वाराणसी कहें, बनारस कहें या फिर काशी- भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित इस प्राचीन नगर वाराणसी को, प्रायः मंदिरों का शहर, भारत की धार्मिक राजधानी, भगवान शिव की नगरी, दीपों का शहर, ज्ञान नगरी आदि विशेषणों से भी संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं- बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।
काशी नगरी वर्तमान वाराणसी शहर में स्थित पौराणिक नगरी है। इसे संसार के सबसे पुराने नगरों में से एक माना जाता है। भारत की यह जगत प्रसिद्ध प्राचीन नगरी गंगा के वाम यानी उत्तर तट पर उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी कोने में वरुणा और असि नदियों के गंगा संगमों के बीच बसी है। इस स्थान पर गंगा ने प्रायः चार मील का दक्षिण से उत्तर की ओर घुमाव लिया है और इसी घुमाव के ऊपर यह नगर काशी नगर स्थित है। इस प्राचीन काशी नगरी का नाम बाद में वाराणसी कर दिया गया, जो लोकोच्चारण से बनारस हो गया। हालांकि, उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार ने एक बार फिर शासकीय रूप से इसे पूर्ववत् वाराणसी कर दिया।
बीते कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश सरकार ने वाराणसी के विकास पर काफी ध्यान दिया है, जिसका प्रभाव अब दिख रहा है। जनवरी 2017 से जुलाई 2022 तक वाराणसी आने वाले पर्यटकों की संख्या में 10 गुना बढ़ोतरी देखने को मिली है। बीते पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो यह बात साबित हो जाती है।
उत्तर प्रदेश
साल घरेलू पर्यटक विदेशी पर्यटक
2022 317913587 648986
2021 109708435 44737
2020 86122293 890892
2019 535855162 4745181
2018 285079848 3780752
2017 233977619 3556204
वाराणसी
साल घरेलू पर्यटक विदेशी पर्यटक
2022 71612127 89689
2021 6881192 2892
2020 8705623 187616
2019 20052629 708678
2018 19278506 805472
2017 17659947 784666
यह आंकड़ा दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश का वाराणसी, आज सबसे अधिक पर्यटकों वाला शहर बन गया है। इसने मथुरा को भी पीछे छोड़ दिया है, जहां वर्ष 2022 में 6.5 करोड़ पर्यटक पहुंचे थे। हालांकि, पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो आगरा में अब भी सबसे अधिक संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं। पर्यटन विभाग की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि बीते दो वर्षों से सावन के महीने में वाराणसी पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है।
10 करोड़ श्रद्धालुओं ने किए विश्वनाथ मंदिर के दर्शन
दिसंबर 2021 में गलियारे का उद्घाटन होने के बाद से अब तक 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु श्रीकाशी विश्वनाथ धाम मंदिर पहुंचकर भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर चुके हैं। पांच लाख वर्ग फुट में फैला यह गलियारा, वाराणसी पर्यटन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है। शहर में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि के पीछे अहम कारण काशी विश्वनाथ धाम गलियारे के पुनर्विकास को माना जा रहा है, जिसमें गंगा क्रूज, विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती, गंगा घाटों का सौंदर्य, काशी की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक विरासत और बरसों पुरानी बुनाई की कला सम्मिलित है। हालांकि, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के पीआरओ ब्रिज तिवारी ने बताया कि जब से मंदिर का पुनर्विकास हुआ है, हर रोज डेढ़ लाख श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन-पूजन के लिए यहां पहुंचते हैं। वहीं, सावन के महीने में यह संख्या बढ़कर दो लाख से ज्यादा हो जाती है। उन्होंने कहा कि पिछले सावन में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए कुल 1 करोड़ 11 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे, जबकि इस साल श्रावण मास में यह संख्या अब तक सवा करोड़ से भी ज्यादा हो चुकी है।
