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परीक्षा पे चर्चा: पीएम मोदी ने छात्रों से कहा - टेक्नोलॉजी का करें सही प्रयोग

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jan 29, 2024 - 10 min read
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'परीक्षा पे चर्चा-2024' के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशभर के छात्रों के साथ बातचीत की और परीक्षा को लेकर उनके भय को दूर करने के लिए अलग-अलग तरह से प्रयास किए। उन्होंने टेक्नोलॉजी की ताकत को पहचानने के साथ जीवन में सकारात्मक रहने का संदेश दिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छात्रों के भीतर छिपे परीक्षा के तनाव को दूर करने के लिए सोमवार को दिल्ली स्थित 'भारत मंडपम' में 'परीक्षा पे चर्चा-2024' कार्यक्रम का आयोजन किया। परीक्षा के डर को दूर करने का मंत्र देते हुए पीएम ने देश के छात्रों, अभिभावकों और अध्यापकों से संवाद किया। उन्होंने अलग-अलग उदाहरण देकर छात्रों को प्रेरित करने की कोशिश भी की। किसी भी तरह के दबाव से निपटने के बारे में तैयार रहने को कहते हुए उन्हें कोरोना काल का जिक्र भी किया। उन्होंने छात्रों को बताया कि उन्हें मुश्किल समय का सामना बहादुरी के साथ कैसे करना चाहिए?

झारखंड की एक अभिभावक ने जब पीएम मोदी से पूछा कि क्या आपको नहीं लगता है आजकल बच्चे अपने दिमाग का कम प्रयोग करते हैं, वे टेक्नोलॉजी के गुलाम हो रहे हैं। तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी चीज की अति नहीं करनी चाहिए। चाहे आपकी मां ने आपका पसंदीदा खाना ही क्यों न बनाया हो, ज्यादा खाने से उल्टी हो सकती है इसलिए बच्चों को खुद पर लगाम लगाना होना, टेक्नोलॉजी भी ऐसे ही है। टेक्नोलॉजी का कैसे इस्तेमाल करना है, इसका विवेक होना चाहिए। आज हर माता-पिता की चिंता का यह विषय है। इसपर रोक लगाने के लिए घर में डिसिप्लिन होना चाहिए। डाइनिंग टेबल पर फोन बैन करें। घर में ही नो मोबाइल जोन बनाएं कि घर में इस समय कोई फोन नहीं देखेगा। अगर आप फोन देख भी रहे हैं तो रील नहीं देखें आप मोबाइल पर मैथ के प्रश्नों को हल करने के तरीके देखें, पढ़ने की नई-नई चीजों को देखें। टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल करें, मोबाइल की ताकत को पहचानें, क्लास रूम में भी मोबाइल के सकारात्मक चीजों की चर्चा होनी चाहिए, साथ ही पारदर्शिता लानी होगी।

पीएम मोदी ने कहा, कोरोनाकाल में मैंने देशवासियों से ताली थाली बजाने को कहा था। यह कोरोना को खत्म नहीं करता लेकिन एक सामूहिक शक्ति को जन्म अवश्य देता है। पहले खेल के मैदान में हमारे लोग जाते थे तो मैं उनसे बगैर यह पूछे कि वे जीतकर आए हैं या हार कर, उनके सम्मान में ढोल अवश्य पीटता था। जिसके पास जितना सामर्थ्य है, उनका सही उपयोग करना चाहिए। अच्छी सरकार चलाने के लिए इन समस्याओं के समाधान के लिए भी आपको नीचे से ऊपर की ओर सही जानकारी और गाइडेंस आना चाहिए। अगर सबकुछ सही रहा तो आज चीजों को संभाल सकते हैं। कोरोना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। निराशा के आने के लिए मैंने अपने जीवन में छोटी सी खिड़की भी खुली नहीं रखी है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छात्रों से कहा कि मुश्किल समय से कभी भी घबराना नहीं है। उसका सामना करना है और जीतकर निकलना है। उन्होंने कहा कि मुझे भी पता है कि थाली बजाने या दीया जलाने से कोरोना से राहत नहीं मिलती है, न ही कोरोना की बीमारी ठीक होती है, लेकिन ऐसा हमने देश के लोगों को कोरोना के खिलाफ जंग में एकजुट करने के लिए किया था। जब पूरे देश के में एक ही समय पर थाली बजाई गई और दीया जलाया गया तो इससे उन्हें एकता का एहसासा हुआ। ऐसा महसूस हुआ कि वे अकेले नहीं हैं, पूरा देश कोरोना का सामना कर रहा है। जब सभी लोग मिलकर संघर्ष करेंगे तो परेशानी से आसानी से निकल पाएंगे।

