बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद की सहायक शाखा रुचि सोया इंडस्ट्रीज ने एक बड़ा फैसला किया है। कंपनी ने बुधवार को शेयर बाजारों को बताया कि वह अपनी पैरेंट कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के समस्त फूड कारोबार का अधिग्रहण कर लेगी। इस अधिग्रहण के बाद उसका नाम बदलकर पतंजलि फूड्स हो जाएगा।
रुचि सोया ने यह जानकारी बुधवार दोपहर को शेयर बाजारों को दी। यह खबर मिलते ही निवेशकों ने रुचि सोया के शेयरों में जमकर खरीदारी शुरू कर दी। दिन के कारोबार में कंपनी के शेयर खुले तो मंगलवार के बंद भाव 1,083 रुपये पर ही थे, और यह खबर मिलने से पहले तक उनमें उतार-चढ़ाव दिखता रहा।
यह जानकारी सामने आने के बाद निवेशकों ने रुचि सोया के शेयरों को हाथोंहाथ लिया। दिन के कारोबार के आखिर में बीएसई पर कंपनी के शेयर 103.85 रुपये यानी 9.59 प्रतिशत मजबूत होकर 1,186.85 रुपये के स्तर पर बंद हुए।
ऐसे होगा सौदा
कंपनी ने शेयर बाजारोें को बताया कि उसके निदेशक बोर्ड ने शेयरों के हस्तांतरण के लिए एक बैठक भी की, जिसमें इसको अनुमोदन दे दिया गया। कंपनी के अनुसार उसके निदेशक बोर्ड ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (पीएएल) के साथ बिजनेस ट्रांसफर एग्रीमेंट बीटीए को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी नौ मई से प्रभावी हो गई हैै।
इसके तहत रुचि सोया द्वारा पीएएल के फूड कारोबार का अधिग्रहण किया जाएगा। यह सौदा 690 करोड़ रुपये में होगा। इसमें पीएएल के पैकेजिंग, लेबलिंग, मैन्यूफैक्चरिंग और चुनिंदा उत्पादों के खुदरा कारोबार समेत हरिद्वार और नेवास महाराष्ट्र स्थित उत्पादन संयंत्र भी शामिल हैं। इन संयंत्रों का अधिग्रहण उनके मौजूदा स्वरूप में ही किया जाएगा। यह अधिग्रहण शेयरधारकों की मंजूरी और नियामकीय अनुमोदनोें के बाद होगा। पतंजलि आयुर्वेद को इस सौदे के तहत तीन किस्तों में भुगतान किया जाएगा।
इसलिए हो रहा बदलाव
बाबा रामदेव इससे पहले कह चुके हैं कि उनका लक्ष्य रुचि सोया को देश की शीर्ष एफएमसीजी कंपनी बनाना है। लेकिन वर्तमान में रुचि सोया का जो प्रोडक्ट प्रोफाइल है, यानी कंपनी जिन उत्पादों की बिक्री कर रही है, सिर्फ उनके बूते भारत जैसे बड़े बाजार में शीर्ष स्थान हासिल कर पाना मुश्किल है।
इसलिए पतंजलि आयुर्वेद ने यह फैसला किया कि उसका पूरा फूड बिजनेस रुचि सोया को स्थानांतरित कर दिया जाए। बाबा रामदेव के अनुसार पतंजलि आयुर्वेद के फूड कारोबार का सालाना राजस्व करीब 5,000 करोड़ रुपये है। कंपनी इसे अगले दो-तीन वर्षों में दोगुना पर पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
रुचि सोया ने इसी वर्ष फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) के माध्यम से 4,300 करोड़ रुपये जुटाए थे। इस रकम के अधिकांश हिस्से से कंपनी का पुराना कर्ज चुकाया जाएगा। वैसे, इस एफपीओ का मुख्य उद्देश्य कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी घटाना और उसे पूंजी बाजार नियामक सेबी द्वारा स्वीकार्य स्तर पर लाना था।
सेबी के नियमों के अनुसार कंपनी में आम शेेयरधारकों की हिस्सेदारी कम से कम 25 प्रतिशत होनी ही चाहिए। पतंजलि आयुर्वेद ने रुचि सोया के अधिग्रहण के बाद पिछले वर्ष जनवरी में उसके शेयरों को दोबारा सूचीबद्ध कराया। उसके बाद से कंपनी के शेयरों को निवेशकों को ऐसे रास आए हैं कि बुधवार को कारोबार की समाप्ति पर उसका बाजार पूंजीकरण 42,963 करोड़ रुपये के ऊपर पहुंच गया है।
पोषक उत्पादों पर विशेष ध्यान
बाबा रामदेव इससे पहले कह चुके हैं कि रुचि सोया के फूड कारोबार को बड़ा बनाने में न्यूट्रास्युटिकल्स यानी पोषण को मजबूती देेने वाली दवाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहने वाला है। कंपनी आम उपभोक्ताओं से संबंधित उत्पादों पर तो ध्यान केंद्रित कर ही रही है, कारोबार को विस्तार देने के लिए प्रीमियम उत्पादों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
रुचि सोया अपने खाद्य तेल के कारोबार पर खास नजर रख रही है। बाबा रामदेव के अनुसार कंपनी के ये सभी प्रयास अगले कुछ वर्षों में रंग लाने लगेंगे।
तीन वर्ष पहले खरीदा था रुचि सोया
पतंजलि आयुर्वेद ने वर्ष 2019 में एक इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आईबीसी) की प्रक्रिया के तहत रुचि सोया का अधिग्रहण किया था। इस अधिग्रहण के लिए कंपनी ने 4,350 करोड़ रुपये खर्च किए थे। उस समय कंपनी पर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था।
हालांकि दो वर्षों के भीतर ही बाबा रामदेव के नेतृत्व में पतंजलि आयुर्वेद ने रुचि सोया को लाभकारी कंपनी में बदल दिया। वित्त वर्ष 2020-21 के आखिर में रुचि सोया का शुद्ध लाभ 680 करोड़ रुपये से अधिक रहा। इतना ही नहीं, उस समय तक कंपनी पर कर्ज भी घटकर 3,300 करोड़ रुपये रह गया था।