बनारस होटल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट गोकुल शर्मा ने बताया कि वर्ष 2021 में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद से तो मानो वाराणसी की किस्मत चमक गई है। यहां इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी सुधार हुआ है। पहले दिनभर में 12-13 घंटे भी बिजली की आपूर्ति मुश्किल से होती थी। दिनभर होटलों में जेनरेटर की वजह से शोर रहता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब यहां बिजली की आपूर्ति पूरी तरह से हो रही है। कनेक्टिविटी में भी काफी सुधार हुआ है। सड़क के साथ-साथ हवाई मार्ग से यात्रा की सुविधा भी बढ़ी है, जिसके परिणामस्वरूप देश-विदेश से यहां पहुंचने वालों की संख्या में काफी बढ़ोतरी दिख रही है। कानून एवं व्यवस्था में भी काफी सुधार हुआ है। पहले यहां के व्यापारी जर्जर क़ानून व्यवस्था की वजह से परेशान रहते थे, लेकिन आज ऐसा नहीं है।
शर्मा कहते हैं, "गुजरात की तरह उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था में इतना सुधार तो नहीं हुआ है कि मैं यह कह दूं कि रात को भी महिलाएं निडर होकर यहां घूम सकती हैं, लेकिन इतना अवश्य कहुंगा कि पहले की तुलना में कानून व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। अब यहां कनेक्टिविटी और कानून व्यवस्था, दोनों के बेहतर होने के बाद आसपास के राज्यों और विदेशों से महिलाएं बेखौफ होकर अकेली या सिर्फ महिलाओं की टोली बनाकर बाबा विश्वनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंच रही हैं। इसके लिए अब वे पुरुषों का इंतजार नहीं करतीं। उत्तर प्रदेश से ही नहीं, पूर्वांचल, बिहार, दिल्ली, राजस्थान और विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु-पर्यटक, अब यहां दर्शन-पूजन और पर्यटन के उद्देश्य से पहुंच रहे हैं। विशेषकर वीकएंड में या दो-तीन दिनों की छुट्टियां पड़ रही हों तो आसपास से पर्यटक यहां एन्जॉय करने पहुंच जाते हैं।"
सफाई पर पहले से ज्यादा दिया जा रहा ध्यान
शर्मा कहते हैं, "प्रदेश में सफाई पर भी पहले से कहीं ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। लोगों की बात करें तो वर्षों की उनकी मानसिकता को पूरी तरह से बदलने में अभी कुछ समय और लग जाएगा, लेकिन फिर भी इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता कि पहले की तुलना में सफाई पर भी काफी ध्यान दिया जा रहा है। पहले सड़कों की सफाई दिनभर में एक बार होती थी लेकिन अब तीन से चार बार होती है। पर्यटकों, विशेषकर महिलाओं को शौचालय के प्रयोग में अब पहले जितनी समस्या नहीं होती। अगर बीच रास्ते में वे कहीं फंस जाती हैं तो किसी भी होटल के शौचालय का उपयोग कर सकती हैं। हालांकि, ऐसा कोई सरकारी कानून नहीं है, लेकिन महिलाओं के लिए होटल मालिक ये सुविधाएं उपलब्ध कर देते हैं। हां, इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस दौरान होटल मालिकों को सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना होता है। पहले दिनभर में जहां 100 लोग आते थे, वहीं आज 1000 से ज्यादा लोग यहां घूमने आते हैं। इस वजह से होटल मालिकों के लिए सुरक्षा आज एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके बावजूद वे महिलाओं और बच्चों की जरूरतों और मजबूरियों को ध्यान में रखकर ऐसे समय में उनकी मदद के लिए तैयार रहते हैं।"
"पहले यहां खास सीजन या महीने में ही पर्यटक पहुंचते थे, लेकिन आज हर रोज पर्यटकों के आने से रोजगार के मौके बढ़े हैं। इससे वाराणसी में 75 से 80 प्रतिशत तक व्यवसाय बढ़ा है। होटल इंडस्ट्री में बूम आया है। होटल ऑनलाइन बुक किए जाते हैं। एसी कमरों की कीमत यहां 1000 से लेकर 3000 रुपये तक है। वहीं, नन-एसी कमरों की कीमत 1000 रुपये के नीचे है। लगभग हर रोज यहां होटल के कमरे बुक हो जाते हैं। सिर्फ होटल इंडस्ट्री को ही इसका फायदा नहीं हो रहा, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी इसका असर दिख रहा है। जिस तरह से यहां पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, उसे देखते हुए यह कहना गलत न होगा कि पर्यटक स्थलों