किसी भी व्यवसाय को शुरुआती स्तर से शुरू करके ऊंचाइयों तक पहुँचाना बहुत मुशकिल होता है। लेकिन जुनून एक एसी चीज है जो कठिनाइयों को पार करते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंचता है। ऐसा ही जुनून पद्म श्री पुरस्कार से नवाज़ी गई रजनी बेक्टर में भी देखने को मिला, जो आज हर किसी के लिए एक मिसाल साबित हुई है।रजनी बेक्टर ने अपने शौक को बिज़नेस में बदल दिया और आज बेकरी बनाने वाली कंपनी ‘क्रीमिका’ भारत की बड़ी कंपनियों में मशहूर है।
रजनी ने पाकिस्तान से भारत आकर मात्र 300 रूपए से अपने व्यवसाय की शुरुआत की और आज मैक्डोनाल्ड्स सहित बड़े ब्रांड्स को अपने प्रोडक्ट सप्लाई करती है। इनके प्रोडक्ट को सुपर बाजार, बिग बाजार, विशाल मेगामार्ट, रिलायंस, पिज़्ज़ा हट, कैफे कॉफी डे, बरिस्ता, पॉप जॉन्स, जेट एयरवेज और इंडियन रेलवे भी खरीदते- बेचते है।
आज शेयर बाजार और निवेशकों के बीच ‘क्रीमिका’ का नाम बहुत ही ज्यादा फेमस है। 28 दिसंबर को इसका शेयर लिस्ट आएगा जिसका इंतजार निवेशकों को बेसब्री से रहेगा और तीन साल में यह पहला IPO है जिसे 198 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है। ऑफर प्राइस पर 74 प्रतिशत प्रीमियम पर सूचीबद्ध होकर इस कंपनी ने इतिहास रच दिया है।
रजनी बेक्टर का सफरनामा
रजनी बैक्टर पाकिस्तान के कराची में पैदा हुईं और उन्होंने अपना बचपन लाहौर में बिताया। उस समय उनके पिता सरकारी नौकरी करते थे। भारत- पाकिस्तान बंटवारे के समय वह अपने परिवार के साथ दिल्ली चली आईं। 17 साल की उम्र में रजनी ने लुधियाना के धरमवीर बैक्टर से शादी की। इसके बाद उन्होंने अपने शौक को पूरा करने के लिए पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से बेकिंग का कोर्स किया।
वह अपने घर आए लोगों को तरह- तरह के कुकीज खिलाती थीं और आज उनके केक, कुकीज और आइसक्रीम लोगों के बीच मशहूर हो गए। उन्होंने अपने बेकरी प्रोडक्ट को मेलों में स्टॉल लगाकर बेचना शुरू किया। यही से उन्होंने अपने शौक को बिज़नेस में बदल दिया। फिर उन्हे कैटरिंग के ऑफर मिलने लगे। इसके बाद उन्होंने दिल्ली से 300 रूपये के इक्विपमेंट खरीदे और किचन से ही अपनी बेकरी आइटम को बनाना शुरू किया।
वर्ष 1978 में रजनी ने 20 हजार रूपए का इन्वेस्टमेंट करके घर के गैराज में एक छोटी सी आइसक्रीम युनिट लगाई। इसके बाद वह बड़े- बड़े ऑर्डर लेने लगी। आपको बता दे उनकी कंपनी का नाम क्रेमिका इसलिए रखा क्योकि वह ज्यादा तर चीजों में क्रीम का उपयोग करती थीं।
आइसक्रीम में मिली सफलता के बाद उन्होंने लुधियाना में जीटी रोड पर खाली पड़े एक पुश्तैनी जगह पर ब्रेड और बिस्किट बनाने की भी युनिट खोली। इस काम के लिए उन्होंने बैंक से लोन लिया इसके बाद वह धीरे –धीरे करके आगे बढ़ती रही।
वर्ष 1995 में मैकडॉनल्ड भारतीय बाजार में आया। मैकडॉनल्ड को कुछ चीजों के लिए लोकल सप्लायर्स की जरूरत थी। इसके बाद क्रीमिका और मैकडॉनल्ड में ब्रेड, टोमेटो सॉस की सप्लाई करने को लेकर करार हुआ।
क्रीमीका के प्रोडक्ट विश्व के 50 से अधिक देशों में निर्यात किए जा रहे हैं। रजनी ने शुरू से ही क्वालिटी से कभी छेड़-छाड़ नही की। साथ ही उन्होंने अपनी इनोवेशन को लगातार जारी रखा। क्रीमिका ग्राहकों की मांग को देखकर ही बाजार में उत्पादों को लांच करती हैं।
साल 2006 में ही इस कंपनी में ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म गोल्डमैन सैश ने 10 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदी। इसके लिए उसने 50 करोड़ रुपए का पेमेंट किया। इस पैसे से कंपनी ने बिजनेस को बढ़ाया और ग्रेटर नोएडा, मुंबई तथा हिमाचल प्रदेश में ऑटोमेटेड प्लांट डेवलप किया। 2010 में गोल्डमैन ने अपनी हिस्सेदारी मोतीलाल ओसवाल को बेच दी और कंपनी से निकल गए।
क्रीमिका के इस समय पंजाब के अलावा, मुबंई और ग्रेटर नोएडा में भी प्लांट हैं। रजनी की कंपनी का टर्नओवर मौजूदा समय में करीब 700 करोड़ रूपए का है। साथ ही कंपनी में करीब 4000 से अधिक कर्मचारी काम करते है।
बिज़नेस के लिए दिए गए योगदान को लेकर रजनी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले है। वर्ष 2005 में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने उन्हें ऑउटस्टैंडिंग बिज़नेस वुमन का अवार्ड दिया और अब 2021 में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पद्मश्री सम्मान से रजनी बेक्टर को नवाजा।
पुरस्कार ग्रहण करने के बाद रजनी बेक्टर ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी बातचीत की। इस बीच, मोदी ने रजनी बेक्टर के व्यंजनों के स्वाद का अनुभव करने की इच्छा व्यक्त की जिसके बाद उन्होंने उन्हें लुधियाना आमंत्रित किया और फूड उद्योग को और गति देने का अनुरोध किया।