व्यवसाय विचार

ट्रेडमार्क के बारे में कितना जानते हैं आप? अगर नहीं तो यहां पढ़ें ट्रेडमार्क संबंधित संपूर्ण जानकारी

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Oct 12, 2023 - 4 min read
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ट्रेडमार्क होता क्या है? क्यूं जरूरी होता है? इसका पंजीकरण कैसे होता है? क्या-क्या कागजात लगते हैं? अगर आपको भी इन सारे सवालों के जवाब चाहिए तो ये आर्टिकल पढ़ें....

ट्रेडमार्क के बारे में हम आए दिन सुनते रहते हैं लेकिन इसके बारे में विस्तार से शायद ही जानते हों, तो अगर आपको भी ट्रेडमार्क संबंधित बातें जाननी हैं मसलन ट्रेडमार्क क्या होता है? इसकी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया क्या है? क्यूं जरूरी है ट्रेडमार्क? तो फिर टेंशन मत लीजिए क्यूंकि इस आर्टिकल में हम आपको ट्रेडमार्क के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी दे रहे हैं।

ट्रेडमार्क जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है किसी व्यवसाय के लिए किसी चिह्न का होना तो ट्रेडमार्क पंजीकरण का प्रयोग मुख्यतः व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। ट्रेडमार्क में चिह्न, अभिव्यक्ति, प्रतीक या डिजाइन होती है, जो किसी विशिष्ट उत्पाद या सेवा की अलग पहचान को प्रदर्शित करता है। यह विशिष्ट पहचान अक्षर, संख्या, मोनोग्राम, थ्रीडी चिह्न, उपकरण, वर्णमाला, वाक्यांश, लोगो, ग्राफिक, चित्र, ध्वनि, गंध, रंग और प्रतीक सहित कुछ भी हो सकता है। ट्रेडमार्क पंजीकृत ट्रेडमार्क कंपनी की संपत्ति के लिए सुरक्षात्मक परत के रूप में कार्य करता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से व्यवसायों द्वारा ब्रांड, लोगो या फिर नाम के पंजीकरण के लिए किया जाता है। ट्रेडमार्क का आशय यह होता है कि कोई भी अन्य व्यवसायी किसी भी ब्रांड या व्यवसाय का लोगो, प्रतीक या चिह्न की नकल नहीं कर सकता।

ट्रेडमार्क के बारे में ये बातें भी जान लें

अगर किसी कंपनी ने ट्रेडमार्क पंजीकरण करवाया है तो यह उस कंपनी को सुरक्षा तो देता ही है साथ ही यह भी अधिकार देता है कि अगर किसी दूसरी कंपनी या व्यक्ति ने उसके नाम, चिह्न, प्रतीक या लोगो की नकल की तो उस पर मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है। अब जानते हैं कि कैसे कराया जाता है ट्रेडमार्क पंजीकरण? क्या है इसकी प्रक्रिया?

-सबसे पहले तो अपने ब्रांड का नाम देख लें, जो नाम आपने सोचा है, कहीं वह किसी और कंपनी का तो नहीं है? इसके लिए आवेदकों को एक बार ब्रांड के नामों की उपलब्धता के लिए सरकार की आधिकारिक वेबसाइट को चेक करना चाहिए।
- अगले चरण में ट्रेडमार्क के आवेदन पत्र के साथ कुछ जरूरी कागजात भी जमा करने होंगे। इनमें ट्रेडमार्क की सॉफ्ट कॉपी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयोग किये जाने वाले प्रस्तावित ट्रेडमार्क के दावे का प्रमाणपत्र और व्यवसाय पंजीकरण प्रमाण में कंपनी का प्रकार, कंपनी और निदेशकों का पता प्रमाण सहित, कंपनी के मालिक का पहचानपत्र, पैन कार्ड और आधार कार्ड शामिल है।

-अब बारी है आवेदन पत्र भरने की तो इसे दो तरह से भरा जा सकता है। पहला तो है मैन्युअल, इसमें आवेदक को दिल्ली, अहमदाबाद, चेन्नई, मुंबई और कोलकाता में स्थापित ट्रेडमार्क्स रजिस्ट्रार कार्यालय में अपना आवेदन पत्र जमा करना होगा। दूसरी प्रक्रिया है ई-फिलिंग की। इसमें आवेदक सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन पत्र भर सकता है। आवेदक को पावती रसीद भी तुरंत ही प्राप्त हो जाती है। साथ ही वह जिस ब्रांड या नाम के लिए आवेदन कर रहा है, उसके नाम के आगे वह ट्रेडमार्क प्रतीक का उपयोग भी कर सकता है।
-आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद रजिस्ट्रार इसकी जांच करता है। रजिस्ट्रार यह देखता है कि जिस ब्रांड नाम के लिए आवेदन किया गया है, कहीं वह किसी और ने रजिस्टर तो नहीं करवाया या कोई आपत्ति तो नहीं है उस नाम को लेकर। जांच की यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद आवेदकों को प्रस्तावित नाम चुनने की अनुमति दे दी जाती है।
-नाम चुनने की अनुमति के बाद रजिस्ट्रार प्रस्तावित ब्रांड नाम को भारतीय ट्रेड मार्क जर्नल में प्रकाशित करता है। प्रकाशन की तारीख से 3 महीने या 120 दिन तक यह देखा जाता है कि इंडियन ट्रेड मार्क जर्नल की ओर से कोई विरोध तो नहीं दर्ज किया गया। यदि विरोध नहीं होता तो रजिस्ट्रार ट्रेडमार्क रजिस्ट्री की मुहर के साथ ही पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी कर देता है। पंजीकरण प्रमाण पत्र मिलते ही ट्रेडमार्क आवेदक अपने ब्रांड के नाम के आगे पंजीकृत चिह्न या लोगो का प्रयोग कर सकता है।
-ट्रेडमार्क जहां कंपनी को कानूनी सुरक्षा या विशिष्ट पहचान देता है वहीं इसपर नवीनीकरण का भी नियम लागू किया गया है। ट्रेडमार्क को हर दस साल में नवीनीकृत कराए जाने का नियम है। नवीनीकरण की समय सीमा की समाप्ति के बाद पंजीकरण रद्द भी हो जाता है।

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ट्रेडमार्क पंजीकरण के लिए जरूरी हैं ये कागजात भी, गलती से न भूलें

-ट्रेडमार्क आवेदक का पहचान प्रमाण पत्र होना चाहिए, इसमें आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र या फिर पासपोर्ट में से कोई भी प्रमाण पत्र हो सकता है
-कंपनी या फिर जिस व्यवसाय का प्रकार यानी कि प्राइवेट लिमिटेड, पब्लिक लिमिटेड, एकल स्वामित्व, साझेदारी या फिर एलएलपी यानी कि सीमित देयता भागीदारी की जानकारी
-व्यापार का उद्देश्य, रणनीतियों के साथ तैयार की गई हुई अच्छी व्यवसायिक योजना
-आवेदक या फिर व्यवसाय का पता प्रमाणपत्र सहित
-ब्रांड का नाम, लोगो या फिर कोई प्रतीक जो लागू हो
-व्यापार या फिर कंपनी का निगमन प्रमाणपत्र
-पंजीकरण पता, हस्ताक्षरित प्रपत्र टीएम-48
-एमएसएमई या स्टार्टअप मान्यता

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