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पीएम विश्वकर्मा योजना से पारंपरिक कौशल विकास-रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Sep 18, 2023 - 15 min read
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विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार 17 सितंबर 2023 को यशोभूमि, द्वारका, नई दिल्ली में पीएम विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया। मोदी ने वहां आयोजित तीन दिवसीय निःशुल्क प्रदर्शनी में ज्यादा से ज्यादा लोगों से पहुंचने का आग्रह किया, जो 19 सितंबर तक रहेगा।

योजना के आरंभ से पूर्व मोदी ने 'पीएम विश्वकर्मा' पर हुई प्रदर्शनी का दौरा भी किया। यह तीन दिवसीय प्रदर्शनी विरासत और आधुनिक तकनीक के संयोजन से 18 ट्रेड्स (विश्वकर्मा) के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की उन्नति की कहानी बताती है। प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए गुरु-शिष्य परंपरा का पालन करने वाले भारत के विभिन्न हिस्सों से 54 कारीगर और शिल्पकार यहां पहुंचे हैं। पीएम विश्वकर्मा में विभिन्न व्यापारिक क्षेत्रों से जुड़े कारीगरों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया, जिन्हें देखकर उनके शिल्प कौशल का भान होता है। प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनी में भाग लेने वाले कारीगरों और शिल्पकारों से बातचीत की और देश की जनता से प्रदर्शनी देखने का आग्रह किया। प्रदर्शनी में उच्च स्तरीय तकनीकी से जुड़े तत्वों के साथ-साथ इंटरैक्टिव तकनीक के माध्यम से पीएम विश्वकर्मा के विभिन्न अंगों को दर्शाने वाला एक केंद्रीय क्षेत्र भी प्रदर्शित किया गया है। सदियों पुरानी परंपराओं को प्रदर्शित करते हुए, प्रदर्शनी में औजारों और शिल्पों का एक विशेष पुरातन संग्रहालय बनाया गया है, जिसमें विश्वकर्मा द्वारा बनाए गए पारंपरिक उपकरणों को प्रदर्शित किया गया है और उनकी यात्रा को भी शामिल किया गया है। सदियों पुरानी परंपराओं को आधुनिक उपकरणों से जोड़ना पीएम विश्वकर्मा के मुख्य उद्देश्यों में से एक है, जो प्रदर्शनी में भी परिलक्षित होता है। यहां विश्वकर्मा की अथक मेहनत और भारत के निर्माण में उनकी भूमिका को उजागर करने वाली एक अनूठी कलाकृति प्रदर्शनी लगाई गई है। यह प्रदर्शनी 17-19 सितंबर, 2023 तक तीन दिनों के लिए जनता के लिए खुली है और प्रदर्शनी में प्रवेश निःशुल्क है। हाल में शुरू किए गए मेट्रो स्टेशन “यशोभूमि द्वारका सेक्टर 25” द्वारा कार्यक्रम स्थल तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

यशोभूमि को राष्ट्र को समर्पित करने और पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री ने कहा, "आज प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का आरंभ हो रहा है। हाथ के हुनर से, औज़ारों से, परंपरागत रूप से काम करने वाले लाखों परिवारों के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना, उम्मीद की एक नई किरण बनकर आ रही है। इस योजना के साथ ही आज देश को इंटरनेशनल एक्जीबिशन सेंटर-यशोभूमि भी मिला है। जिस प्रकार का काम यहां हुआ है, उसमें मेरे श्रमिक भाइयों और बहनों का, मेरे विश्वकर्मा भाइयों-बहनों का तप नजर आता है, तपस्या नजर आती है। मैं आज यशोभूमि को देश के हर श्रमिक को समर्पित करता हूं, हर विश्वकर्मा साथी को समर्पित करता हूं। बड़ी संख्या में हमारे विश्वकर्मा साथी भी यशोभूमि के लाभार्थी होने वाले हैं। गांव-गांव में आप जो सामान बनाते हैं, जो शिल्प, जिस आर्ट का सृजन करते हैं, उसको दुनिया तक पहुंचाने का यह विशाल व्यावसायिक केंद्र, सशक्त माध्यम बनने वाला है। ये आपकी कला और आपके कौशल को दुनिया के सामने दिखाएगा। यह भारत के 'लोकल प्रॉडक्ट' को 'ग्लोबल' बनाने में अहम् भूमिका निभाएगा।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है- 'यो विश्वं जगतं करोत्येसे स विश्वकर्मा' अर्थात जो समस्त संसार की रचना या उससे जुड़े निर्माण कार्य को करता है, उसे 'विश्वकर्मा' कहते हैं। हज़ारों वर्षों से जो साथी भारत की समृद्धि के मूल में रहे हैं, वो हमारे विश्वकर्मा ही हैं। जैसे हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी की भूमिका होती है, वैसे ही समाज-जीवन में इन विश्वकर्मा साथियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमारे ये विश्वकर्मा साथी उस काम, उस हुनर से जुड़े हैं, जिनके बिना रोज़मर्रा की जिंदगी की कल्पना भी मुश्किल है। आप देखिए, हमारी कृषि व्यवस्था में लोहार के बिना क्या कुछ संभव है? नहीं है। गांव-देहात में जूते बनाने वाले हों, बाल काटने वाले हों, कपड़े सिलने वाले दर्जी हों, इनकी अहमियत कभी खत्म नहीं हो सकती। फ्रिज के दौर में भी लोग आज मटके और सुराही का पानी पीना पसंद करते हैं। दुनिया कितनी भी आगे बढ़ जाए, तकनीक कहीं भी पहुंच जाए, लेकिन इनकी भूमिका, इनका महत्व हमेशा रहेगा। आज समय की मांग है कि इन विश्वकर्मा साथियों को पहचाना जाए, उन्हें हर तरह से सपोर्ट किया जाए।"

पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत 18 पारंपरिक शिल्प शामिल

यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत 18 पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा। इनमें (i) बढ़ई; (ii) नौका निर्माता; (iii) शस्त्रससाज; (iv) लोहार; (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (vi) ताला बनाने वाला; (vii) सुनार; (viii) कुम्हार; (ix) मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला; (x) मोची (जूता/जूता कारीगर); (xi) राजमिस्त्री; (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर; (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (xiv) नाई; (xv) माला बनाने वाला; (xvi) धोबी; (xvii) दर्जी; और (xviii) मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला शामिल हैं। पीएम विश्वकर्मा योजना पर सरकार अभी 13 हज़ार करोड़ रुपये खर्च कर रही है।अपने हुनर से जो बारीक काम करते हैं, दुनिया में उसकी डिमांड बढ़ रही है। आजकल बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने उत्पाद बनाने के लिए दूसरी छोटी-छोटी कंपनियों को अपना काम दे देती हैं। पूरी दुनिया में यह एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री है। आउटसोर्सिंग का काम भी हमारे इन्हीं विश्वकर्मा साथियों के पास आए, आप बड़ी सप्लाई चेन का हिस्सा बनें, हम इसके लिए आपको तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां आप तक पहुंचें, हम वैसी क्षमता आपके अंदर लाना चाहते हैं। यह योजना विश्वकर्मा साथियों को आधुनिक युग में ले जाने और उनका सामर्थ्य बढ़ाने का प्रयास है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "बदलते हुए इस समय में हमारे विश्वकर्मा भाई-बहनों के लिए ट्रेनिंग-टेक्नोलॉजी और टूल्स बहुत ही आवश्यक हैं। विश्वकर्मा योजना के जरिए आप सभी साथियों को सरकार ने प्रशिक्षित करने पर जोर दिया है। प्रशिक्षण के दौरान सरकार आप सभी को हर रोज 500 रुपये भत्ता भी देगी। आपको आधुनिक टूलकिट के लिए 15 हजार रुपये का टूलकिट वाउचर भी मिलेगा। आप जो सामान बनाएंगे, उसकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग से लेकर मार्केटिंग में भी सरकार हर तरह से मदद करेगी। इसके बदले में सरकार केवल इतना चाहती है कि सभी कारीगर मेड इन इंडिया टूलकिट ही खरीदें, वो भी उसी दुकान से, जो जीएसटी रजिस्टर्ड है, ताकि कालाबाजारी को प्रश्रय न मिले। सरकार ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि अपना कारोबार बढ़ाने की चाहत रखने वालों को शुरुआती पूंजी की दिक्कत ना आए। इस योजना के तहत विश्वकर्मा साथियों को बिना गारंटी 3 लाख रुपये तक का कर्ज मिलेगा। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इस ऋण का ब्याज बेहद कम रहे। सरकार ने प्रावधान किया है कि पहली बार में अगर आपकी ट्रेनिंग हो गई, आपने नए टूल ले लिए तो आपको 1 लाख रुपये तक ऋण का मिलेगा। और जब आप ये चुका देंगे ताकि पता चलेगा कि काम हो रहा है तो फिर आपको 2 लाख रुपये का ऋण और उपलब्ध होगा। 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' योजना के जरिए, हमारी योजना हर जिले के विशेष उत्पादों को बढ़ावा देने की है। 'लोकल के लिए वोकल' का यह समर्पण हम सभी का, पूरे देश का दायित्व है। अब गणेश चतुर्थी, धनतेरस, दीपावली सहित कई त्योहार आने वाले हैं। मैं सभी देशवासियों से लोकल खरीदने का आग्रह करुंगा और जब मैं लोकल खरीदने की बात करता हूं तो सिर्फ दीपावली के दीपक ही नहीं, हर छोटी-बड़ी लोकल उत्पाद खरीदने की बात करता हूं, जिसमें हमारे विश्वकर्मा साथियों की छाप हो, भारत की मिट्टी और पसीने की महक हो।"

