किसी ने ऑस्कर जीता तो किसी ने लोगों का दिल
किसी ने बिजनेसमैन बनने का सपना संजोया किसी ने प्लेयर
सफलता के रास्ते में आने वाली हर दिक्कत का किया डटकर मुकाबला
अगर किसी को पूरी शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलाने की साजिश करती है। अब यह है तो फिल्मी डायलॉग लेकिन इसका असल जिंदगी से भी गहरा नाता है। इस आर्टिकल में हम जिन लोगों का जिक्र कर रहे हैं उनकी सफलता की कहानी कुछ ऐसी ही है। जिनके पास पूंजी की भारी कमी थी। कई बार कर्मचारियों को पैसे देने के लाले पड़े तो कई बार ऐसा लगा कि कंपनी बंद ही हो जाएगी। कोई कॉलेज से निकाला गया तो कोई खेल के मैदान से। इन्होंने अपने जीवन में तमाम परेशानियों का सामना किया लेकिन हार नहीं मानी। यही वजह रही कि सफलता की एक बड़ी कहानी लिख दी। एक बेंचमार्क बना दिया इस बात का कि अगर आप सपने देखें और उन्हें पूरा करते समय आप एक नहीं हजार बार लड़खड़ाएं तो भी आपको हारना नहीं है, बस आगे ही बढ़ना हैं...
बचपन में देखा हुआ एक सपना बोट
सबसे पहले बात कर रहे हैं अमन गुप्ता की, जिन्हें आज हम बोट के को-फाउंडर के रूप में जानते हैं। उनके सफर में तमाम परेशानियां आईं लेकिन उन्होंने बिना हार माने अपने सपने को साकार करने की ठान ली। एक के बाद एक पांच कंपनियां बंद हुईं। बैंक ने भी लोन देने से मना कर दिया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करते रहे और फिर खड़ी कर दी एक हजार करोड़ की कंपनी, जिसके सामने मल्टीनेशनल कंपनियों के भी पसीने छूटने लगे। अमन का जन्म दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय परिवार में वर्ष 1982 में हुआ। दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक की परीक्षा पास की फिर सीए। इसके बाद एमबीए की शिक्षा ग्रहण करने के लिए वह यूएसए चले गए। अमन बताते हैं कि उन्होंने बचपन से ही बिजनेसमैन बनने का सपना देखा था। बड़े होकर वह इसे ही आकार देना चाहते थे। हालांकि उनके पिता चाहते थे कि वह चाटर्ड एकाउंटेंट बनें। अमन ने जब सीए की परीक्षा पास की तो उस समय वह सबसे कम उम्र में परीक्षा पास करने वाले छात्र बनें। इसके बाद उन्होंने सिटी बैंक में सहायक प्रबंधक के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद अमन ने एडवांस्ड टेलीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड की सह-स्थापना की।इस कंपनी में वह वर्ष 2005 से 2010 तक बतौर सीईओ रहे।
वर्ष 2016 में अमन ने समीर मेहता के साथ मिलकर बोट कंपनी की स्थापना की। फिलहाल वह इस कंपनी में सीएमओ के पद पर कार्य कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बोट से पहले अमन ने एक के बाद एक लगाातर पांच कंपनियों की शुरुआत की। लेकिन कोई भी कंपनी चल नहीं पाई। सभी पर ताला लग गया। हालांकि अमन ने हार नहीं मानी वह लोन लेने के प्रयास करने लगे। यह वही समय था जब बैंकों ने भी उन्हें लोन देने से मना कर दिया। ऐसे में अमूमन लोग हार मान लेते हैं लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाए अपने सपने को पूरा करने के लिए एक और बार अपने कदम बढ़ाए और बोट को लेकर वह आगे बढ़ते गए। वर्तमान में बोट भारत की लीडिंग कंपनी है, जो फैशनेबल ऑडियो प्रोडक्ट्स का निर्माण करती है। कंपनी ने शुरुआत के दो वर्षों में इयरफोन, हेडफोन, ट्रैवल चार्जर व स्पीकर बेचे। वर्तमान में इसकी वैल्युएशन 11 हजार करोड़ की है।
ऐसे बस गए बच्चों से बड़ों तक के दिलों में डिजनी