और धार्मिक स्थलों के साथ-साथ लोग यहां की पारंपरिक कला-संस्कृति, खान-पान, परिधान आदि की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं। बनारसी साड़ी हो या फिर वाराणसी के स्ट्रीट फूड्स, आज भी इनका क्रेज पर्यटकों के सिर चढ़कर बोलता है। यहां से जाने से पहले वे बनारसी साड़ी के अलावा सिल्क के कपड़े साथ ले जाना नहीं भूलते। खाने-पीने की चीजों का स्वाद चखना और फिर उन्हें संग ले जाना, पर्यटकों के इस कदम से वाराणसी के लोगों के व्यवसाय में काफी बढ़ोतरी हुई है। रिक्शा चलाने वाले से नाव चलाने वाले नाविक तक, सभी के लिए रोजगार के साधन बढ़े हैं। वाराणसी में समृद्धि हर ओर देखने को मिल रही है।"
परिवहन सुविधाएं बढ़ने और अन्य कई सुविधाएं देखने के बाद देश-विदेश से आने वाले लोग भी यहां निवेश करने को लेकर कदम बढ़ा रहे हैं। होटल इंडस्ट्री में निवेश की ख़बरों को लेकर बनारस होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष गोकुल शर्मा कहते हैं, "जी हां, अयोध्या और वाराणसी समेत आसपास के लोग भी यहां होटल इंडस्ट्री में निवेश कर रहे हैं। यह खबर भी सही है कि कई एएमयू पर हस्ताक्षर हो भी चुके हैं। प्रदेश सरकार जिस तरह से सब्सिडी दे रही है, उससे ज्यादा से ज्यादा लोग निवेश के लिए पहुंचेंगे ही, और पहुंच भी रहे हैं। विदेशी कंपनियां भी यहां होटल लगाने की तैयारियां कर रही हैं। हालांकि, धरातल पर यह सब नजर आने में कुछ समय तो लगेगा ही। एक-दो साल में होटल इंडस्ट्री में काफी बदलाव देखने को मिलेगा। सच यह है कि एक-दो साल में होटल इंडस्ट्री के अलावा अन्य कई क्षेत्रों में यहां बदलाव देखने को मिलेगा।"
बेहतर कनेक्टिविटी के कारण बढ़ रहे हैं पर्यटक
निःसंदेह उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों ने मंदिर के पुनरुद्धार के बाद यहां पहुंचने, ठहरने समेत दर्शन-पूजन आदि को भी बेहद आसान बना दिया है। देश को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने के अपने मिशन के साथ मौजूदा सरकार लगातार शहर में पर्यटन की आर्थिक क्षमता को बेहतर बनाने की कोशिश में जुटी है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर और घाटों के लिए हमेशा से प्रसिद्ध यह नगर, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की सरकार की परंपरा और आधुनिकता को साथ लेकर आगे बढ़ रही है। परिणामस्वरूप काशी-विश्वनाथधाम मंदिर समेत समूचे वाराणसी में पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
भारत में 60 से अधिक पर्यटन स्थल को केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन की श्रेणी में रखता है। मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2021 में भारत में पूजा स्थलों के आसपास की अर्थव्यवस्था 65.070 करोड़ रुपये थी, जो अगले वर्ष 2022 में बढ़कर करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये हो गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम के एक एपिसोड में कहा था कि वाराणसी में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि लोगों के अंदर बढ़ रही सांस्कृतिक जागृति को दर्शाती है। उन्होंने यह भी कहा था कि जहां वाराणसी पर्यटकों की संख्या के मामले में सबसे आगे है, वहीं अयोध्या, मथुरा और उज्जैन जैसे मंदिरों वाले शहर भी पीछे नहीं हैं।
मुम्बई और गोवा की तरह अब वाराणसी में भी लोग पानी पर लग्जरी यात्रा का आनंद उठा रहे हैं। वाराणसी उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा शहर है, जहां नदी में चलने वाले क्रूज की संख्या 10 से ज्यादा हो चुकी है। पर्यटकों की संख्या में हुई वृद्धि से वाराणसी में रिवर टूरिज्म की डिमांड भी बढ़ी है, जिसमें क्रूज की मांग भी शामिल है। गंगा की लहरों पर क्रूज का संचालन बढ़ने से वाराणसी में न सिर्फ पर्यटन क्षेत्र का विकास हो रहा है, बल्कि यहां के कारोबारियों को भी लाभ मिल रहा है।
