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- तीन महीने में खत्म हो जाएंगी बायजूस की सारी दिक्कतें : रवींद्रन
आए दिन दिक्कतों का सामना कर रही बायजूस की हाल ही संपन्न हुई बैठक
बैठक में कंपनी में चल रही परेशानियों से जल्द ही निपटने की तय की गई रणनीति
कंपनी के सीईओ रवींद्रन ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर की चर्चा, कहा जल्द ही खत्म हो जाएंगी ये सभी दिक्कतें
कोविड के बाद से एडटेक कंपनी बायजूस की दिक्कतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। आए दिन किसी न किसी दिक्कत को लेकर कंपनी का नाम खबरों में बना ही रहता है। ऐसे में कंपनी के सीईओ ने हाल ही में एक बैठक की और सभी कर्मचारियों को यह भरोसा दिलाया कि वह जल्द से जल्द इन सारी समस्याओं का हल निकाल लेंगे। यही नहीं उन्होंने यह भी घोषणा की केवल तीन महीनों में ही कंपनी इन सारी परेशानियों से निजात पा लेगी और किसी विजेता की तरह उभरेगी। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में रवींद्रन ने कंपनी के सामने जो चुनौतियां हैं, उन्हें लेकर भी बात की।
बैठक में रवींद्रन ने कहा कि एक सच्चा उद्यमी एक युद्ध के सैनिक की तरह होता हैं। बायजूस जिस दौर से गुजर रहा है, वह कंपनी के लिए किसी युद्ध से कम नहीं है क्यूंकि यहां भी युद्ध स्थल की कोई न कोई परेशानी लगी ही है। ऐसे में बायजूस उनका डटकर मुकाबला कर रहा है। यह हमारे लिए बड़ी बात है। इसके बाद रवींद्रन ने कंपनी के समक्ष पांच चुनौतियों पर चर्चा की। इसमें पहली चुनौती टर्म लोन बी (टीएलबी) से जुड़ा मुकदमा थी। इसे लेकर उन्होंने कहा कि इस चुनौती का समाधान एपिक की बिक्री के बाद किया जाना चाहिए, जो अमेरिका में बायजूस की सहायक कंपनी है। उस बिक्री से कंपनी को वर्तमान में जिस तरलता संकट का सामना करना पड़ रहा है, उसे प्रबंधित करने में भी मदद मिलेगी। दूसरी चुनौती प्रवर्तन निदेशालय से मिले नोटिस की है। इसे लेकर रवीन्द्रन ने कहा कि नोटिस विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत प्रक्रियात्मक कमियों से संबंधित है और इनमें से अधिकांश मुद्दों को पहले ही संबोधित किया जा चुका है।
तीसरी चुनौती वित्तीय वर्ष 2023 वैधानिक ऑडिट को बंद करने से संबंधित है, जो जल्द ही पूरा होने की राह पर है। चौथी चुनौती आकाश एजुकेशनल सर्विसेज (एईएसएल) के खिलाफ उठाए गए डेविडसन केम्पनर (डीके) ऋण से संबंधित मुकदमेबाजी थी, जिसे अब रंजन पई द्वारा ऋण लेने के साथ हल कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि आकाश अब एक आशाजनक प्रवेश सत्र के लिए तैयार है। पांचवीं और अंतिम चुनौती समूह स्तर पर लाभप्रदता प्राप्त करने के लिए संसाधन अनुकूलन से निपटने के बारे में है। इस बारे में रवींद्रन ने व्यवसाय पर इन कटौतियों के प्रभाव को कम करने के तरीके खोजने के महत्व पर जोर दिया और टीम के प्रत्येक सदस्य से व्यवसाय की गति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया।