आज के समय में ऐसा शायद ही कोई हो जो मिकी माउस को नहीं जानता हो। बच्चे हों या बड़े सभी के दिलों में बसते हैं मिकी माउस निर्माता वॉल्ट डिजनी। लेकिन डिजनी ऐसा कुछ करेंगे, ये तो उन्होंने सोचा भी नहीं था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पवह सेना में शामिल होकर देश सेवा करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कई प्रयास किए लेकिन असफल ही रहे। इसके बाद इन्होंने पढ़ाई छोड दी और लाफ-ओ-ग्राम स्टूडियो की शुरुआत की। यह भी असफल साबित हुआ यहां तक हालात ये बनें कि ये दिवालिया हो गए। इसके बाद डिजनी ने एक अखबार जॉइन किया, वहां से भी इन्हें किनारा करना पड़ा। अब इनके पास कोई ऑप्शन नहीं था लेकिन हार मानने की बजाए डिजनी ने नींव रखी डिजनी स्टूडियो की और इसके बाद तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक स्पीच के दौरान डिजनी ने कहा भी कि हम निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं। पीछे मुड़कर नहीं देखते, यही सफलता का मूल मंत्र है।
यूनिवर्सिटी से तीन बार खारिज किया गया आवेदन, बन गए ऑस्कर विजेता
असफलता से हार न मानने वालों और सफलता की नई इबारत लिखने वाले लोगों की लिस्ट में अगला नाम है स्टीवन स्पीलबर्ग का। इन्हें अब तक के सबसे प्रभावशाली फिल्म प्रॉड्यूसर्स में से एक माना जाता है। लेकिन पढ़ाई के मामले में यह बेहद खराब थे। हाई स्कूल में ग्रेड खराब आए और इसी के चलते इन्हें दक्षिणी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से इनका आवेदन तीन बार खारिज कर दिया गया। लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी, एक सामान्य से कॉलेज में दाखिला लिया और उसी दौरान इन्हें एक टेलीविजन डायरेक्टर के रूप में साइन किया गया। इसके बाद तो बस इनकी गाड़ी ही निकल पड़ी। स्टीवन ने कभी पीछे नहीं देखा और अब तक उन्हें 51 फिल्मों के निर्देशन व तीन बार के ऑस्कर विजेता के रूप में जाना जाता है। स्पीलबर्ग अपने काम को लेकर कहते हैं कि भले ही मैं बूढ़ा हो जाऊं लेकिन जो कार्य मैं कर रहा हूं, वह कभी बूढ़ा नहीं होगा और यह काम ही है, जिसके प्रति मेरा जुनून है, जो मुझे किसी उम्र की सीमा में नहीं बांध सकता।
नौ हजार से अधिक शॉट गंवाए और बन गए दिग्गज बास्केटबॉल प्लेयर
बात चाहे अपना स्टार्टअप शुरू करने की हो या फिर किसी बास्केटबॉल प्लेयर्स की सूची में टॉप पर आने की। कहानी शुरू होती है असफलता को सफलता में बदलने के लिए किए गये संघर्ष से ही। बास्केटबॉल के दिग्गज खिलाड़ी माइकल जॉर्डन ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि कैसे उन्होंने अपने करियर के दौरान नौ हजार से अधिक शॉट और तीन सौ गेम गंवाए। यही नहीं तकरीबन 26 बार तो ऐसा हुआ, जब उनपर गेम जीतने वाले शॉट के लिए भरोसा जताया गया। लेकिन फिर वह हार गए यानी कि एक, दो नहीं, हजार दफा वह हारे फिर भी उन्होंने अपने जीतने की उम्मीद नहीं छोड़ी। जॉर्डन कहते हैं कि वह जीवन में कई बार असफल हुए हैं लेकिन वह एक ही बात को फॉलो करते हैं कि बिना हार माने सफलता के लिए बार-बार प्रयास करते रहना है। जॉर्डन की कहानी में एक और बात है, अगर आपको लगता है कि उनकी बास्केटबॉल स्किल नैचुरल टैलेंट का हिस्सा थी, तो आप बिल्कुल गलत हैं। करियर के शुरुआती दिनों में वह अपनी न्यूनतम ऊंचाई तक भी नहीं पहुंच पाते थे फिर कड़ी मेहनत और पक्के इरादे के बलबूते उन्होंने सफलता के शिखर पर अपना नाम लिखा।
निष्कर्ष: सफलता प्राप्त करने के लिए बार-बार असफल होने के बावजूद हार नहीं मानना और निरंतर प्रयास करते रहना ही सफल होने का मूल मंत्र है। लेख में जिन लोगों के बारे में बात की गई है, उन्होंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन खास बात जो सबमें कॉमन है, वह है उनका हार न मानने का जज्बा।