बेहतर कनेक्टिविटी के कारण पर्यटक वाराणसी के साथ-साथ अयोध्या, विन्ध्याचल और प्रयागराज भी जा रहे हैं। छुट्टियों और पर्व-त्योहारों में काशी आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। टेंट सिटी, रिवर फ्रंट, नमो घाट जैसी पर्यटन परिवहन तथा मूलभूत सुविधाओं को मजबूत करने वाली परियोजनाओं के पूरा होने के बाद काशी सहित वाराणसी और मिर्जापुर मंडल में पर्यटन उद्योग को और ऊंचाई मिलेगी। एक सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि हर साल वाराणसी में 10 करोड़ पर्यटक आ रहे हैं। यह आंकड़ा इतना ज्यादा है कि टूरिज्म के लिए मशहूर गोवा भी पीछे छूट गया है। कुछ स्वतंत्र सर्वेक्षणों ने वर्ष 2022 में गोवा की तुलना में वाराणसी में पर्यटकों की संख्या में 8 गुना वृद्धि का अनुमान लगाया है।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2022 में वाराणसी में जहां 7.2 करोड़ पर्यटक आए, वहीं गोवा 85 लाख पर्यटकों के साथ बहुत पीछे था। मन की बात के उस एपिसोड में पीएम ने यह भी कहा था कि पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रभाव उत्तर प्रदेश के लोगों के जीवन और आजीविका पर भी दिख रहा है। वाराणसी में पर्यटकों की संख्या प्रतिवर्ष 10 करोड़ से अधिक हो गई है। सर्वेक्षण में भी कहा गया कि वाराणसी की पर्यटन संबंधी आय में 20.65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में 34.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
पर्यटकों के बढ़ने से होटल इंडस्ट्री में दिख रहा उछाल
उत्तर प्रदेश, निवेश मित्र के मीडिया को-ऑर्डिनेटर शिव कुमार शुक्ला ने बताया कि 10 से 12 फरवरी 2023 को उत्तर प्रदेश में आयोजित उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 (जीआईएस) के बाद प्रदेश में 35 लाख रुपये से ज्यादा का निवेश हुआ है। यहां 19 हजार से भी ज्यादा कंपनियां निवेश कर रही हैं, जिन्होंने अब तक 50 लाख रुपये से लेकर तीन हजार करोड़ रुपये तक का निवेश किया है।
केंद्र और प्रदेश सरकार के सब्सिडी देकर स्टार्टअप इंडिया को प्रमोट करने के बाद वाराणसी, देश का एक बड़ा पर्यटक स्थल बन चुका है। दोनों सरकारें वाराणसी सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नियम बना रही हैं। पर्यटन विभाग में निवेश करने पर भी सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम बनने और काशी का भव्य रूप तैयार होने के बाद यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इसके लिए होटलों की भी जरूरत बढ़ती जा रही है। वाराणसी में बजट होटल के साथ ही थ्री स्टार, फोर स्टार और फाइव स्टार होटल भी बन रहे हैं। आने वाले समय में ये होटल बड़ा रूप ले लेंगे। सावन के महीने में होटल व्यवसाय में काफी उछाल देखने को मिल रहा है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने और काशी घूमने आने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों से वाराणसी के लगभग सभी होटल भर चुके हैं। बड़े होटलों में कमरे नहीं मिल रहे। गेस्ट हाउस, लॉज, धर्मशाला आदि में 1500 रुपये में कोई भी कमरा नहीं मिल रहा है।
सब्सिडी देने के बाद वाराणसी में होटल व्यवसाय में भारी उछाल देखने को मिल रहा है। पर्यटकों की लगातार बढ़ती संख्या ने यहां होटलों की मांग भी बढ़ा दी है। होटल खोलने को लेकर काशी पर्यटन कार्यालय पहुंचने वालों की संख्या भी बढ़ी है। होटल के लिए सैकड़ों की संख्या में आवेदन पर्यटन कार्यालय पहुंचे हैं, जो बताता है कि यहां होटल इंडस्ट्री भी बूम पर है।
इन क्षेत्रों में भी हैं रोज़गार के अवसर
उत्तर प्रदेश, निवेश मित्र के मीडिया को-ऑर्डिनेटर शिव कुमार शुक्ला के अनुसार, यूं तो हर क्षेत्र में निवेश किए जा रहे हैं, लेकिन होटल इंडस्ट्री के अलावा सीमेंट, फूड प्रोसेसिंग, वेयरहाउस क्षेत्र निवेशकों की पहली पसंद बने हुए हैं। जिस तरह से वाराणसी और अयोध्या के करीब हवाई अड्डे बन रहे हैं, उसी तरह से यहां होटल इंडस्ट्री में भी बूम नजर आ रहा है।
