भारत की अध्यक्षता में जी-20 के नेताओं का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन रविवार को यहां संपन्न हुआ। बीते 9 और 10 सितंबर 2023 को भारत की राजधानी नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-20 के सदस्यों का गर्मजोशी से स्वागत और आवभगत करने के बाद ब्राजील को इसकी अध्यक्षता की कमान सौंप दी। हालांकि, समापन भाषण के साथ प्रधानमंत्री ने नवंबर में इस वर्ष की अपनी अध्यक्षता का अंत एक वर्चुअल मीटिंग बुलाकर करने के लिए सभी का सहयोग मांगा। भारत की अध्यक्षता में जी-20 के नेताओं का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन रविवार को यहां संपन्न हुआ।
भारत की अध्यक्षता में हुई जी-20 की बैठकों में 73 ऐसे मामले थे, जो विश्व की मौजूदा समस्याओं से जुड़े थे। बैठकों में उनका हल निकालने पर सहमति बनी है, जबकि 39 मामलों पर जरूरी दस्तावेजों के साथ सहमति बनाने पर चर्चा हुई है। कुल 112 विषयों पर चर्चा की गई, जिसमें फूड सिक्योरिटी और न्यूट्रिशन, ओसियन इकोनॉमी, पर्यटन, लैंड रेस्टोरेशन और एमएसएमई सेक्टर शामिल रहे। भारत की अध्यक्षता में जी-20 कार्यक्रम के तहत दुनिया भर के 115 से ज्यादा देशों के 25,000 से अधिक प्रतिनिधियों के साथ 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें आयोजित की गईं।
जी-20 ग्रुप में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। इस साल भारत ने स्पेन, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, बांग्लादेश, मिस्र, नीदरलैंड, मॉरीशस, नाइजीरिया और सिंगापुर को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर आमंत्रित किया था। जी-20 शिखर सम्मेलन के 'नई दिल्ली घोषणापत्र' में भारत की अध्यक्षता में हुए जी-20 सम्मेलन 2023 के सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया गया है। इनमें से स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन और महिला सशक्तिकरण जैसे अहम मुद्दों पर क्या निर्णय लिए गए, आइए जानते हैं।
स्वास्थ्य
जी-20 के सदस्य देशों के नेताओं ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज हासिल करने, महामारी संबंधी तैयारियों को बढ़ाने और मौजूदा संक्रामक रोग निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने के लिए अधिक लचीली, न्यायसंगत, टिकाऊ और समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली बनाने का संकल्प लिया है। नेताओं ने अपने संयुक्त घोषणापत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, स्वास्थ्य कार्यबल और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को अगले दो से तीन वर्ष के भीतर महामारी के पूर्व स्तर से भी बेहतर करने पर जोर दिया। क्षयरोग (टीबी) और एड्स जैसी बीमारियों पर ध्यान देने के अलावा उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के समूह ने कोविड-19 पर अनुसंधान के महत्व को रेखांकित किया।
जी-20 नेताओं ने भविष्य में स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिहाज से बेहतर तैयारी के लिए विकासशील देशों में चिकित्सा उपायों तक पहुंच में सुधार और अधिक आपूर्ति तथा उत्पादन क्षमता के लिए प्रतिबद्धता जताई। ‘जी-20 नई दिल्ली घोषणापत्र’ में चतुर्पक्षीय ‘एक स्वास्थ्य संयुक्त कार्य योजना’ (2022-2026) द्वारा संचालित एक स्वास्थ्य-आधारित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। इस बारे में भी चर्चा की गई कि स्वास्थ्य प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ाया जाए और एमडीबी के सहयोग से जलवायु-लचीले और कम-कार्बन स्वास्थ्य प्रणालियों के विकास का समर्थन किया जाए और जलवायु और स्वास्थ्य पर परिवर्तनकारी कार्रवाई के लिए डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व वाले गठबंधन (एटीएसीएच) के काम का समर्थन किया जाए।
यह भी कहा गया कि बीमारियों से निपटने के लिए जरूरी अनुसंधान के लिए निरंतर प्रयास किए जाने चाहिए। विशेषकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी), एलडीसी और एसआईडीएस में सुरक्षित, प्रभावी, गुणवत्ता-सुनिश्चित और किफायती टीकों, चिकित्सीय, निदान और अन्य चिकित्सा उपायों तक समान पहुंच की सुविधा प्रदान करने को लेकर भी गंभीरता से चर्चा की गई। स्वास्थ्य में साक्ष्य-आधारित पारंपरिक और पूरक चिकित्सा की संभावित भूमिका को पहचानने, और इस दिशा में डब्ल्यूएचओ के वैश्विक और सहयोगी केंद्रों और नैदानिक परीक्षण रजिस्ट्रियों सहित अंतरराष्ट्रीय प्रयासों पर ध्यान देने पर भी जोर दिया गया। इस बात पर भी जोर दिया गया कि जरूरी दवाओं के लिए अनुसंधान का लाभ विकसित, विकासशील और अन्य जरूरतमंद देशों तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