प्रधानमंत्री ने परीक्षा पे चर्चा के दौरान अन्य कई मुद्दों पर बात की। साथ ही, छात्रों के सवालों का जवाब भी दिया। उन्होंने अभिभावकों को जमकर डांटा और उनकी क्लास ली। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'परीक्षा पे चर्चा' के 7वें संस्करण में देशभर के छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से बातचीत की। करीब पौने दो घंटे तक पीएम 'सर' की मेगा क्लास में बच्चों को परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन से लेकर बेहतर नागरिक बनने के गुर मिले। पीएम ने बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता और शिक्षकों से भी बात की। प्रधानमंत्री ने बेहद सरल और मजेदार अंदाज में बच्चों के हर एक सवाल का जबाव दिया। कैसे बोर्ड परीक्षा की तैयारी की जाए, टाइम मैनेजनेंट कैसे हो, मोबाइल के दुष्प्रभाव से कैसे बचा जाए? इन सभी सवालों का जवाब पीएम मे दिया। उन्होंने ये भी बताया कि वो कैसे इतने पॉजिटिव रहते हैं और प्रधानमंत्री के रूप में आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं। परीक्षा पे चर्चा की ये 10 बातें हर एक छात्र, अभिभावक और शिक्षक को जरूर जाननी चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से छात्रों ने सवाल किया कि वो परीक्षा और सिलेबस के प्रेशर को कैसे हैंडल करें। इसके जवाब में पीएम ने कहा, 'हमें किसी भी प्रेशर को झेलने के लिए खुद को सामर्थ्यवान बनाना चाहिए। दबाव को हमें अपने मन की स्थिति से जीतना जरूरी है। किसी भी प्रकार की बात हो, हमें परिवार में भी चर्चा करनी चाहिए।'

दूसरों से काॅम्पिटीशन नहीं प्रेरणा लीजिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आपके दोस्त से आपको किस चीज की स्पर्धा है? मान लीजिए 100 नंबर का पेपर है। आपका दोस्त अगर 90 नंबर ले आया तो क्या आपके लिए 10 नंबर बचे? आपके लिए भी 100 नंबर हैं। आपको उससे स्पर्धा नहीं करनी है आपको खुद से स्पर्धा करनी है... उससे द्वेष करने की जरूरत नहीं है। असल में वो आपके लिए प्रेरणा बन सकता है। अगर यही मानसिकता रही तो आप अपने से तेज तरार व्यक्ति को दोस्त ही नहीं बनाएंगे।

बच्चों का तनाव दूर करने के लिए शिक्षकों को क्या करना चाहिए?

प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षकों को टिप्स देते हुए कहा कि बच्चों के तनाव को कम करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। इसलिए शिक्षक और छात्रों के बीच हमेशा सकारात्मक रिश्ता रहना चाहिए। शिक्षक का काम सिर्फ जॉब करना नहीं, बल्कि जिंदगी को संवारना है, जिंदगी को सामर्थ्य देना है, यही परिवर्तन लाता है। परीक्षा के तनाव को विद्यार्थियों के साथ-साथ पूरे परिवार और टीचर को मिलकर एड्रेस करना चाहिए। अगर जीवन में चुनौती और स्पर्धा ना हो, तो जीवन प्रेरणाहीन और चेतनाहीन बन जाएगा। इसलिए कॉम्पटिशन तो होना ही चाहिए, लेकिन हेल्दी कॉम्पटिशन होना चाहिए।

