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- डिजाइन स्कूल में प्रवेश करना हो सकता है फायदेमंद अवसर, जानें कैसे
परंपरागत रूप में भारत में डिजाइन का प्रचलन कई सदियों पुराना है। भारतीय डिजाइन की क्षमता इसकी गहरी सांस्कृतिक जड़ों और इसके बढ़ते आर्थिक स्थिति के कारण हैं। कई सालों के बाद भारत में डिजाइन शिक्षा परिपक्व हुई है और अब ये तेजी से विकास कर रही है। 2020 तक भारत में डिजाइन शिक्षा का संभावित बाजार 188.32 बिलियन रूपए अनुमानित किया जा रहा है। इसलिए डिजाइन स्कूल में व्यवसाय शुरू करना वाकई में एक फायदेमंद अवसर हो सकता है। यहां कुछ कारण बताएं जा रहे हैं कि क्यों आपको एक डिजाइन स्कूल की शुरुआत करनी चाहिए।
विकास
डिजाइन के कोर्सों का चुनाव और डिजाइन कोर्स करने वाले इच्छुक छात्रों दोनों की संख्या में उछाल आया है। डिजाइन शिक्षा के संस्थानों में विकास ने भी डिजाइन इंस्टीट्यूट में प्रवेश करने की बाधा को कम करने में योगदान दिया है। इसके अलावा भारत में मध्यम आय वर्ग का समग्र आर्थिक विकास भारत में खपत को बढ़ाता है। 2025 तक मध्यम आय वर्ग का आकार एक बिलियन से ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। सकारात्मक जन-समूह को देखते हुए, शिक्षा के महत्व की बढ़ती जागरूकता, जानने-समझने का खुलापन और वैकल्पिक करियर का पता लगाने और उच्च शिक्षा पर अधिक खर्च करने की प्रवृत्ति, कुछ ऐसी कारण हैं जो भारत में डिजाइन शिक्षा का सेक्टर आने वाले सालों में बहुत ही आकर्षक बनाने वाले है।
अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन
बहुत से अंतर्राष्ट्रीय देश जैसे अमेरिका, इटली आदि भारतीय संस्थानों के साथ गठबंध करने के पक्ष में हैं। इस क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन के अवसर डिजाइन शिक्षा के उभरते डोमेन में आला कार्यक्रमों के विकास करने और डिलीवर करने के क्षेत्र में है। छात्र इन गठबंधन वाले प्रोग्रामों के अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता और अन्य पहलूओं के प्रति रूचि दिखा रहे हैं। इसलिए ज्यादा मास्टर्स प्रोग्राम और पीएचडी प्रोग्राम अपने डिजाइन स्कूल में पेश करें। आगे चलकर यहीं आपके अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन की संभावनाओं को बढ़ाएंगे।
सरकारी पहल
भारत सरकार ने डिजाइन शिक्षा के प्रति अपना सहयोग बढ़ाते हुए बहुत से कदम उठाने की घोषणाएं कर रहे हैं और उन्हें अपना रहे हैं जैसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, डिजाइन इनोवेशन सेंटर्स, डिजाइन एजुकेशन क्वालिटी मार्क और नेशनल एप्टीट्यूट टेस्ट फॉर डिजाइन।भारतीय सरकार ने भारत के एशिया के सबसे बड़े शिक्षा केंद्र बनने के मिशन को पूरा करने में विदेशी यूनिवर्सिटियों की भूमिका को पहचान लिया है और यही कारण है कि आने वाले समय में इस दिशा में बहुत सी योजनाओं के आने के सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।