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- निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और कर की छूट को नौ महीने के लिए बढ़ाया
केंद्र सरकार ने निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और कर की छूट रोडटैप (आरओडीटीईपी) योजना के तहत दिये जाने वाले सहयोग को 30 सितंबर 2023 तक अधिसूचित किया गया था। अब उसे संशोधित करके मौजूदा समय में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं के लिए पिछली दरों पर ही 30 जून 2024 तक बढ़ाया गया है।
सरकार के इस प्रोत्साहन से देश के निर्यातक समुदाय को मौजूदा अन्तर्राष्ट्रीय माहौल में बेहतर शर्तों और संबंधों के साथ निर्यात अनुबंधों पर कारोबार करने में सहायता मिलेगी। यह योजना विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप है।
विभिन्न निर्यात क्षेत्रों के लिए एक अन्य सुधार करते हुए इस व्यवस्था के ढांचे के अनुरूप, निर्यातित उत्पादों पर शुल्क एवं कर में छूट की योजना के तहत अधिकतम दरों की समीक्षा एवं सिफारिश करने के उद्देश्य से की गई है। राजस्व विभाग में निर्यातित उत्पादों पर शुल्क एवं कर में छूट की योजना हेतु समिति का फिर से गठित किया गया है। इस समिति ने नई दिल्ली के वाणिज्य भवन में एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईपीसी) और चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ अपनी पहली बैठक की। इस बैठक में योजना और इसके लागू होने से संबंधित कार्यप्रणालियों और अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई।
एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और कर में छूट की योजना के लिए बजट आवंटन को बढ़ाने और सभी निर्यात वस्तुओं को उच्च दरें उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया है ताकि उन्हें विदेशों के बाजार में अधिकतम पहुंच हासिल करने में सहायता मिल सके।
निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और कर में छूट की योजना सरकार द्वारा निर्यात पर मिलने वाले शुल्क छूट योजना के रूप में शुरू की गई थी और यह 1 जनवरी 2021 से लागू है। निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और कर में छूट की योजना करों, शुल्कों व करारोपण की प्रतिपूर्ति के लिए एक तंत्र उपलब्ध कराती है, जो वर्तमान में केंद्र, राज्य एवं स्थानीय स्तर पर किसी अन्य तंत्र के तहत वापस नहीं किया जा रहा है, लेकिन यह निर्यातित उत्पादों के निर्माण तथा वितरण की प्रक्रिया में निर्यात संस्थाओं द्वारा वहन किया जाता है। योजना के तहत 27 महीने की अवधि के लिए 31.03.2023 तक 27,018 करोड़ रुपये राशि को सहयोग के तौर पर बढ़ाया गया है। निर्यातित उत्पादों पर शुल्क एवं कर में छूट की योजना एक बजटीय ढांचे के तहत संचालित होती है और वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 8-अंकीय स्तर पर 10610 एचएस लाइनों की मदद करने के लिए 15,070 करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध है। बता देँ जीएसटी के तहत निर्यात और आयात के मामले में सभी 8 अंकों वाले एचएसएन कोड अनिवार्य हैं।भारत में 8 अंकों का प्रयोग किया जाता है जिसे आईटीसी नंबर कहा जाता है जिसका मतलब है भारतीय टैरिफ कोड नंबर।