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- प्री-स्कूल इंडस्ट्री में इन चुनौतियों का करना पड़ सकता है सामना
भारतीय प्री-स्कूल फ्रैंचाइज़ के 80 प्रतिशत तक के अवसर का बाजार अभी तक असंठित है, जिसमें पड़ोस के बिना ब्रांड के प्री-स्कूल शामिल हैं।ऐसा तब है जब ये सेक्टर फ्रैंचाइज़ व्यवसाय को बड़े अवसर दे रहा है। हालांकि, भारत में प्री-स्कूल व्यवसाय भी अपनी तरह की चुनौतियों के साथ आता है।
आइए जानते हैं कि प्री-स्कूल को किस तरह कि चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
ऑपरेशन संबंधी चुनौती
भारत में प्री-स्कूल की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि यहां पर अच्छा शिक्षक स्टाफ और ट्रेनिंग की सुविधाओं की क्वालिटी में कमी है। भारत की जनसंख्या अधिक होने के कारण यहां पर ज्यादातर प्री-स्कूल में अध्यापक और छात्र का अनुपात 1:10 है। उसके अलावा अध्यापकों को दिया जाने वाला पे स्केल भी बहुत कम है। ऐसे में अच्छे अध्यापक को काम के लिए आकर्षित करना बहुत ही मुश्किल है।
ट्रेनिंग की एक और बड़ी चुनौती है कि यह एक महंगा प्रस्ताव है और अच्छे ट्रेनर व ट्रेनिंग मैटीरियल की उपलब्धता न होना इसकी चुनौती को और बढ़ा देता है।
जागरुकता की कमी
सामान्य ऑपरेशन चुनौतियों के अलावा एक और चुनौती है, प्रारंभिक शिक्षा के महत्व के बारें में माता-पिता की कम जागरुकता। प्री-स्कूल शिक्षा की कीमत भारत में 60,000 से 80,000 रूपए है क्योंकि भारतीय मध्यमवर्ग के अभिभावकबचत करने की अपनी पुरानी सोच ही रखते हैं। वे इसे अपने बच्चे के भविष्य के लिए एक जरूरी निवेश नहीं समझते। हालांकि जागरुकता धीरे-धीरे बढ़ेगी लेकिन ये टियर 2 और टियर 3 के शहरों में बहुत ही छोटे आय के तौर पर है।
स्पीरोज़ के डायरेक्टर एन.आर. सतपथी ने कहा, 'अभिभावकों में इसके प्रति जागरुकता की कमी और अच्छे अध्यापकों की उपलब्धता में कमी इस सेग्मेंट में चुनौतियां हैं। अच्छे अध्यापकों को रोके रखना भी एक चुनौती है जिसका सामना यह इंडस्ट्री कर रही है।'
अनुभव की मांग
प्री-स्कूल व्यवसाय की एक अन्य चुनौती है कि अगर कोई प्री-स्कूल फ्रैंचाइज़ के अवसर पाना चाहता है तो उसके पास शिक्षा संबंधी अनुभव या शिक्षा से सीधा संबंध होना चाहिए। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि इस व्यवसाय में अवसर बहुत से हैं। इसलिए कुछ लोग जिनका इस क्षेत्र से कोई संबंध नहीं जैसे इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) से जुड़े होने पर भी प्री-स्कूल के सेटअप के लिए तैयार हो जाते हैं। इस तरह की उलझन और चुनौतियों में बच्चों को संभालना और पढ़ाना उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से संतुष्ट नहीं कर पाता है। इसका परिणाम फ्रैंचाइज़ की असफलता के रूप में आ सकता है।