स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर, भारत दुनिया के उन अग्रणी देशों में से एक है जहां डिजिटल भारत के लिए अनगिनत संभावनाएं हैं। इसने खुद को उद्यमियों, निर्माताओं और टेक्नोलॉजी सेवाओं के रूप में स्थापित किया है। भारत को अपनी वास्तविक क्षमता का एहसास करने और एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, इसे छोटे व्यवसायों के डिजिटलीकरण की गति बढ़ाने, अधिक रोजगार सृजित करने और खुद को मैन्युफैक्चरिंग और इनोवेशन का केंद्र बनाने की आवश्यकता है।
अमेजन संभव समिट 2 दिन यानी की 18 से 19 मई 2022 तक चला। इस सम्मेलन में लघु व्यवसाय डिजिटलीकरण, निर्यात और स्टार्ट अप सक्षमता, नवाचार, कौशल और रोजगार सृजन के प्रमुख विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसकी टैग लाइन 'प्रगति कर दिशा में' थी।
इस समिट में टैक्नॉलोजी के विषय पर बात की गई कि जिन बच्चों को दिखाई नही देता वह कैसे टेक्नोलॉजी डिवाइस का लाभ उठा सकते है और ज्यादा से ज्यादा ज्ञान प्राप्त कर सकते है।
महामारी विकलांगों के लिए विशेष रूप से कठिन समय रहा था। आमिर खान एक ब्लाइंड बच्चा है जिसने शिक्षा और अन्य पहुंच सुविधाओं की सहायता के लिए इको उपकरणों की खोज की।
नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (एनएबी) द्वारा सहायता प्राप्त,मास्टर प्रशिक्षकों के एक समूह ने लखनऊ, बस्ती और गोरखपुर में उत्तर प्रदेश के 10 स्कूलों में दृष्टिबाधित 2000 से ज्यादा नेत्रहीन बच्चों को एलेक्सा के उपहार को साझा करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया।
मां गायत्री इंटर कॉलेज के एक छात्र आमिर खान ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि मै 18 वर्ष का हूं। मै 10वीं की पढाई मॉ गायत्री इंटर कॉलेज कप्तानगंज बस्ती से कर रहा हूं। उन्होने अपने परिवार के बार में बताते हुए कहा कि मेरे परिवार में पापा, मम्मी और मेरी 5 बहने है जो पढाई करती है और मै ब्लाइंड हूं। शुरूआत में मेरी पढाई स्टार्टेड विधालय से हुई जहा पर में टीचर की बात सुनकर पढ़ता था और फिर मेरे एक टीचर मुझे घर आकर ब्रेन लिपी में पढाते थे। मै अक्षरों को टच करके पढ़ता था।
कोविड में नेत्रहीन बच्चों के लिए लैपटॉप एक बड़ी चुनौती
यूपी ब्राच में नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड (एनएबी) के वाइस प्रेसिडेंट गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा हम लोग पिछले 20 वर्षो से नेत्रहीन और दिव्यांगत बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर उन्हे सक्षम और सशक्त बना रहे है। कोरोना काल में ऑनलाइन एजुकेशन ने काफी अच्छी भूमिका निभाई है लेकिन इससे ऐसा महसूस हुआ की नेत्रहीन बच्चों के लिए डिजिटल डिवाइस खास नही है, खासकर स्मार्टफोन, लैपटॉप जैसी चीजो का उपयोग न होना एक बड़ी चुनौती थी यानी की कोविड के कारण विकलांग बच्चों को एक बड़े डिजिटल विभाजन का सामना करना पड़ा। उस बड़ी चुनौती के समय में एलेक्सा डिवाइस हमारे ध्यान में आई और इसका उपयोग करने के बाद मुझे ऐसा एहसास हुआ की यदि इसको हम नेत्रहीन बच्चों के बीच लेकर जाते है तो उनके एजुकेशनल ज्ञान को बढाने में एक अच्छी डिवाइज साबित हो सकती है। इसी उद्देश्य से हमने प्रयास करना शुरू किया और निश्चित तौर पर एलेक्सा अमेजन की इंडिया टीम का बहुत ही ध्नयावाद करते है, जिन्होने हमारी इस पहल का स्वागत किया और हम नेत्रहीन बच्चों के बीच इस डिवाइज को लेजाकर उनकी क्षमताओ से उन्हे अवगत करा सके और उसका प्रभाव उनके बीच में स्थापित कर सके। एनएबी एक अद्वितीय शिक्षण वातावरण बनाने के लिए सरकारी और निजी संस्थानों के साथ संपर्क करता है।