इन चुनौतियों के लिए अलावा कंपनी के सामने कर्मचारी बकाया, विक्रेता भुगतान, कर विभाग दायित्वों और बीसीसीआई बकाया का निपटान करने की भी समस्या है। इसके लिए बायजूस को मार्च तक 500-600 करोड़ रुपये नकद की जरूरत है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए कंपनी संपत्ति की बिक्री या आकाश या थिंक एंड लर्न में अपनी हिस्सेदारी गिरवी रखकर यह राशि जुटाने के लिए प्रयासरत है। इन सारी समस्याओं से निपटने के लिए रवींद्रन ने पारदर्शिता बनाए रखते हुए यानी कि कंपनी के कर्मचारियों के सामने उन्होंने खुलकर सभी चुनौतियों और उनके निपटान के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे मे खुलकर बात की। यही नहीं उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि वह अब अपने शब्दों को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं कहते। उन्होंने स्वीकार किया कि फिलहाल बायजूस ने सभी चुनौतियों को पार नहीं किया है और अभी भी अपनी पिछली स्थिति में वापस नहीं आया है, लेकिन टीम को आश्वासन दिया कि कंपनी जल्दी ही इन सभी समस्याओं से उबर आएगी।
उन्होंने कहा कि जून-जुलाई के आसपास कंपनी के सामने कुछ ज्यादा ही चुनौतियां आ गई थीं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कंपनी हार मान लेगी बल्कि पूरी कोशिश के साथ इन समस्स्याओं का सामना करने हुए इन्हें सुलझाने की हर संभव कोशिश जारी है। रवींद्रन ने कर्मचारियों की छंटनी को लेकर कहा कि इससे वह भी दुःखी थे लेकिन लगातार अप्रत्याशित संकटों से निपटने के लिए उन्हें कुछ ऐसे भी कदम उठाने पड़े। हालांकि अब वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि कंपनी में दोबारा ऐसी कोई स्थिति न बनें जो कर्मचारियों के लिए भी तकलीफदेय हो और उनके लिए भी। इस बैठक में भारत में बायजूस के सीईओ अर्जुन मोहन भी मौजूद थे। उन्होंने कंपनी के प्रति अपनी जवाबदेही में कंपनी में सही आकार के कार्यबल के साथ कंपनी के टर्नअराउंड बिजनेस प्लान को साझा किया। इस दौरान उन्होंने बायजूस 3.0 में अधिकतम बिक्री के बिना सही उत्पादों को सही लोगों को बेचने के दृष्टिकोण को अपनाने की बात की।
कंपनी को समय न दे पाने का है मलाल
बैठक में शामिल रवींद्रन ने कंपनी को समय न दे पाने के लिए सभी से माफी मांगी। साथ ही यह भी कहा कि कंपनी के लिए यह वर्ष काफी संघर्षमय रहा है, लेकिन उम्मीद है कि सही रणनीति के साथ कंपनी जल्दी ही वापसी करेगी। समस्याओं की बात करें ताूे बायजूस को 2022 की शुरुआत से लेखांकन अनियमितताओं, पाठ्यक्रमों की कथित गलत बिक्री और बड़े पैमाने पर छंटनी जैसे कई मोर्चों पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। फंडिंग में मंदी और ऑनलाइन शिक्षण सेवाओं की गिरती मांग के कारण कंपनी ने पिछले 12 महीनों में हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। तब कंपनी के निवेशक बोर्ड सदस्यों ने भी रवींद्रन के साथ मतभेदों का हवाला देते हुए छोड़ दिया। यह वह समय है जब से बायजूस लगातार इन सभी समस्याओं से उबरने की कोशिश कर रही है। फिलहाल इसके शुरुआती निवेशक रंजन पई ने पूंजी लगाई, मोहनदास पई और रजनीश कुमार जैसे दिग्गजों के साथ एक सलाहकार परिषद की स्थापना की और अर्जुन मोहन को सीईओ बनाया। अब यह ग्रेट लर्निंग और एपिक जैसी संपत्तियों को बेचने के लिए भी बातचीत कर रहा है। इन सभी तय रणीनीतियों से यह उम्मीद लगाई जा रही है कि रवींद्रन ने जैसा कि तीन महीनों में कंपनी के उबरने की बात कही है, वह इसपर खरे उतरेंगे।