पढ़ने के साथ-साथ लिखने की प्रैक्टिस जरूर करें

प्रधानमंत्री ने बच्चों को टिप्स देते हुए कहा कि आजकल लोगों की लिखने की आदत कम हो गई है। हम आईपैड वगैरह पर ज्यादा वक्त बिताते हैं। लेकिन जितना लिखेंगे उतनी ही अच्छी तैयारी होगी और कॉन्फीडेंस भी बढ़ेगा। इसलिए आप दिन में जितनी देर पढ़ते हैं उसका कम से कम आधा वक्त नोट्स बनाने में लगाएं। इससे आपको आइडिया लग जाएगा कि परीक्षा में कितनी देर में क्या आंसर लिखना है। अगर आपको तैरना आ जाएगा तो पानी में उतरने में डर नहीं लगेगा, ठीक वैसे ही जब आप लिखने की प्रैक्टिस करेंगे तो आपको टाइम मैनेजमेंट आ जाएगा और जाहिर तौर पर परीक्षा परिणाम में इसका असर दिखेगा।

पढ़ाई के साथ अच्छी सेहत भी जरूरी

प्रधानमंत्री से एक छात्र ने सवाल किया कि पढ़ाई के साथ-साथ हमारे लिए व्यायाम और खेल कितना जरूरी है। इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि जिस तरह मोबाइल को इस्तेमाल करने के लिए उसे चार्जिंग और रिचार्ज की जरूरत है, ठीक वैसे ही हमारे शरीर को रिचार्ज करना जरूरी है। स्वस्थ रहना सबसे जरूरी है। अगर हम स्वस्थ नहीं रहेंगे तो परीक्षा में बैठने की सामर्थ्य नहीं होगी। कभी कभी सूर्य के प्रकाश में बैठिए। इसके अलावा नींद को महत्व दें, परीक्षा से पहले अच्छी नींद जरूरी है। इसलिए जब भी मम्मी बोलें सो जाओ तो सोना चाहिए। रील्स पर समय बिगाड़ने से नींद को कम आंक रहे हैं।

माता-पिता और बच्चों के बीच भरोसा जरूरी

एक छात्रा ने पीएम मोदी से सवाल किया कि हम अपने मां-बाप को कैसे यकीन दिलाएं कि हम मेहनत कर रहे हैं? इसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ये सोचने का विषय है कि पारवारिक माहौल में माता-पिता या टीचर भरोसा नहीं कर पा रहे। कहीं न कहीं हमें अपने आचरण का एनालिसिस करने की जरूरत है। एक विद्यार्थी के नाते हमें ये सोचना चाहिए कि क्या आप जो कहते हैं उसका सच में पालन करते हैं या नहीं। माता-पिता के मना करने भी अगर हम फोन चला रहे हैं, तो भरोसा तो कम होगा ही। ठीक ऐसे ही मां-बाप को भी बच्चों पर भरोसा करना चाहिए। अगर बच्चों के नंबर नहीं आए हैं, तो इस तरह की बातें, कि तुम पढ़ते नहीं हो, दोस्तों के साथ समय बिताते रहते हो, ऐसी बातें बच्चों और मां-बाप के बीच दूरी बढ़ा देती हैं।

करियर च्वाइस के सवाल पर नहीं कोई उलझन

जब एक छात्रा ने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि वो करियर से जुड़ी उलझनों से कैसे बाहर निकलें, कैसे विषयों का चुनाव करें? इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि आप स्वयं उलझन में हैं। हकीकत ये है कि आपको खुद पर भरोसा नहीं है। आपका अपने सोचने के समन्वय में दुविधा है इसलिए आप 50 लोगों को पूछते रहते हैं... जो सलाह आपको सबसे सरल लगती है उसी से आप समन्वय बैठा लेते हैं... सबसे बुरी जो स्थिति है वो कन्फ्यूजन है... निर्णय करने से पहले हमें सारी चीजों को जितने तराजू पर तोल सकते हैं, तोलना चाहिए।"

