त मौका है। हमारे यहां साढ़े पांच मिलियन लोग काम करते हैं। टेक्नोलाॅजी बहुत ही तेजी से बदल रहा है। हर बार जब भी हम किसी एक व्यक्ति को टेक्नोलाॅजी के जरिए बदलते हैं तो ऐसा नहीं है कि उस वक्त केवल वह व्यक्ति बदल रहा होता है बल्कि उसी वक्त से वह देश की जीडीपी में अपना योगदान देना शुरू कर देता है। यह केवल आंतरिक मुद्दा नहीं है बल्कि निर्यात से भी जुड़ा है इसलिए कह सकते हैं कि टेक एड अपने आप में ही एक फोर्स मल्टीप्लायर है।
वहीं, एड टेक स्टार्टअप, स्टार्टअप सिस्टम या एंट्रप्रेन्योर सिस्टम के नाम से जाना जाता हैै, जो कि बीट और पहुंच (एक्सेस) को लगातार बढ़ाता है और तरीकों की नैतिकता (मोरालटी ऑफ मैथड्स) देता है, जिससे शिक्षा ज्यादा से ज्यादा पर्सनलाइज यानि व्यक्तिगत हो सके। एड टेक में इस बात की तस्दीक अच्छी तरह से कर ली जाती है कि अन्य चीजों के अलावा ज्यादा से ज्यादा छात्रों को इसका लाभ मिल रहा हो। साथ ही इस बात के लिए भी ध्यान दिया जाता है कि टैलेंट को रोजगार दिलाने के लिए पूरी तरह से तैयार किया जा सके।
शिक्षा और इंडस्ट्री के बीच एक गैप
शिक्षा और इंडस्ट्री के बीच एक गैप है। एडटेक सेक्टर में इस गैप को भरने के लिए यह तय कर लिया जाना चाहिए कि शिक्षा से जुड़े लोग युवा छात्रों को पहले दिन से ही इंडस्ट्री के लिए पूरी तरह तैयार कर सकें ताकि कंपनियां पहले दिन से ही अपने लिए बेहतरीन कर्मचारियों का चयन कर सकें। वे टेक्नोलाॅजी रेडिनेस के लिए अपनी तैयारी कर रहे हैं। वे अप स्किलिंग और डी स्किलिंग की ओर ध्यान दे रहे हैं और एडटेक सेक्टर के लिए उनका यह योगदान अभूतपूर्व कहा जा सकता है। एडटेक सेक्टर को इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए कि वे युवा छात्रों को नौकरी के लिए पूरी तरह से तैयार कर सकें। टेक्नोलाॅजी में हल्का सा बदलाव भी बहुत अधिक अंतर का कारण बन सकता है। जितने ज्यादा लोगों को आप टेक्नोलाॅजी के अनुसार बदलेंगे, उतनी ही तेजी से आप लगातार आगे बढ़ते रह सकते हैं। यह देश के लिए भी बेहतर कहा जा सकता है। एड टेक का इन सबमें अहम योगदान कहा जा सकता है।
अगर हम टैलेंट रेडिनेस की बात करें तो अप स्केलिंग या डी स्केलिंग और प्रतिदिन के नियमों की बात करें तो टेक्नोलाॅजी यानि तकनीक को सबसे ज्यादा स्वीकृति कोविड के दौरान मिला है। कोविड ने शिक्षा के क्षेत्र में वह बदलाव ला दिया, जो दूसरा कोई भी नहीं ला सका। पिछले 50 वर्षों में भी शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक को शामिल नहीं किया जा सका था, लेकिन कोविड के दौरान यह पूरी तरह से टेक्नोलाॅजी को अपनाने वाला पहला सबसे बड़ा क्षेत्र बना। एक ही रात में पूरी स्थिति बदल गई। एक ही रात में शिक्षक ऑनलाइन क्लासेस लेने के लिए पूरी तरह बाध्य हो गए। अचानक एक सुबह माता-पिता बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूल नहीं, बल्कि बैड रूम, किचन या ड्राइंग रूम में मोबाइल के सामने बिठाकर ऑनलाइन क्लासेस लेने या कहें कि पढ़ने-लिखने या सीखने भेजने के लिए बाध्य हो गए।
टेक्नोलाॅजी में तेजी से आ रहे हैं बदलाव
