केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार देशभर में राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के विस्तार के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार प्रतिदिन 50 किलोमीटर के हिसाब से वित्त वर्ष 2022-23 में 18,000 किलोमीटर राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य लेकर चल रही है। गडकरी ने आगे कहा कि सरकार का कुल लक्ष्य 2025 तक 2 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को विकसित करना है। उन्होंने कहा कि विश्वस्तरीय सड़क ढांचे के निर्माण के लिए एक समयसीमा और लक्ष्य तय करना जरूरी है।
गडकरी ने ट्वीट करते हुए कहा नए भारत की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्त्व में हम वित्त वर्ष 2022-23 में 50 किलोमीटर की रिकॉर्ड गति से 18,000 किलोमीटर राजमार्ग का निर्माण कर देशभर में राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
देश के कुछ हिस्सों में मानसून सामान्य से ज्यादा रहने और कोविड-19 महामारी से संबंधित व्यवधानों के कारण बीते वित्त वर्ष 2021-22 में भारत के राजमार्ग का निर्माण प्रतिदिन 28.64 किलोमीटर रहा है। देश में राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण की गति वित्त वर्ष 2020-21 में रिकॉर्ड 37 किमी प्रतिदिन की रही थी।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि निर्यातकों के पास आर्डर की भरमार है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध से परिवहन लागत बढ़ गई है, जिसके चलते वह माल नहीं भेज पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि निर्यातक कंटेनरों की उपलब्धता और बंदरगाह से जुड़े मुद्दों को लेकर चिंतित हैं। इन दिक्कतों के चलते उद्योग बड़ी मात्रा में मिले निर्यात आर्डर का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
उन्होने आगे कहा कि आटोमोबाइल कंपनियों के टॉप अधिकारियों ने उनसे वादा किया है कि वे छह महीने के अंदर फ्लेक्स फ्यूल इंजन का निर्माण शुरू कर देंगे। इस तरह के इंजन में एक से ज्यादा प्रकार के ईधन का उपयोग करके वाहन को चलाया जा सकेगा। खास बात यह है कि टीवीएस मोटर और बजाज आटो जैसी कंपनियों ने पहले ही अपने दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए फ्लेक्स-फ्यूल इंजन का उत्पादन शुरू कर दिया है। गडकरी ने यह भी कहा कि सरकार सार्वजनिक परिवहन को 100 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा स्त्रोतों में बदलने की योजना पर काम कर रही है।
गडकरी ने कहा कि कोविड प्रेरित व्यवधानों के कारण, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा। लेकिन फिर भी वित्त वर्ष में मार्च के अंत तक, हम पिछले वित्त वर्ष के राजमार्ग निर्माण के रिकॉर्ड को तोड़ने की कोशिश करेंगे।
उन्होने यह भी बताया कि उनका मिशन लॉजिस्टिक कॉस्ट को भी कम करना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में चीन में 12 प्रतिशत की तुलना में देश में रसद लागत 16 प्रतिशत है जबकि यूरोपीय देशों में यह 10 प्रतिशत है। देश में एक मजबूत सड़क नेटवर्क आर्थिक प्रगति का एक साधन प्रदान करता है और राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार भी इस संबंध में गति को और तेज कर सकता है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) और नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (एनएचआईडीसीएल) देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।
आपको बता दे भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या 200 से ज्यादा है और इनकी लम्बाई लगभग 70 हजार 548 किमी है। हालाँकि यह नेशनल हाईवे भारतीय सड़कों का मात्र 1.8 प्रतिशत भाग है परन्तु यह देश के लगभग 40 प्रतिशत ट्राफिक को कम करते है | यदि हम भारत के सबसे बड़े नेशनल हाईवे की बात करे, तो इसका नाम एनएच 44 है, जो जम्मू और कश्मीर में श्रीनगर को देश के दक्षिणी भाग में स्थित तमिलनाडु के कन्याकुमारी को जोड़ता है, इस राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल दूरी 3 हजार 745 किमी है।
भारत का सबसे छोटा नेशनल हाईवे एनएच 47 ए है, जो एर्णाकुलम को कोच्चि बंदरगाह से जोड़ता है तथा इस राजमार्ग की लम्बाई मात्र 6 किमी है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन भारतीय राष्ट्रीमय राजमार्ग अधिनियम 1988 राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, अनुरक्षण और प्रबंध के लिए एक प्राधिकरण का गठन करने तथा उससे संबद्ध या उसके आनुषंगिक विषयों के लिए उपबंध करने हेतु अधिनियम के द्वारा किया गया था। अन्य छोटी परियोजनाओं सहित, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना का काम सौंपा गया है जिसमें 50,329 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास, अनुरक्षण और प्रबंधन करना शामिल है।
राष्ट्रीय राजमार्ग देश के अन्दर एक राज्य से दूसरे राज्य में यात्रियों के आवागमन और माल को लाने-ले जाने हेतु महत्वपूर्ण सड़कें होती हैं। ये सड़कें देश में लम्बाई और चैड़ाई में आर-पार फैली हुई हैं तथा राष्ट्रीय और राज्यों की राजधानियों, प्रमुख पत्तनों और रेल जंक्शनों, सीमा से लगी हुई सड़कों और विदेशी राजमार्गों को जोड़ती हैं। फिलहाल देश में राष्ट्रीय राजमार्गों (एक्सप्रसे मार्गों सहित) की कुल लम्बाई 1,32,499 किमीहै जबकि राजमार्ग या एक्सप्रसे मार्ग सडकों की कुल लम्बाई का केवल लगभग 1.7 प्रतिशत है और इन सड़कों पर 40 प्रतिशत यातायात चलता है।
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के 7 चरणों में विस्तार से भाराराप्रा के आदेश का आगे और विस्तार किया गया, जिसके तहत 54,000 किलोमीटर से अधिक के मौजूदा राजमार्गों को मुख्य रूप से 4 से 6 लेन में बदलने की परिकल्पना की गई थी। इसके अलावा, 2017 में, सरकार ने भारत के अब तक के सबसे बड़े राजमार्ग विकास कार्यक्रम, भारतमाला परियोजना की घोषणा की, जिसमे चरण 1 के अंतर्गत 5,35,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 34,800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों को अपग्रेड किया जाना है। भारतमाला परियोजना महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के अंतराल को कम करके देश भर में सड़क यातायात गतिविधि की क्षमता को बढ़ाने का वादा करती है। भाराराप्रा ने दूर के क्षेत्रों को जोड़ने और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए नए रास्ते खोलने के लिए भारतमाला परियोजना के तहत नए ग्रीन कॉरिडोर के विकास की भी परिकल्पना करता है।इसका फोकस लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने, मल्टीमॉडल और कुशल परिवहन, उपलब्ध करवाने देश में अंतिम छोर तक संपर्क और मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला के बुनियादी ढांचे में सुधार करने पर केंद्रित है।