बीते दिनों 15 से 17 फरवरी तक नेपाल की राजधानी काठमांडू में भारत-नेपाल उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य शिक्षा को नई नीति के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रम में मेधावी छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा व्यवस्था मुहैया कराना था। नेपाल में आयोजित इस उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन में 50 से अधिक विश्वविद्यालयों ने हिस्सा लिया। इस सम्मलेन में उन मेधावी छात्रों को भी आमंत्रित किया गया, जो उच्च शिक्षा के लिए प्रयासरत हैं।
सम्मेलन में काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल तथा एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के संयुक्त कार्यक्रम में शिक्षा के बेहतर स्तर और शिक्षा से रोजगार पर जोर दिया गया। कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा है कि विश्वविद्यालय के अंतराष्ट्रीय क्रम में सरकार मेधावी छात्रों को हर तरह की सहायता प्रदान करे, फिर चाहे स्कॉलर दिलाने का विषय हो, फीस में रियायत, ठहरने की व्यवस्था और आसान एडमिशन प्रोसेस के साथ पाठ्यक्रमों में कम फीस लेने पर जोर दिया जाए। इस सम्मेलन में उच्च शिक्षा के साथ सांस्कृतिक एवं सामाजिक साझेदारी पर भी बात रखी गई।
कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक ने शिक्षा के नए आयाम को स्थापित करने के लिए कई नए तरीके बताए, जिससे नेपाल के छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने और रोजगार के अवसर पाने में मदद मिले। बता दें कि नेपाल के एक लाख छात्र पूरी दुनिया में विभिन्न संस्थानों में पढ़ने जाते हैं, लेकिन आज के भारत की नई शिक्षा नीति के चलते वे भारत के किसी संस्थान में प्रवेश लेते हैं तो उन्हें रोजगार के अलग-अलग अवसर भी मिलेंगे, जिससे नेपाल का उत्थान हो सकेगा। नेपाल से आए छात्रों को कानपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने को लेकर वरीयता और सुविधाएं दी जाएंगी।
भारत-नेपाल उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन में नेपाल के प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल समेत कई सांसद भी शामिल हुए। इनके अलावा कई विश्वविद्यालयों से लगभग 50 शीर्ष नेतृत्वों और 1200 मेधावी छात्रों ने भी इस सम्मेलन में शिरकत की, जो उच्च शिक्षा के लिए अलग अलग स्थानों पर पढ़ाई कर रहे हैं। इस सम्मेलन में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने और इस क्षेत्र में सहूलियत देने पर जोर दिया गया है।