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- पीएम विश्वकर्मा के तहत 58 हजार आवेदन हुए पंजीकृत, जानें योजना के तहत मिलने वाले लाभ
विश्वकर्मा जयंती के मौके पर 17 सितंबर 2023 को लांच हुई थी योजना
पांरपरिक कौशल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हुई योजना की शुरुआत
वर्ष 2028 तक है पीएम विश्वकर्मा योजना की अवधि, योजना बजट 13-15 हजार करोड़
पारंपरिक कौशल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 15 अगस्त 2023 को पीएम विश्वकर्मा योजना की घोषणा की गई। इस योजना की शुरुआत विश्वकर्मा जयंती पर 17 सितंबर 2023 को हुई। कारीगरों को इसका लाभ देने के लिए योजना का संचालन वर्ष 2028 तक किया जाएगा। हाल ही इस योजना के लिए आवेदन मांगे गए थे। यह जानकारी राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने पीएम विश्वकर्मा योजना के संबंध में साझा की। उन्होंने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना में 18 दिसंबर तक 57,815 कारीगरों और शिल्पकारों के आवेदन पंजीकृत हुए हैं। हालांकि इस रिपोर्ट को दाखिल करने के समय, 37.68 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 77,630 आवेदकों को योजना के तहत लाभ के लिए पंजीकृत किया गया है, जबकि शेष ग्राम पंचायत स्तर (5.30 लाख), जिला कार्यान्वयन समिति सहित सत्यापन के विभिन्न चरणों में हैं। योजना के पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, 2.08 लाख) और स्क्रीनिंग कमेटी के पास (83,243) थे।
यह योजना 18 अलग-अलग व्यवसायों में हाथ और औजारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों को आईडी और प्रमाणीकरण के माध्यम से मान्यता प्रदान करती है। इसके अलावा सरकार प्रशिक्षण अवधि के दौरान प्रति दिन 500 रुपये वजीफा के साथ सात दिनों (40 घंटे) के लिए बुनियादी कौशल प्रशिक्षण और 15 दिनों (120 घंटे) के लिए उन्नत प्रशिक्षण प्रदान करती है। इसके अलावा, 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन और पहली किश्त में एक लाख रुपये और दूसरी किश्त में 2 लाख रुपये का गिरवी मुक्त ऋण की सुविधा दी जाती है। ये ऋण एमएसएमई मंत्रालय द्वारा भुगतान की जाने वाली आठ प्रतिशत की ब्याज छूट सीमा के साथ रियायती पांच प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध हैं।
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत शामिल किये गए हैं ये अलग-अलग व्यवसाय
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत सरकार द्वारा 18 पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है। इसमें मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले, दर्जी, धोबी, माला बनाने वाले (मालाकार), नाई, पारंपरिक गुड़िया और खिलौना बनाने वाले, टोकरी, चटाई व झाड़ू निर्माता शामिल हैं। इसके अलावा कॉयर बुनकर, राजमिस्त्री, मोची (चर्मकार, फुटवियर कारीगर), मूर्तिकार (पत्थर तराशने वाले), कुम्हार, सुनार, ताला निर्माता, हथौड़ा और टूल किट बनाने वाले, लोहार, कवच बनाने वाले, नाव बनाने वाले, बढ़ई (सुथार)। इस योजना का लाभ प्राप्त करने की पात्रता में हाथों और औजारों से काम करने वाले और 18 व्यवसायों में से एक में लगे कारीगर या शिल्पकार की पंजीकरण की तिथि पर न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। केंद्र या केंद्र द्वारा समान क्रेडिट-आधारित योजनाओं के तहत ऋण नहीं लिया होना चाहिए। राज्य सरकार, योजना के तहत पंजीकरण और लाभ परिवार के एक सदस्य तक ही सीमित होना चाहिए और व्यक्ति या उसके परिवार के सदस्यों को सरकारी सेवा में नियोजित नहीं किया जाना चाहिए, शामिल हैं।
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत मिलने वाले लाभ
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों को प्रशिक्षित किया जाता है। इसमें पांच से सात दिन तक बुनियादी और 15 या उससे अधिक दिनों तक उन्नत प्रशिक्षण दो रूपों में दिया जाता है। इस दौरान प्रशिक्षणार्थियों को प्रतिदिन पांच सौ रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती हैं साथ ही संबंधित औद्योगिक उपकरण खरीदने के लिए 15 हजार रुपए की वित्तीय सहायता मिलती है। कारीगरों और शिल्पकारों को गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग, जीईएम जैसे ई.कॉमर्स प्लेटफार्मों पर ऑनबोर्डिंग, विज्ञापन, प्रचार और मूल्य श्रृंखला से जुड़ाव में सुधार के लिए अन्य विपणन गतिविधियों के रूप में विपणन सहायता प्रदान की जाती है।