वैसे, भौगोलिक तौर पर यहां की अर्थव्यवस्था मूलतः खेती पर निर्भर है। वर्षों से यूपी देश के ज्यादातर राज्यों को खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की भूमिका निभाता आ रहा है। यहां गेहूं, दालें, सरसों, धान, गन्ना और आलू उपजाए जाते हैं। साल 2001-02 में देश के एक-तिहाई गेहूं और आधे गन्ने की पैदावार अकेले यूपी ने की थी। फलों की बात करें तो सेब और आम की पैदावार भी प्रदेश के किसानों द्वारा की जाती है। इनके अलावा यहां कुछ अन्य मुख्य उद्योग भी हैं, जिनमें सब्जियों से जुड़े उद्योग, पशु तेल, वसा, डेयरी उत्पाद, अनाज मिल उत्पाद, पशु चारा, कालीन और गलीचे उद्योग शामिल हैं।
खाने-पीने के उत्पादों और चीनी व चीनी से जुड़े उत्पादों के अलावा यूपी में तम्बाकू उत्पाद, कैमिकल व कैमिकल उत्पाद, मेटल, रबर और प्लास्टिक उत्पाद, कपड़ों पर किए जाने वाले मेटल वर्क समेत मोटर व्हीकल्स, ट्रेलर्स व अर्ध-ट्रेलर, टेक्सटाइल्स, तैयार परिधानों, संपर्क के उत्पाद, परिवहन उत्पाद, इलेक्ट्रिकल मशीनें और उपकरण, फर्नीचर, नन-मेटलिक मिनरल उत्पाद, प्रकाशन, छपाई और मीडिया, कागज और कागज के उत्पाद, शीशे के सामान और चमड़े के उत्पाद भी भारी मात्रा में तैयार किए जाते हैं। उत्तर प्रदेश में स्केल, लेटर बॉक्स, फर्नीचर, ताला, चमड़े के सामान, कैंची, बेल्ट, हैंडलूम, कारपेट, शीशा, इलेक्ट्रिक सामान का निर्माण होता है।
उत्तर प्रदेश में सॉफ्टवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर हार्डवेयर, केमिकल्स, स्टोन प्रोडक्ट्स, ब्रास वर्क, पान के पत्ते, आलू उत्पाद, हैंड प्रिंटिंग, लेदर उत्पाद, कॉटन यार्न, साड़ियां, सिल्क के ड्रेस मैटेरियल, ब्लैक पॉटरी, हैंडीक्राफ्ट आइटम्स, आर्ट प्रोडक्ट्स और ज्वैलरी आदि उत्पाद तैयार किए जाते हैं, जिनका निर्यात किया जाता है। बीते कुछ वर्षों में प्रदेश इंफोरमेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट का मुख्य केंद्र बन चुका है। यहां टेलीकम्यूनिकेशन, बैंकिंग, इंश्योरेंस, लॉजिस्टिक्स, परिवहन, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में काफी वृद्धि देखने को मिली है, जिससे प्रदेश की क्रय शक्ति में भी इजाफा हुआ है। योजना कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2012-13 के आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि उत्तर प्रदेश ने पिछले 10 वर्षों में काफी विकास किया है। यहां सड़कों का निर्माण, एक्सप्रेस वे, जिला सड़कों का निर्माण और बिजली सप्लाई जैसे कार्यों पर काफी ध्यान दिया गया है।
सात से 12 लाख करोड़ रुपये तक निवेश का प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 (जीआईएस) से पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 16 देशों से 7,12,288 करोड़ रुपये कीमत के निवेश प्रस्ताव प्राप्त होने की सूचना मिली थी। यह सूचना उन्हें तब मिली थी, जब यूपी के अलग-अलग मंत्री अलग-अलग देशों में जाकर वहां के उद्योगपतियों, कंपनियों और संस्थानों से मिले थे और उन्हें 10 से 12 फरवरी, 2023 को लखनऊ में आयोजित होने वाले जीआईएस में शामिल होने के लिए निमंत्रण भी दिया था। 4 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव तो उन्हें अकेले यूनाइटेड किंगडम और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका से ही मिल गए थे। उस वक्त उन्हें यह भी बताया गया था कि विदेशों में होने वाले जी2जी (गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट) और बी2जी (बिजनेस टू गवर्नमेंट) मीटिंग्स के दौरान वेस्टर्न उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा समेत गोरखपुर, काशी, प्रयागराज, अलीगढ़, लखनऊ, कानपुर जैसे जिलों में भी कंपनियां निवेश की इच्छुक हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार को यह भी बताया गया था कि ये कंपनियां हॉस्पिटैलिटी, फूड प्रोसेसिंग, ड्रग्स एंड फार्मा, मेडिकल डिवाइस, केमिकल, टूरिज्म, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग, ग्रीन हाइड्रोजन, ईवी बैटरी मैन्युफैक्चरिंग, एमएसएमई, डायरी, एजुकेशन, डिफेंस एंड एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर, ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग, एग्रीकल्चर, टेक्सटाइल, स्टील मैन्युफैक्चरिंग सहित अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित हैं। इतना ही नहीं, योगी आदित्यनाथ के मंत्रियों ने यह भी कहा था कि फरवरी 2023 में आयोजित जीआईएस में भाग लेने वाले 52 औद्योगिक समूहों ने उत्तर प्रदेश में निवेश करने हेतु आधिकारिक सहमति उनके मुलाकात के दौरान ही दे दी थी।