अभिभावकों की टोका-टोकी पर पीएम ने क्या कहा

प्रधानमंत्री मोदी से कुछ अभिभावकों और छात्रों ने सोशल मीडिया और मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभाव बचने के उपाय पूछे। इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती। हम पेट भरने के बाद अपना मनपसंद खाना नहीं खा सकते है ठीक वैसे ही कितनी भी प्रिय चीज क्यों न आ रही हो, लेकिन मोबाइल की समय सीमा तय करनी पड़ेगी। आजकल तो पूरा परिवार मोबाइल में लगा रहता है, घर में बराबर में बैठकर एक दूसरे को मैसेज करते हैं। मोबाइल के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए पूरे परिवार को नियम बनाने होंगे। हम खाने के वक्त कोई गैजेट्स का इस्तेमाल न करें, ऐसा नियम बना सकते हैं। टेक्नोलॉजी से बचने की जरूरत नहीं है, लेकिन उसका सही उपयोग सीखना बेहद जरूरी है। हमारे मोबाइल पर लगा पासवर्ड परिवार के सभी सदस्यों को पता होगा, तो काफी सुधार हो जाएगा। इसके अलावा हमें स्क्रीन टाइम अलर्ट को मॉनीटर करना चाहिए।

पीएम ने बच्चों को बताए रील्स देखने के नुकसान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा के दौरान ज्यादा रील्स देखने के नुकसान भी बताए। उन्होंने कहा कि अगर आप एक के बाद एक रील्स देखते रहेंगे तो काफी समय बर्बाद हो जाएगा, आपकी नींद खराब होगी। जो कुछ आपने पढ़ा है वो याद नहीं रहेगा। अगर आप नींद को कम आंक रहे हैं, तो ये ठीक नहीं है। आधुनिक हेल्थ साइंस भी नींद के महत्व पर जोर देती है। आप नींद आवश्यक लेते हैं या नहीं, यह आपके स्वास्थ्य पर ध्यान देता है। जिस उमर में हैं, उसमें जिन चीजों की जरूरत है वो आहार में है या नहीं यह जानना जरूरी है, हमारे आहार में सुतंलन स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, फिटनेस के लिए एक्सरसाइज करना चाहिए, जैसे रोज टूथब्रश करते हैं वसे ही नो कॉम्प्रोमाइज एक्सरसाइज करनी चाहिए।

PM के रूप में आप कैसे झेलते हैं प्रेशर?

​चेन्नई के एक छात्र ने पीएम मोदी से सवाल किया कि वो प्रधानमंत्री के रूप में बड़े-बड़े प्रेशर कैसे हैंडल कर पाते हैं? इसके जवाब देते हुए पीएम मोदी ने हंसते हुए छात्र से पूछा कि क्या आप भी PM बनना चाहते हैं। पीएम ने कहा कि मैं चुनौतियों को ही चुनौतियां देता हूं। मैं मानता हूं कि कुछ भी क्यों न हो, मेरे साथ 140 करोड़ देशवासियों का साथ है। मैं अपनी शक्ति देश के सामर्थ्य बढ़ाने में लगा रहा हूं। इसके लिए मैं देश की शक्ति और सामर्थ्य पर भरोसा करता हूं। मैं ये नहीं सोचता कि मैं ये सब कैसे कर पाऊंगा। मैं जिनके लिए काम कर रहा हूं उनपर मेरा अपार भरोसा है। अगर मुझसे कोई गलती भी हो जाती है, तो मैं इसे एक सबक मानता हूं और निराश नहीं होता। कोराना के दौर में मैंने रोजाना देशवासियों से बात की, उन्हें मोटिवेट किया, इससे उनकी सामर्थ्य बढ़ती थी। PM ने कहा, 'जब कोई निजी स्वार्थ नहीं होता, तो निर्णय लेने में कोई दुविधा नहीं होती। ये मेरी सबसे बड़ी ताकत है। मैं जो करूंगा देश के लिए करूंगा, आपके लिए करूंगा, मेरा क्या होगा इसकी मुझे कोई परवाह नहीं है।'

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