इस अवसर पर केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, केन्द्रीय शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे और केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा भी उपस्थित थे।  इस अवसर पर देशभर में विश्वकर्मा समुदाय के लोगों को जागरुक करने के लिए अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें कई बड़ी हस्तियों ने भाग लिया और प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की तारीफ करते हुए उसका लाभ बताया।

केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक मजबूत अर्थव्यवस्था एवं बुनियादी ढांचे का निर्माण, गरीबों का उत्थान, डिजिटलीकरण और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार सुनिश्चित करके अमृत काल में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की नींव रखी है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया समावेशी विकास के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता की साक्षी है। उन्होंने कहा कि आम आदमी के जीवन को आसान करने हेतु कानूनों को सरल बनाने, स्टार्ट-अप की मदद करने, व्यापार एवं निर्यात को बढ़ावा देने, रोजगार के नए अवसर सृजित करने और लोगों के दिलों में विश्वास पैदा करने के कदम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह देश अब अजेय बन गया है। विश्वकर्मा योजना के ऐतिहासिक शुभारंभ का उल्लेख करते हुए, गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमारे कारीगरों की कड़ी मेहनत को पहचाना है और यह योजना उन्हें सम्मान एवं मजबूती प्रदान करेगी।

भारत की सभ्यता-पारंपरिक शिल्पकला का उचित मेल

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि 'पीएम विश्वकर्मा' योजना भारत की सभ्यता और पारंपरिक शिल्प कौशल का उचित मेल है। सिंह ने कहा कि यह योजना आजीविका अर्जित करने का विकल्प प्रदान करती है, साथ ही भारत की सदियों पुरानी गुरु-शिष्य परंपरा को संजोती है। डॉ. सिंह जम्मू में प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी द्वारा 'पीएम विश्वकर्मा' योजना के शुभारंभ के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। डॉ. सिंह ने कहा कि यह भारत की विकास यात्रा का एक ऐतिहासिक दिवस है, जब प्रधानमंत्री द्वारा 'पीएम विश्वकर्मा' योजना के शुभारंभ के साथ भारत की विशिष्ट संपदा- पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को मुख्यधारा में लाया जा रहा है। डॉ. सिंह ने कहा कि पारंपरिक कारीगर और शिल्पकार, समाज के अन्यम वर्गों की भांति महत्वॉपूर्ण हैं, जिन्होंने भारत की सदियों पुरानी परंपरा और शिल्पकला को जीवित रखा है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद से उन पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ही यह संभव हो सका है कि समाज के इस अभिन्न अंग को 'पीएम विश्वकर्मा' योजना के शुभारंभ के साथ समर्थन दिया गया और कुशल बनाया गया।

रांची से शुभारंभ कार्यक्रम में भाग लेते हुए, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत के कारीगर और शिल्पकार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने समेत देश को सजाने और सुंदर बनाने के लिए अपने हाथों और औजारों का उपयोग करते हैं। इन पारंपरिक शिल्पों में विशेषज्ञता रखने वाले लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए, प्रधानमंत्री द्वारा आधिकारिक तौर पर 'पीएम विश्वकर्मा योजना' की शुरुआत की गई है। मुंडा ने कहा, प्रधानमंत्री के अनुसार, प्रत्येक कारीगर को अपने उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए सक्षम, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि जनजातीय समुदाय के सदस्यों सहित कई लोग पीएम विश्वकर्मा योजना से लाभान्वित होंगे और अपने जीवन में सफल होने और प्रगति करने में सक्षम होंगे।

केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता और बिश्वेश्वर टुडू ने क्रमशः रायपुर, छत्तीसगढ़ और सिलचर, असम से कार्यक्रम में भाग लिया। सरुता ने कहा कि योजना का उद्देश्य अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों के माध्यम से पारंपरिक कौशल के अभ्यास को बढ़ावा देना और मजबूत करना है। टुडू ने समाज के ऐसे वर्गों के लाभ हेतु योजना शुरू करने के लिए पूरे देश को बधाई दी, जो अपने कौशल और कड़ी मेहनत के जरिये देश के विकास में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना से छोटे व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय कारीगर भी अधिक कुशल बनेंगे। दोनों मंत्रियों ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना राज्यों में प्रभावी ढंग से क्रियान्वित होगी और इसका पूरा लाभ विश्वकर्मा समाज को मिलेगा। योजना के तहत, पात्र लाभार्थियों (विश्वकर्मा) को बायोमेट्रिक-आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से निःशुल्क पंजीकृत किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय पीएम विश्वकर्मा योजना का नोडल मंत्रालय है। योजना के तहत नियोजित विभिन्न कार्यान्वयन गतिविधियों में लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन, कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के लिए उन्हें जुटाना, मूल्य-श्रृंखला में आगे बढ़ने में सक्षम बनाने के लिए उन्हें ऋण सहायता, विपणन सहायता की सुविधा देना, आदि शामिल हैं। जनजातीय कार्य मंत्रालय, विश्वकर्मा मित्रों के कल्याण के लिए योजना के कार्यान्वयन के लिए सक्रिय सहायता प्रदान करेगा।

ऋण सहायता आर्थिक रूप से बनाएगी सशक्त

भोपाल में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना देश के कारीगरों-शिल्पकारों के जीवन स्तर में बदलाव लाने में सफल होगी। तोमर ने विश्वकर्मा जयंती व प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर बधाई देते हुए कहा कि आजादी के बाद अनेक प्रधानमंत्रियों ने देश का नेतृत्व किया, जिन्होंने अपने-अपने समय में देश को आगे बढ़ाने में कुछ न कुछ योगदान किया ही है, लेकिन मोदी का व्यक्तित्व सबसे हटकर है। जहां एक ओर देश के गांव, गरीब, किसान, महिला, दलित, नौजवान की प्रगति के बारे में मोदी विचार करते हैं, वहीं वैश्विक जगत में भारत की साख मजबूत हो, इस मामले में भी कोई कसर नहीं छोड़ते। हमारे देश में बड़ी आबादी नौजवानों की है, तो स्वाभाविक रूप से इनके लिए रोजगार की आवश्यकता है, जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने सालभर में 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया था और हर माह रोजगार मेले कर नियुक्ति-पत्र प्रदान किए जा रहे हैं। इसी तरह, मध्यप्रदेश में भी युवाओं को नौकरियां दी जा रही है, लेकिन सिर्फ सरकारी नौकरियों से ही काम नहीं चलेगा, इसीलिए पीएम गति शक्ति, स्वनिधि, मुद्रा, ग्रामीण विकास आदि की योजनाओं से भी गांवों-शहरों के कुशल लोगों को स्वरोजगार मिल रहा है। तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पर 5 साल में 13 हजार करोड़ रुपये खर्च कर गुरु-शिष्य परंपरा या हाथों व औजारों से काम करने वाले कारीगरों-शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित पेशे को मजबूत करते हुए बढ़ावा दिया जाएगा, जो केंद्र का अत्यंत सराहनीय कदम है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वोकल फॉर लोकल जैसे मंत्र व कई योजनाओं के जरिये से पीएम मोदी ने भारत को 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है और उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था वाला देश होगा। उन्होंने कहा कि भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के सर्वोच्च वास्तुकार है, वहीं सभी कारीगर व शिल्पकार हमारे लिए आधुनिक विश्वकर्मा है, जिनके बिना आज ये सृष्टि चल नहीं सकती। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के माध्यम से देश के कौशल तंत्र को राष्ट्र की जरूरतों के अनुसार ढालने का काम किया जा रहा है। इस योजना का लाभ उठाकर सुविधाओं से हमारे कारीगर अपनी स्किल को और बढ़ा पाएंगे और आने वाली पीढ़ी को भी अपना हुनर सिखा पाएंगे। उन्होंने कहा कि अगले महीने के पहले सप्ताह में मध्यप्रदेश में ग्लोबल स्किल पार्क बनकर तैयार हो जाएगा।

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, परशोत्तम रूपाला ने कर्नाटक के मैंगलोर में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग द्वारा आयोजित इन प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। कर्नाटक सरकार के मत्स्य पालन, पत्तन और अंतर्देशीय जल परिवहन मंत्री, मनकला एस. वैद्य, विधायक मंगलुरु (उत्तर), डॉ. वाई. भरत शेट्टी, विधायक मंगलुरु (दक्षिण), डी. वेदव्यास कामथ, मैंगलोर नगर निगम के महापौर, सुधीर शेट्टी, मुख्य कार्यकारी, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, डॉ. एलएन मूर्ति, दक्षिण कन्नड़ (मंगलुरु) के उपायुक्त, मुल्लई मुहिलन सांसद भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