नई दिल्ली घोषणा पत्र के 29वें प्वाइंट में लिखा गया है- कम आय वाले देशों की आवाज को बढ़ाते हुए हम विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), विश्व बैंक, आईएमएफ और यूरोपीय निवेश बैंक (ईआईबी) के बीच सहयोग के माध्यम से बनाई गई आर्थिक कमजोरियों और जोखिमों (एफईवीआर) पर रूपरेखा और महामारी से उत्पन्न होने वाली आर्थिक कमजोरियों और जोखिमों की प्रारंभिक रिपोर्ट पर चर्चा का स्वागत करते हैं। हम टास्क फोर्स से आह्वान करते हैं कि वह देश-विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, उभरती महामारी के खतरों के कारण आर्थिक कमजोरियों और जोखिमों का नियमित रूप से आकलन करने के लिए अपनी बहु-वर्षीय कार्य योजना पर इस ढांचे को परिष्कृत करना जारी रखे।
शिक्षा
घोषणा पत्र के 30वें प्वाइंट में शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित चर्चा है। इसमें कहा गया है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना हमारी प्राथमिकता है। हम सभी के लिए समावेशी, न्यायसंगत, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम मानव पूंजी विकास के समर्थन में निवेश के महत्व को पहचानते हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजंस के प्रयोग पर सहमति बनी है। सभी देशों के शिक्षण संस्थानों और शिक्षकों को एआई सहित उभरती तकनीकों को लेकर सक्षम बनाने पर सहमति बनी है। उच्च गुणवत्ता वाली तकनीक और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण तक छात्रों की पहुंच बढ़ाने पर जोर देने की बात कही गई है।
मुक्त, न्यायसंगत और सुरक्षित वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने पर भी रजामंदी बनी है। उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों, विद्वानों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने पर भी सहमति जताई गई है। शिक्षा, शोध और वैज्ञानिक अनुसंधान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनने से जी-20 देशों के छात्रों, वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं को नए अवसर मिलेंगे। इससे लाखों लोगों को विदेशी शिक्षण संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने, अनुसंधान करने और शोध करने का अवसर मिलेगा। घोषणा पत्र में शिक्षा और रोजगार के लिए जरूरी साक्षरता और सामाजिक-भावनात्मक कौशल के महत्व को पहचानने की वकालत की गई है।
पर्यटन
दिल्ली घोषणापत्र जी-20 गोवा रोडमैप के साथ पर्यटन क्षेत्र के लिए एक नई दिशा प्रदान करता है, जिसमें सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पर्यटन क्षेत्र की चुनौतियों, उद्देश्यों, अवसरों और सिफारिशों को रेखांकित किया गया है। 'गोवा रोडमैप', भारत के जी-20 टूरिज्म ट्रैक का अहम परिणाम है, जो टिकाऊ वैश्विक पर्यटन के लिए खाका प्रदान करने वाली एक अग्रणी पहल है। भारत की जी20 प्रेसीडेंसी की थीम के अनुरूप गोवा रोडमैप, समाज, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण प्रबंधन में पर्यटन की भूमिका को रेखांकित करता है। जी20 पर्यटन कार्य समूह द्वारा पहचानी और समर्थित पांच परस्पर जुड़ी प्राथमिकताओं - ग्रीन टूरिज्म, डिजिटलीकरण, कौशल, पर्यटन एमएसएमई और गंतव्य प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करके - रोडमैप राष्ट्रों को अपनी पर्यटन नीतियों को संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 2030 के साथ संरेखित करने के लिए एक व्यापक रणनीति प्रदान करता है।
हमारी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए, पर्यटन मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) के सहयोग से जी-20 पर्यटन और एसडीजी डैशबोर्ड लॉन्च किया है। यह अग्रणी पहल एक वैश्विक भंडार के रूप में काम करेगी, जो जी-20 देशों की स्थायी पर्यटन प्रथाओं और नीतियों की सर्वोत्तम प्रथाओं और केस स्टडी को प्रदर्शित करेगी। इसका उद्देश्य एक व्यापक संसाधन बनना, राष्ट्रों और उद्योग हितधारकों को पर्यटन के माध्यम से एसडीजी प्राप्त करने की दिशा में उनकी यात्रा में सहायता करना है। आगे बढ़ते हुए पर्यटन मंत्रालय का लक्ष्य शिक्षा और जागरूकता अभियानों के माध्यम से राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों एवं निजी हितधारकों को अधिक टिकाऊ, लचीलेपन के निर्माण और समावेशी पर्यटन के लिए अपने संचालन में सुझाए गए कार्यों को शामिल करने के बारे में जागरूक बनाने के लिए गोवा रोडमैप के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करना है।