ब्लाइंड बच्चों के लिए एलेक्सा डिवाइस मददगार
शिक्षित युवा सेवा समिति के स्पेशल एडुकेटर राकेश कुमार सोनी ने कहा कि मै ब्लाइंड हूं मेरा गाव बक्सर मे है जो बस्ती जिले से करीब 12 किलोमीटर दूर है। मैने अब्राली, टेलीफ़्रेम और अबेकस के माध्यम से अपनी पढाई पूरी की है। मै बस्ती जिले में एसवॉयएसएस के माध्यम से बच्चों को शिक्षा दे रहा हूं। एलेक्सा डिवाइस हमारे बीच में टीचीग टूल के रूप में आया जिसके बारे मे मैने आमिर खान को बताया और इस डिवाइज से उन्हे बहुत फायदा मिला। उन्होने आगे कहा समय देकर मेहनत से पढाई करे ताकि बोर्ड का एग्जाम आपका अच्छा हो।
कोरोना काल में एलेक्सा डिवाइज कैसे फायदेमंद
आमिर खान ने एलेक्सा डिवाइज के बारे में बताते हुए कहा कि इस डिवाइज को 6 महिने पहले सिखाया गया और जिस कोरोना काल में हमारे पास कुछ भी उपलब्ध नही था, उस समय यह डिवाइज हमारे बहुत काम आई। उन्होने अपने टीचर शुक्ला और रकेश सोनी का नाम लेते हुए कहा कि सर ने हमारे घर आकर इस डिवाइज को सिखाया और एगजाम से पहले तैयारी भी करवाई। ब्लाइंड बच्चों को इस माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने मे काफी मदद मिली। इस डिवाइज से आप न्यूज सुन सकते है, जनरल नॉलेज के क्वेश्चन पूछे जा सकते है, मनोरंजन के लिए गाना सुन सकते है, इसलिए एलेक्सा डिवाइज सभी के लिए महत्तवपूर्ण और बहुत उपयोगी भी है।
एलेक्सा डिवाइज कम्युनिकेशन स्किल में लाभदायक
गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने इस डिवाइज के बारे में कहा की जब हमने इसका उपयोग किया तो यह देखा की ब्लाइंड बच्चो के अलावा दूसरे डिसेबिलिटी के बच्चों में भी इस डिवाइज ने अच्छा प्रभाव डाला है, यह उनके कंसनट्रेशन को बनाने उनके एक्ता को बढ़ाने में मददगार है। बच्चों के पेरेंटस ने कहा यह डिवाइज कम्युनिकेशन स्किल में भी बहुत लाभदायक है।
बच्चे शिक्षा के साथ-साथ मनोरंजन का भी लुफ्त उठा सकते है
राकेश कुमार सोनी ने कहा एलेक्सा एक तरह से चलाए जाने वाली अच्छी डिवाइज है। ट्रेनिंग लेने के बाद उसे चलाया जा सकता है। यह मनोरंजन और शिक्षा दोनों के लिए बनाया गया एक उपकरण है। गोरखपुर के सरकारी गर्ल्स ब्लाइंड इंटर कॉलेज की पांचवी कक्षा की छात्र श्वेता ठाकुर ने बताया जब से एलेक्सा आया है हमे बहुत कुछ सिखने को मिला है जैसे जीके, गाना भी सुन सकते है, देश- प्रदेश की खबर भी जान लेते है और हमारे देश में क्या चल रहा है क्या नही इस डिवाइज से यह भी जान लेते है।
इस सेशन के आखिर में आमिर खान ने अपने स्कूल के कुछ पलो के बारे में बताते हुए कहा की मुझे स्कूल जाना ज्यादा अच्छा लगता है क्योकि काफी दोस्त और टीचर से मुलाकात हो जाती है। वहा तमाम स्टूडंस की बीच मुझे बैठना अच्छा लगता है और टीजर हमे गाइंड करते है और पढ़ाई में हमे अपनी टीचरों का सहयोग भी मिलता है। इसके अलावा एलेक्सा डिवाइज से पढाई करने में हमे काफी अच्छा लगता है। इस डिवाइज से सवाल जवाब करने में काफी अच्छा लगता है और उन्होने बताया की इस डिवाइज पर मुझे सबसे अच्छा गाना “कोई दिवाना कहता है कोई पागाल समझता है” बहुत अच्छा लगता है।