व्यवसाय विचार

देश के इन हिस्सों में दोगुना हुई किसानों की आय

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jul 18, 2022 - 4 min read
देश के इन हिस्सों में दोगुना हुई किसानों की आय image
एसबीआई की एक रिपोर्ट का कहना है कि कुछ उत्पादों के मामले में देश के कई हिस्सों में पिछले चार वर्षों के दौरान किसानों की आय दोगुना हुई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 फरवरी, 2016 को उत्तर प्रदेश में आयोजित एक रैली के दौरान वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य की पहली बार घोषणा की थी। हालांकि कोरोना वायरस के रूप में एक अप्रत्याशित बाधा आई और कई उद्योगों में मार्च, 2020 के आखिरी सप्ताह से लेकर लगभग एक वर्ष तक परिचालन लगभग ढप सा रहा। फिर भी, एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश के कुछ हिस्सों में, किसानों की औसत आय बीते चार वर्षों के दौरान दोगुना हुई है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट कहती है कि किसानों की औसत आय कुछ राज्यों की चुनिंदा कुछ फसलों के मामले में दोगुना हुई है, जबकि कई उत्पादों के मामले में आय 1.7 गुना तक बढ़ गई है।

अध्ययन में यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 के तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में कुछ राज्यों के कुछ फसलों में किसानों की आय दोगुना हो गई है। महाराष्ट्र के सोयाबीन उत्पादक और कर्नाटक के कपास उत्पादक उनमें से कुछ हैं।

यह भी पाया गया है कि नकदी फसलों की खेती कर रहे किसानों ने गैर-नकदी फसल उगाने वालों की तुलना में विकास की तेज विकास का अनुभव किया है। वर्ष 2022-23 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य किसान कल्याण गतिविधियों को शुरू करने, कृषि संकट को कम करने और किसानों और गैर-कृषि पेशे में काम करने वालों की आय के बीच समानता लाने का एक प्रयास था। इसका लक्ष्य एक ऐसे मंच पर जोर देना भी था जो विकास के अगले चरण के लिए विश्वास की छलांग सुनिश्चित करता है।

महाराष्ट्र के गन्ना और सोयाबीन किसान

महाराष्ट्र के किसानों की आय के मामले में अत्यधिक वृद्धि देखी गई है और वास्तव में सरकार के दोगुनी आय के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। केवल सोयाबीन उत्पादों की बात करें तो, वित्त वर्ष 18 में उनकी औसत आय प्छत् 1.89 लाख थी जो वित्त वर्ष 22 में सीधे 2.0 गुना वृद्धि दर्ज करते हुए प्छत् 3.80 लाख तक पहुंच गई, साथ ही गन्ना उगाने वाले किसानों की औसत आय वर्ष 2018 में 2.79 लाख थी वही वित्त वर्ष 22 में 3.89 लाख रुपये तक पहुंच गई।

कर्नाटक कपास और धान किसान

कर्नाटक की एक प्रमुख नकदी फसल कपास ने इसे उगाने वालों की आय में दो गुना वृद्धि दी है। कर्नाटक में कपास उत्पादकों की औसत आय वित्त वर्ष 2018 में 2.67 लाख थी वही वित्त वर्ष 22 में 5.63 लाख तक पहुंच गई हैं। जबकि धान जैसी गैर-नकद फसलों में तुलनात्मक रूप से कम वृद्धि देखी गई है।

इस वृद्धि में क्या योगदान दिया है

इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सरकार ने एमएसपी में वृद्धि, फसल बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड और मृदा स्वास्थ्य कार्ड पर ध्यान केंद्रित करने, राष्ट्रीय कृषि को बढ़ावा देने जैसे उपायों की घोषणा की है।

किसानों की आय बढ़ाने के लिए बाजार (ई-एनएएम) और फूड पार्क, गैर-बैंकिंग वित्तीय निगमों और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों में संस्थागत ऋण के कवरेज को बढ़ाने के साथ-साथ स्वयं सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठनों जैसे एकत्रीकरण और सामूहिक उपाय किया हैं।

भारत में कृषि का विवरण

कृषि भारत की लगभग 58 प्रतिशत आबादी के लिए जीविका प्रदान करती है। वित्त वर्ष 2015 में कृषि, वानिकी और मत्स्यपालन से प्छत् 19.48 लाख करोड़ (276.37 बिलियन डॉलर) मूल्य के उत्पादन का अनुमान था। वित्त वर्ष 2021-22 के प्रथम अग्रिम अनुमानों के अनुसार, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की मौजूदा कीमतों पर कुल सकल मूल्य वर्धित (ग्रॉस वैल्यू एडेड या जीवीए) का 18.8 प्रतिशत हिस्सा है। महामारी के मंदी बाद भारत में उपभोक्ता व्यय 6.6 प्रतिशत तक की गति से बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में कृषि और संबंधित क्षेत्रों में स्थिर कीमतों पर 3.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

मूल्यवर्धन की अपनी विशाल क्षमता के कारण, विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण व्यवसाय में, भारतीय कृषि उद्योग बड़े पैमाने पर विस्तार के लिए तैयार है, जिससे वैश्विक स्तर पर इसका योगदान बढ़ रहा है।

भारतीय खाद्य और किराना बाजार दुनिया का छठा सबसे बड़ा बाजार है, जिसमें खुदरा बिक्री कुल बिक्री का 70 प्रतिशत है। भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 32 प्रतिशत का योगदान है। पूरे खाद्य बाजार का प्रतिशत और उत्पादन, खपत, निर्यात और अपेक्षित वृद्धि के मामले में पांचवें स्थान पर है।

डीजीसीआईएंडएस के त्वरित अनुमान के आंकड़ों के अनुसार, एपीडा के दायरे में उत्पादों का समग्र निर्यात (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य) उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के अनुसार अप्रैल-जून 2022 में बढ़कर 5.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की अवधि में 5.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। अप्रैल-जून 2022-23 निर्यात का लक्ष्य 5.8 बिलियन अमरीकी डालर था। एपीडा बास्केट में चाय, कॉफी, मसाले, कपास और समुद्री निर्यात शामिल नहीं हैं।

Subscribe Newsletter
Submit your email address to receive the latest updates on news & host of opportunities
Franchise india Insights
The Franchising World Magazine

For hassle-free instant subscription, just give your number and email id and our customer care agent will get in touch with you

or Click here to Subscribe Online

Newsletter Signup

Share your email address to get latest update from the industry