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- पंजाब ने ईवी वाहनों की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत पर पहुंचाने के लिए बनाई नई नीति
इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाने के लिए, पंजाब ईवी नीति 2022 का लक्ष्य बनाया गया है। इसके माध्यम से सरकार ने हर वर्ष पंजीकरण होने वाले वाहनों में ईवी की संख्या कम से कम 25 प्रतिशत पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। यह नीति इसकी अधिसूचना की तारीख लेकर पांच वर्षों के लिए वैध होगी, जिसकी हर वर्ष विस्तृत समीक्षा की जाएगी।
2013-19 के दौरान राज्य में तीन-चौथाई (76 प्रतिशत) से अधिक नए पंजीकरण में दोपहिया (मोटरसाइकिल, मोपेड और स्कूटर) शामिल हैं। इस नीति का उद्देश्य नीति अवधि के दौरान नई बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत तक पहुंचाना है। इसमें इलेक्ट्रिक साइकिल और तिपहिया वाहनों को तेजी से अपनाने की कोशिश की जाएगी।
सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था सुधारने का लक्ष्य
वर्तमान में, पंजाब में बस बेड़े का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा डीजल आधारित है। प्रस्तावित नई नीति के तहत सरकार आने वाले तीन वर्षों में पुरानी बसों को खत्म करने के लिए बस बेड़े के 25 प्रतिशत को चरणबद्ध तरीके से बदलने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
इलेक्ट्रिक लाइट कमर्शियल वाहनों (एल5एन और एन1 श्रेणी) के लिए ई-एलसीवी (एल5एन और एन1 श्रेणी के वाहन) के शुरुआती 5,000 पंजीकृत मालिकों को बैटरी क्षमता के लिए 3,000 रुपये प्रति किलोवाट घंटा का मुफ्त में प्रदान किया जाएगा, जो अधिकतम प्रोत्साहन के अधीन होगा। 30,000 रुपये प्रति एल5एन श्रेणी वाहन, और अधिकतम प्रोत्साहन 50,000 रुपये प्रति एन1 श्रेणी वाहन को दिया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, मोहाली, जो चंडीगढ़-पंचकूला-मोहाली इन त्रिशहरीय क्षेत्र का एक हिस्सा है, से भी अंतरराज्यीय वाहनों की बड़ी संख्या में आवाजाही होती है। इनमें चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है। वहीं, पंचकूला हरियाणा और मोहाली पंजाब में स्थित है। प्रस्तावित नई नीति के तहत इन शहरों को समग्र रूप में लक्षित किया जाएगा। इनमें नए परमिट के लिए ई-ऑटो को वरीयता दी जाएगी। फ्लीट मालिकों को राज्य परिवहन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अधीन ई-ऑटो परमिट प्राप्त करने और रखने की अनुमति होगी।
ईवी पारिस्थितिकी तंत्र की मानव संसाधन जरूरतों को पूरा करने और रोजगार बढ़ाने के लिए व्यावसायिक (स्किल और अप-स्किलिंग) व शिक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की चर्चा हो रही है।
प्रमुख शहरों - लुधियाना, जालंधर, पटियाला, अमृतसर और बठिंडा में वाहनों की संख्या और प्रदूषण का स्तर कम करने के लिहाज से नई ईवी नीति को एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। नीति का उद्देश्य नीति के अंत तक वाहनों के प्रदूषण में कमी लाना है। सरकार ने राज्य को इलेक्ट्रिक वाहनों, इसके कल-पुर्जों और बैटरी के निर्माण के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित करने का भी लक्ष्य रखा है। इसका लक्ष्य लंबी अवधि में सार्वजनिक और निजी ईवी चार्जिंग के बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है।
सरकार के अनुसार नई नीति के तहत इन तीन लक्षित शहरों में अवधि के दौरान कूड़ा उठाने वाले मौजूद पारंपरिक वाहनों को पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का भी लक्ष्य रखती है। अपशिष्ट निपटान वाहनों के संक्रमण के समर्थन में, लक्ष्य शहरों में पहले 5,000 वाहनों पर खरीद प्रोत्साहन लागू होगा। इसे प्राप्त करने के लिए, राज्य श्स्वच्छ भारत कोषश् के तहत निर्धारित धन का उपयोग करने का प्रस्ताव विकसित करेगा।
भारत सरकार ने ईवी बिक्री की सुविधा के लिए एक रोडमैप- नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान 2020 तैयार किया है। योजना के एक भाग के रूप में, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फेम (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) पायलट योजना 2015 में शुरू की गई थी। वर्ष 2019 में गतिशीलता परिवर्तन का समर्थन करने के लिए मांग और बुनियादी ढांचे के निर्माण को सक्षम करने के लिए फेम योजना (फेम -प्प्) के दूसरे चरण को बहुत बड़े बजट के साथ लॉन्च किया गया था।
बहुत सी रिपोर्ट से पता चलता है कि फेम प्प् की सफलता के साथ-साथ राज्य की नीतियों सहित अन्य नीतिगत पहलों के परिणामस्वरूप वर्ष 2030 तक सड़कों पर 30 प्रतिशत निजी और 70 प्रतिशत व्यावसायिक कार, 40 प्रतिशत बस और 80 प्रतिशत दोपहिया और तीन पहिया वाहन इलेक्ट्रिक चालित होंगे।