केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने देश की पहली ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस को लॉन्च किया। पुरी ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन को भविष्य का फ्यूल माना जाता है। हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले वाहन को भरने में उतना ही समय लगता है जितना पेट्रोल-डीजल वाहन को भरने में लगता है। वर्ष 2050 तक हाइड्रोजन की वैश्विक मांग चार से सात गुना बढ़कर 500-800 मिलियन टन होने की उम्मीद है।
सरकार दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में 15 और फ्यूल सेल बस चलाने की योजना बना रही है। पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत पीएसयू 2030 तक लगभग 1 एमएमटीपीए ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सक्षम होंगे। पुरी ने कहा कि भारत हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात में वैश्विक चैंपियन होगा और ग्रीन हाइड्रोजन केन्द्र के रूप में उभरने के लिए तैयार है।
ग्रीन हाइड्रोजन बस एक शून्य-उत्सर्जन वाहन है जो बिजली उत्पादन के लिए हाइड्रोजन और हवा का उपयोग करता है। हाइड्रोजन का प्रयोग फ्यूल सेल के लिए फ्यूल के रूप में किया जा सकता है। इलेक्ट्रोकेमिकल प्रतिक्रिया एनोड पर फ्यूल (हाइड्रोजन) और कैथोड पर हवा से ऑक्सीजन को पानी में बदलती है और इलेक्ट्रॉनों के रूप में विद्युत ऊर्जा पैदा करती है। बैटरी वाहनों की तुलना में फ्यूल सेल वाहनों में लंबी दूरी और कम फ्यूल भरने की जरूरत होती है।
ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस की परियोजना टाटा मोटर्स के सहयोग से इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) द्वारा शुरू की गई है। इंडियन ऑयल ने दिल्ली, हरियाणा और यूपी में चिन्हित मार्गों पर ग्रीन हाइड्रोजन द्वारा संचालित 15 फ्यूल सेल बसों के परिचालन परीक्षण करने के लिए एक वैज्ञानिक रूप से डिजाइन कार्यक्रम शुरू किया है। इंडियन ऑयल ने आरएंडडी फरीदाबाद परिसर में एक अत्याधुनिक वितरण सुविधा भी स्थापित की है जो सौर पीवी पैनलों का उपयोग करते हुए इलेक्ट्रोलिसिस से प्रोड्यूस ग्रीन हाइड्रोजन को फ्यूल दे सकती है।