पर्यटन मंत्रालय जी20 गोवा रोडमैप की पांच प्राथमिकताओं के अनुरूप सर्वोत्तम प्रथाओं और केस स्टडी की पहचान करने के लिए 'आने वाले कल के लिए पर्यटन' पर एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता भी शुरू कर रहा है, जिसे राज्यों, गंतव्यों और उद्योग हितधारकों द्वारा सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया है, जिसे दोहराया जा सकता है और पूरे देश में बढ़ाया जा सकता है। प्रतियोगिता का शुभारंभ 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस पर किया जाएगा। पर्यटन मंत्रालय ने 'ट्रैवल फॉर लाइफ' कार्यक्रम के तहत टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपने कार्यक्रमों और पहलों को संरेखित किया है और यह अभियान पूरे पर्यटन इकोसिस्टम को कवर करेगा, जो सभी कलाकारों को पर्यटन क्षेत्र को टिकाऊ और जिम्मेदार बनाने में योगदान देने के लिए प्रेरित करेगा। पर्यटन मंत्रालय एक ऐसे भविष्य की वकालत कर रहा है जो हरा-भरा, स्वच्छ और सामंजस्यपूर्ण हो। यह सुनिश्चित करना हमारा मिशन है कि विकास न केवल मजबूत हो, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए न्यायसंगत और टिकाऊ भी हो।
लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण
भारत की अध्यक्षता के अंतर्गत जी-20 ने माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमृतकाल के विजन से प्रेरणा ली है, जहां अर्थव्यवस्था और समाज के सभी क्षेत्रों में नारी शक्ति (महिलाओं की शक्ति) का जश्न मनाया जाता है। इस विजन के आधार पर, भारत की अध्यक्षता में जी20 ने पहली बार अपना ध्यान महिला विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर स्थानांतरित कर दिया है। लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि में, जी20 नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन 2023 (घोषणा 2023) में अध्यक्ष के वक्तव्य को शामिल किया गया है, जिसे 2-4 अगस्त 2023 के दौरान गांधीनगर में हुए महिला सशक्तिकरण के लिए जी20 मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (जी20 मिनिस्ट्रियल कॉन्फ्रेंस फॉर वुमेन इम्पावरमेंट) में अपनाया गया था।
जी20 नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन 2023 ‘आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ाना’, ‘लैंगिक डिजिटल विभाजन को पाटना’, ‘लैंगिक समावेशी जलवायु कदमों को आगे बढ़ाना’ और ‘महिलाओं की खाद्य सुरक्षा, पोषण एवं कल्याण को सुरक्षित करना’ पर जोर देती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जी20 के लीडर्स जी20 महिला मंत्रिस्तरीय का समर्थन करने के लिए ‘महिला सशक्तिकरण पर एक कार्य समूह’ के गठन पर सहमत हुए, जिसकी ब्राजील की जी20 की अध्यक्षता के दौरान पहली बैठक आयोजित होगी। जी20 नेताओं की यह प्रतिबद्धता वास्तव में भारत के माननीय प्रधानमंत्री के लैंगिक अनुरूपता और लैंगिक समानता के लिए निरंतर समर्थन का प्रतिबिंब है, जिससे जी20 देशों को यह उपलब्धि हासिल करने में मदद मिली है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय व्यक्तिगत अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रदर्शनियों और पैनल चर्चाओं के माध्यम से अपने उत्पाद, कौशल के प्रदर्शन तथा सेवाएं देने वाले स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों, अपरंपरागत क्षेत्रों से जुड़ी महिलाओं और महिला उद्यमियों की अपना बहुमूल्य समय देने एवं उनके प्रयासों के लिए सराहना करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और जी-20 को जनता की अध्यक्षता, जन भागीदारी या नागरिकों की इच्छा के तहत भारत की जी-20 की अध्यक्षता अब एक कसौटी बन गई है। एमडब्ल्यूसीडी 3,00,000 से अधिक नागरिकों की उत्साही भागीदारी की सराहना करता है, जो वॉकाथन से लेकर फ्लैश मॉब तक जनभागीदारी कार्यक्रमों के माध्यम से जुड़े हुए थे। कार्यक्रमों में महिला नेतृत्व वाले विकास को प्रदर्शित किया गया और विभिन्न राज्यों के महिला समुदाय के प्रमुखों, कारीगरों, स्वयं सहायता समूहों, एसएमई, कॉरपोरेट्स तथा व्यावसायिक संस्थाओं ने भारत की जी20 की अध्यक्षता को वास्तव में लोगों का कार्यक्रम बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई है।