मेरे ख्याल से यह पीढ़ी अब पूरी तरह से टेक-सेवी हो चुकी है, जो किसी भी हाल में खुद को पूरी तरह से डिजिटलाइज कर चुकी है। लेकिन एडटेक को हर वक्त टेक्नोलाॅजी के मामले में पूरी तरह से अपडेटेड रहने की आवश्यकता है, क्योंकि टेक्नोलाॅजी में बहुत ही तेजी से बदलाव आ रहे हैं। टेक्नोलाॅजी का शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा योगदान है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि शिक्षा में टेक्नोलाॅजी का बिल्कुल वैसा ही महत्व है, जैसा कि टेक्नोलाॅजी में शिक्षा या मानसिकता का है। लेकिन अब जबकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जमाना आ चुका है और एआई जेनरेट करना हमें इस बात की चुनौती देने को तैयार है कि हम किस तरह से शिक्षा दे रहे हैं? तब पहली बात तो यह है कि यह हमारे लिए चुनौती बन रहा है, लेकिन दूसरी ओर यह हमारे लिए एक बेहतरीन मौका भी बन रहा है। एक शिक्षक के लिए यह उनकी क्षमता को कई गुणा बढ़ा देता है। अच्छे शिक्षकों की कमी को भूल जाइए, अगर हम बात करें कि एआई से क्या हो सकता है तो आप सोचिए। अगर हर अच्छे शिक्षक की क्षमता को 100 से या 200 से गुणा कर दिया जाए तो शिक्षा के क्षेत्र का तो पूरा हुलिया ही बदल जाएगा न! टेक्नोलाॅजी की वजह से ही तो यह संभव हो पाएगा।
डिजिकल एजुकेशन ने एक और महत्वपूर्ण चीज, जिसमें बदलाव किया, वह है- टेक्नोलाॅजी स्किल्स यानि तकनीकी कौशल या क्षमता। यकीनन तकनीकी कौशल महत्वपूर्ण है, लेकिन मानवीय क्षमताओं को बढ़ावा देना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। मानवीय कौशल और क्षमताओं को, जिसे हमने लंबे समय से हल्के में लेना शुरू कर दिया है, उसे हम बहुत लंबे समय तक हल्के में नहीं ले पाएंगे। यह एडटेक के लिए एक अन्य मौके की तरह समझा जाना चाहिए।
अंत में मैं कहना चाहुंगा कि कुछ अन्य सेक्टर्स भी ऐसे हैं, जहां टेक्नोलाॅजी और एडटेक, दोनों ने टेक्नोलाॅजी इंडस्ट्री और बैंकिंग फाइनानसिंग सर्विसेज इंडस्ट्री पर भी काफी प्रभाव डाला है। हालांकि, अब तो मैन्यूफैक्चरिंग, रिटेल, डिस्ट्रीब्यूशन, हर क्षेत्र पर इसका असर देखने को मिला है।
शाॅर्ट टर्म गेम नहीं है एडटेक
एडटेक कोई शाॅर्ट टर्म गेम नहीं है। यह एक लाॅन्ग टर्म गेम है। अगर आप गुणवत्ता नहीं देते हैं तो आपको बेहतर परिणाम नहीं मिल पाएगा। इससे पहले कि आप वाॅल्यूम के लिए जाएं, परिणाम के लिए आपको सब्र रखना होगा। फेल हो चुके एडटेक के हालातों पर गौर करें तो पाएंगे कि वे जल्द से जल्द केवल अपने विस्तार में पूरा ध्यान दे रहे थे। इस वजह से उन्होंने न तो गुणवत्ता का ध्यान रखा और न ही परिणाम के बारे में सोचना जरूरी समझा।
दूसरा, एडटेक का मूल लाभ यह है कि इसमें किसी भी क्लास को पर्सनलाइज एजुकेशन की भांति बना देने का गुण है, जिसमें हर एक छात्र को लगता है कि शिक्षक केवल उसी से बात कर रहा है। एडटेक के पास ऐसी क्षमता है। समाज और एडटेक, एडटेक और इंडस्ट्री, इंडस्ट्री और एकेडेमिक्स के बीच भरोसे की कमी है। किसी भी एडटेक व्यवसायी को मैं यह सलाह देना चाहुंगा कि तेजी से अपने विस्तार के बजाए उन्हें अपने गुणवत्ता और परिणाम पर ध्यान देने की जरूरत है।
आज भारत के पास यह मौका है कि वह पूरी दुनिया के लिए टैलेंट प्रोवाइडर बन सके यानि दुनिया को विशेष योग्यता मुहैया कराने वाला बने। एडटेक के पास मौका है कि वह भारत की इस विशेष योग्यता को लाभ पहुंचाने की वजह बने। भारत का यह नवाचार, जिसका कारण एड-टेक बना है, वैश्विक स्तर पर भारत के शैक्षणिक राजधानी होने के दावे को साबित करने को एक मौका देती दिख रही है।