ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) पहल के तहत नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल् (एनएचईवी) द्वारा 270 किलोमीटर लंबे दिल्ली- जयपुर एक्सप्रेसवे पर ई-वाहनों के लिए टेक ट्रायल रन शुरू किया गया है। इस ट्रायल रन का उद्देश्य 270 किलोमीटर दिल्ली-जयपुर हाईवे के साथ ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर की आर्थिक व्यवस्था को समझा जा सके। इस टेक-ट्रायल रन का पहला चरण पिछले साल एनएचईवी द्वारा दिल्ली-आगरा के बीच यमुना एक्सप्रेसवे हाईवे पर शुरू किया गया था।
नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रोग्राम डायरेक्टर अभिजीत सिन्हा ने कहा दिल्ली-आगरा हाइवे पर हमारे पिछले टेक-ट्रायल रन ने 210 किलोमीटर की दूरी तय की और दूसरा ट्रायल रन दिल्ल – जयपुर हाइवे पर हुआ जिसने 278 किलोमीटर की दूरी तय की। इसने टेक्निकल और कमर्शियल दोनों पहलुओं को टेस्ट किया। ये टेस्टिंग भारतीय हाईवे को ईवी-हाईवे में बदलने में सुविधा प्रदान करेगा।
इलेक्ट्रिक हाइवे पर उन्होंने बात करते हुए कहा कि इस कॉमर्शियल ट्रायल के बाद देश के पहले 500 किलोमीटर के इलेक्ट्रिक हाइवे बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। इस ट्रायल में प्रत्येक स्तर के भागीदारों के हितों को सुरक्षित करने की तैयारी है, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के यूजर, ऑपरेटर, निवेशक और केंद्र सरकार प्रमुख रूप से हैं। इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने के लिए अभी 50 लाख रुपये प्रति किमी का खर्चा आ रहा है। इस ट्रायल के दौरान इसे कम करने की भी प्लानिंग है। ताकि कम समय में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक हाईवे बनाए जा सकें।
एनएचईवी न्यूगो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी कोच का पार्टनर है जो बसों का उपयोग टेक ट्रायल रन के लिए कर रहा है। यह ट्रायल रन एक महीने के लिए चलेगा। इसमें हाईवे पर इलेक्ट्रिक व्हीकल से जुड़े सभी पहलुओं को शामिल करने की तैयारी है। इन ट्रायल के समय इलेक्ट्रिक व्हीकल की तकनीकी, आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक व्यवहार्यता का भी अध्ययन किया जाना है।
दिल्ली रिसर्च एम्पलेमेंटेशन एंड एनोवेशन (डीआरआईआईवी) विंग ने भी अपने 4 इलेक्ट्रिक वाहन ट्रायल में शामिल किए हैं। यह विंग सिटी नॉलेज इनोवेशन क्लस्टर के रूप में काम करती है। जो इलेक्ट्रिक हाइवे के परिचालन को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी और भारत सरकार को सौंपेगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार एनएचईवी को लेकर अगला फैसला लेगी।