ऑटोमोबाइल इलेक्ट्रिक वाहन

नेट ज़ीरो की दिशा में भारत का प्रयास

Nitika Ahluwalia
Nitika Ahluwalia Dec 17, 2024 - 4 min read
नेट ज़ीरो की दिशा में भारत का प्रयास image
भारत ने नेट ज़ीरो लक्ष्य की प्राप्ति के लिए नवीकरणीय ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन में कमी और स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दिया है। सरकार और उद्योग मिलकर स्वच्छ ऊर्जा और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में निवेश कर रहे हैं।

 

नेट ज़ीरो एक ऐसी स्थिति है जिसमें ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन और पृथ्वी द्वारा इन गैसों को अवशोषित करने की प्रक्रिया में संतुलन बना रहता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन को रोकना और हमारे पर्यावरण को संरक्षित करना है। यह न केवल तकनीकी बदलाव की मांग करता है, बल्कि हमारे जीवनशैली और ऊर्जा उपयोग के तरीके को भी पूरी तरह से बदलने की आवश्यकता है। विशेष रूप से, भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह एक बड़ी चुनौती और अवसर दोनों है।

टॉयोटा किर्लोस्कर मोटर्स के वाइस प्रेसिडेंट जितेंद्र गोयल ने कहा नेट ज़ीरो लक्ष्य की प्राप्ति के लिए तकनीकी समाधान ही नहीं, बल्कि भविष्य के ग्राहकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होने बताया की हाल ही में हमारे पास एक 25 एकड़ का इको पार्क है, जहाँ हर साल 10,000 छात्रों को पर्यावरण जागरूकता पर प्रशिक्षण दिया जाता है।


नेट ज़ीरो क्या है?

नेट ज़ीरो का मतलब है, प्रदूषण उत्सर्जन और उसे अवशोषित करने वाली प्रक्रियाओं (सिंक) के बीच संतुलन स्थापित करना, ताकि जलवायु परिवर्तन को रोका जा सके। पेरिस समझौते के अनुसार, वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन इतना होना चाहिए कि वह प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी हो और जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम किया जा सके।

वैश्विक स्थिति और भारत का योगदान

वैश्विक स्तर पर कई देश, विशेष रूप से विकसित और विकासशील, नेट ज़ीरो की दिशा में काम कर रहे हैं। भारत इस क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है, लेकिन जब हम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन की बात करते हैं, तो भारत का उत्सर्जन वैश्विक स्तर पर सबसे कम है। हालांकि, जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ती है और शहरीकरण बढ़ता है, उत्सर्जन में भी वृद्धि हो सकती है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने के लिए और अधिक कदम उठाने की आवश्यकता होगी।

भारत ने पहले ही नेट ज़ीरो के लक्ष्य के तहत कई कदम उठाए हैं। COP21 से COP26 तक, भारत ने पंचामृत सिद्धांत के तहत नवीकरणीय ऊर्जा, उत्सर्जन में कमी, और कार्बन तीव्रता घटाने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। भारत का उद्देश्य 2070 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करना है।

भविष्य की ऊर्जा परिदृश्य

भारत में वर्तमान में ऊर्जा उत्पादन में कोयले का बहुत बड़ा योगदान है, लेकिन भविष्य में नवीकरणीय ऊर्जा प्रमुख बनेगी। हालांकि, पेट्रोलियम उत्पादों का पूर्ण रूप से अंत नहीं होगा, और जीवाश्म ईंधन के विकल्प जैसे कि सीएनजी, एथेनॉल, और हाइड्रोजन के विकल्प का विस्तार होगा।सरकार ने वैकल्पिक ईंधन और विद्युतीकरण के लिए कई कदम उठाए हैं। दीर्घकालिक दृष्टिकोण में, सीपीजी, हाइड्रोजन, और मेटेनॉल जैसे ईंधन का उपयोग संभव हो सकता है। मुख्य चुनौती यह है कि यदि कोई तकनीक जीवाश्म स्रोतों से आती है, तो कार्बन को कम किया जा सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता।

कार्बन न्यूट्रल तकनीक और वाहनों की भूमिका

कार्बन न्यूट्रल वाहनों के निर्माण में केवल तकनीकी समाधान ही नहीं, बल्कि ऊर्जा के स्रोतों का भी महत्व है। चाहे वह ICE (Internal Combustion Engine), HEV (Hybrid Electric Vehicle), या PHEV (Plug-in Hybrid Electric Vehicle) हो, यदि उनका ऊर्जा स्रोत कार्बन न्यूट्रल नहीं है, तो उनका वास्तविक प्रभाव कम होगा।

भारत में तकनीकी विकास और स्थानीयकरण

भारत में स्वच्छ ऊर्जा तकनीक को बढ़ावा देना और इसे किफायती बनाना बेहद जरूरी है। सरकार ने "मेक इन इंडिया" को प्राथमिकता दी है, ताकि स्वच्छ ऊर्जा तकनीक को घरेलू रूप से विकसित किया जा सके। भारत में पर्याप्त कच्चा माल उपलब्ध है, लेकिन सप्लाई चेन को मजबूत करना जरूरी है।

सप्लाई चेन और ग्राहकों की स्वीकृति

इन्फ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी विकास में निवेश किए जा रहे हैं, लेकिन सप्लाई चेन को सही दिशा में विकसित करना और ग्राहकों को इन नई तकनीकों के प्रति जागरूक करना महत्वपूर्ण है। चाहे वह सीएनजी, एथेनॉल, या हाइड्रोजन जैसे ईंधन हों, उनके लिए सप्लाई चेन का निर्माण और ग्राहक स्वीकार्यता दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

निष्कर्ष

नेट ज़ीरो की दिशा में भारत की यात्रा सिर्फ सरकार, उद्योग, या निवेशकों के एकल प्रयास से संभव नहीं हो सकती। इसके लिए समग्र दृष्टिकोण और सभी पक्षों का सहयोग आवश्यक है। जब तक सभी प्रौद्योगिकियाँ ग्राहकों द्वारा स्वीकार्य और राष्ट्रीय उद्देश्यों से मेल नहीं खाती, तब तक हम सही दिशा में नहीं बढ़ सकते। अब समय आ गया है कि हम तकनीकी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर नए समाधान तलाशें ताकि भारत 2070 तक नेट ज़ीरो के लक्ष्य को प्राप्त कर सके।

Subscribe Newsletter
Submit your email address to receive the latest updates on news & host of opportunities
Franchise india Insights
The Franchising World Magazine

For hassle-free instant subscription, just give your number and email id and our customer care agent will get in touch with you

or Click here to Subscribe Online

Newsletter Signup

Share your email address to get latest update from the industry