रूपाला ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के लाभों को साझा करने पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह योजना हमारे सभी पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सभी क्षेत्रों, विशेषकर मत्स्य पालन क्षेत्र में सहायता प्रदान करेगी। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि नाव निर्माता और मछली पकड़ने के जाल निर्माता दोनों को इस योजना का लाभ मिलेगा। कुल 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ, यह पहल मछुआरों और उनके परिवारों के लिए महत्वपूर्ण आय-सृजित करने के अवसर पैदा करने के लिए तैयार है, जो उन्हें सफलता प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी। रूपाला ने रेखांकित किया कि यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि यह हमारे देश के इतिहास में पहली बार कारीगरों और शिल्पकारों के उत्थान के लिए 13,000 करोड़ रुपये का पर्याप्त वित्तीय परिव्यय आवंटित किया गया है, जिसमें आरंभिक चरण में 18 पारंपरिक व्यापार शामिल किए गए हैं। 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली) और 2 लाख रुपये (दूसरी) तक की ऋण सहायता, पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी। इस अवसर पर उन्होंने पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों से भी बातचीत की।

मंगलुरु (दक्षिण) के विधायक डी. वेदव्यास कामथ ने कर्नाटक में मत्स्य पालन क्षेत्र के मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री विशवकर्मा योजना के शुभारंभ के लिए भारत सरकार को भी बधाई दी। संयुक्त सचिव (मत्स्यपालन), नीतू कुमारी प्रसाद ने मछली पकडने के जाल निर्माता और नाव निर्माता का विशेष उल्लेख करते हुए पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में कर्नाटक सरकार के निदेशक (मत्स्य पालन), दिनेश कुमार कल्लर और मत्स्य पालन विभाग, सूक्ष्म, लघु और माध्यम उद्यम (एमएसएमई), केएफडीसी (कर्नाटक मत्स्य विकास निगम), भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण (एफएसआई), राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी), भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल), प्रेस और मीडिया प्रतिनिधियों, मछुआरों, मछली श्रमिकों, मछली पकड़ने के जाल निर्माताओं के अधिकारी, नाव निर्माता एवं समस्त विश्वकर्मा समाज भी उपस्थित था। इस कार्यक्रम में मछुआरों, मछली किसानों, मछली पकड़ने के जाल निर्माताओं और नाव निर्माताओं, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों सहित 1200 से अधिक लोगों ने भाग लिया।

भारतीय अर्थव्यवस्था में कई कारीगर और शिल्पकार शामिल हैं, जो अपने कुशल हाथों और पारंपरिक उपकरणों का उपयोग करते हैं, जो लोहार, सुनार, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार, बढ़ईगीरी, मूर्तिकला और अन्य व्यवसायों सहित विभिन्न व्यवसायों में विशेषज्ञता रखते हैं। ये कौशल या व्यवसाय पीढ़ी-दर-पीढ़ी, दोनों परिवारों और कारीगरों और शिल्पकारों के अन्य अनौपचारिक समूहों में स्थानांतरित होते हैं। इन पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को 'विश्वकर्मा' के रूप में जाना जाता है। वे सामान्य रूप से स्व-रोज़गार युक्त होते हैं और बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र का हिस्सा माने जाते हैं।

भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों या 'विश्वकर्माओं' को अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए शुरू से अंत तक सहायता प्रदान करने के लिए पूरे भारत में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को लागू करने की 16 अगस्त 2023 को मंजूरी दी थी। इस योजना के अंतर्गत पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को उनके प्रयास को गति देने के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी, ऋण और बाजार सहयाता के प्रावधान किए गए हैं। मत्स्य पालन क्षेत्र में, मछली पकड़ने के जाल बनाने वाले और नाव निर्माता इस प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के संभावित लाभार्थी हैं। भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र सावधानीपूर्वक किए गए बहुआयामी हस्तक्षेपों के माध्यम से प्रगति के पथ पर है और प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पूरी तरह से उभरते क्षेत्र को गति देने जा रही है। संभावित हितधारकों तक पहुंच बनाने और योजना के कुशल कार्यान्वयन के लिए, जिससे पात्र लाभार्थी योजनाओं का लाभ उठा सकें, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का मत्स्य पालन विभाग आवश्यक संरक्षण प्रदान करने के लिए दृढ़ प्रतिबद्ध है।

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