एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को एक ऐसा देश माना जा रहा है जहां पर 15 करोड़ बच्चे रहते हैं। बढ़ती जनसंख्या के साथ स्वभाविक रूप से शिक्षा तंत्र में बहुत से नए उद्यमियों के प्रवेश के साथ बहुत अधिक उछाल देखने को मिल रहा है।
भारत में वर्तमान में प्रीस्कूल शिक्षा इंडस्ट्री का मूल्य 15000 करोड़ से भी ज्यादा आंका जा रहा है जो कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट का 23 प्रतिशत तक बढ़ रहा है।
कारोबारियों ने प्री-स्कूल सेक्टर को तीन हिस्सो में बांट दिया हैः गैर-मान्यता प्राप्त, मान्यता प्राप्त और स्कूल फीडर मॉडल। गैर मान्यता प्राप्त सेक्टर में अपने स्थानीय प्री-स्कूल शामिल हैं जबकि मान्यता प्राप्त सेक्टर मुख्य रूप से फ्रैंचाइज़ मॉडल पर गठित होता है।
कुछ सामान्य किंडरगार्टन से 12वीं तक के स्कूल अपने प्रीस्कूल के साथ आते हैं जो स्कूल फीडर मॉडल के अंतर्गत आते हैं। इस प्रकार इस इंडस्ट्री के पास उन लोगों के लिए ऐसे बहुत से ऑफर हैं जो इस शिक्षा व्यवसाय में दिलचस्पी रखते हैं।
भारतीय माता-पिता की बढ़ती आय
भारतीय अभिभावकों की धीरे-धीरे बढ़ती आय के कारण वे अपने बच्चे के विकास के अवसर और सुरक्षित वातावरण में जीवन जीने का आश्वासन देने पर जोर देते हैं। निवेशक इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं। वे बच्चों के सुरक्षित प्रीस्कूल का निर्माण कर माता-पिता को संतुष्ट कर सकते हैं।
चूंकि अब ट्रेंड एक घर में दो आय प्राप्त करने वाले परिवारों की तरफ बढ़ता जा रहा है इसलिए माता-पिता का बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पर पैसे खर्च करने का झुकाव अभी जितना है वैसा पहले देखने को नहीं मिलता था।
अनछूआ बाजार
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के प्रीस्कूल बाजार अभी भी अनछूआ बाजार का वह हिस्सा है जहां पर केवल 17 प्रतिशत तक बच्चे ही स्कूल जा रहे हैं। छोटे शहरों में यह प्रतिशत और भी कम है जिसका लाभ फ्रैंचाइज़र उठा सकते हैं। फ्रैंचाइज़र को आवश्यकता है कि वे प्रोफेशनल क्वालिटी शिक्षा को प्रकाशित करें, इस बात की जागरूकता का निर्माण करें कि क्यों प्रारंभिक शिक्षा बच्चे के विकास के लिए लाभकारी है।
बेहतर गुणवत्ता
बहुत से रचनात्मक और प्रोफेशनल कारोबारियों ने प्रीस्कूल शिक्षा में अपना रास्ता खोज लिया है। ये शोध पाठ्यक्रम के प्रयोग और आधुनिक साधनों पर जोर देते हैं ताकि युवा मस्तिष्कों के लिए एक इंटरेक्टिव लर्निंग वातावरण बन सकें।
उद्यमियों को तकनीक से और अधिक परिचित होने की आवश्यकता है जिससे वे अपनी बिक्री के साथ-साथ देश भविष्य को भी बेहतर शिक्षा देकर शिक्षित कर सकें।