मिला 33.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव
इसके बाद जब यूपी जीआईएस 2023 का आयोजन हुआ तो यूपी को उनकी उम्मीद से कहीं ज्यादा 33.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव प्राप्त हुआ। इसमें से 9.54 लाख करोड़ का निवेश पूर्वांचल क्षेत्र और 4.28 लाख करोड़ का निवेश बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए मिला था। तब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुशी जाहिर करते हुए कहा था कि इससे प्रदेश में 93 लाख रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा था कि निवेश का यह प्रस्ताव प्रदेश के सभी 75 जिलों के लिए है। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि इसके बाद यूपी बहुत जल्द ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बन जाएगा। प्रदेश की योगी सरकार ने तब यूपी को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए राज्य सरकार के प्रयास को इंगित करते हुए कहा था कि बहुत जल्द वे इस लक्ष्य को पाने में सफल होंगे। योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा था कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्र 'रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म' पर काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निवेशकों को लुभाने के लिए राज्य में कानून और व्यवस्था को चुस्त किया। राज्य सरकार ने निवेश सारथी, निवेश मित्र, मुख्यमंत्री उद्यमी मित्र और प्रोत्साहन निगरानी प्रणाली जैसे सिंगल विंडो सिस्टम भी तैयार किए, जो उद्यमियों को जमीनी स्तर पर समझौते पर हस्ताक्षर करने और उसे लागू करने में सहायता करता है। इसका राज्य को काफी लाभ भी मिला।
हालांकि, इससे पहले जून 2022 में भी 29 कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए थे। 3 जून 2022 को यूपी में तीसरा ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह आयोजित किया गया था। इसमें 1318 कंपनियों द्वारा 1406 प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए गए थे। यानी यहां 80 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा के निवेश को सहमति दी गई थी, जो 75वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अनुमानित 75 हजार करोड़ रुपये के निवेश से भी ज्यादा था।
इन कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में किया निवेश
उस वक्त यूपी में निवेश करने वाली कंपनियां थीं- हीरानंदानी समूह, जिन्होंने नोएडा स्थित डाटा सेंटर में 9,134 करोड़ रुपये निवेश किए थे। उसी वक्त सिफी टेक्नोलॉजी का डाटा सेंटर 2692 करोड़ रुपये के निवेश के साथ नोएडा आया था। इसके अलावा एसटीटी ग्लोबल डाटा सेंटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, एसएलएमजी बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड, डालमिया सीमेंट, बर्जर पेंट्स, एसीसी सीमेंट जैसी कई अन्य कंपनियों ने भी यूपी में निवेश को लेकर उत्सुकता दिखाई थी। तब उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट यानी राज्य उद्योग और बुनियादी ढांचा विकास विभाग ने इन निवेश प्रस्तावों को पांच समूहों में बांट दिया था, जिसमें लास्ट कट ऑफ 3 करोड़ रुपये रखा गया। हालांकि, 642 कंपनियों ने उनके प्रोजेक्ट्स को 1018 करोड़ रुपये कैटेगरी में लाकर खड़ा कर दिया। वहीं, 109 कंपनियों ने 100 से 500 करोड़ का निवेश किया। इस कैटेगरी में कुल 24,337 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। वहीं, तीसरी कैटेगरी में 292 कंपनियां ने 10 से 100 करोड़ रुपये की कीमत के प्रोजेक्ट्स में निवेश किया। इन प्रोजेक्ट्स की कुल वैल्यू 9610 करोड़ है। 3 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक के निवेश को चौथी कैटेगरी में रखा गया। इस समूह में 334 कंपनियों ने कुल 1747 करोड़ रुपये का निवेश किया।