देश में सिंगल यूज प्लास्टिक के बैन की वजह से कई कंपनियों को झटका लगा है, लेकिन पेपर बैग, पेपर कप बनाने वाली कंपनीयों को फायदा भी हो रहा है। प्लास्टिक से बनी वस्तुओं पर रोक लगने के बाद कागज उद्योग की कंपनियों को लाभ मिल रहा है और उनके शेयर भी बढ गए हैं। बीते एक महीने में शेषशई पेपर समेत कागज मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के शेयरों में तीन से आठ प्रतिशत की बढ़त हुई है।
एक महीने के दौरान शेषशई पेपर एंड बोर्ड्स के शेयर 7.80 प्रतिशत बढ गए है। सतिया इंडस्ट्रीज के 5.54 प्रतिशत और वेस्ट कोस्ट पेपर मिल्स के शेयर 3.15 प्रतिशत बड़े। जिन उत्पादों पर रोक लगाई गई है उनमें ईयरबड, बैलून स्टिक, झंडे, कैंडी स्टिक, प्लास्टिक के प्लेट, कप, ग्लास, कांटे, चम्मच, चाकू और 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर और स्टिरर शामिल हैं।
प्लास्टिक बैन के होने से कपड़े के बैग और बायोडिग्रेडेबल की मांग बढ रही है। आप छोटे से निवेश के साथ इस व्यवसाय को शुरू कर सकते है और अच्छा लाभ कमा सकते है। पहले नॉन वोवन बैग की मैन्यूफैक्चरिंग बहुत कम थी, लेकिन प्लास्टिक बैन होने के बाद इसकी मांग तेज हो गई है और इसकी मैन्यूफैक्चरिंग भी बढ़ना शुरू हो रही हैं। इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए कुछ मशीनों और थोड़ी सी जगह की जरूरत होती है और निवेश भी बहुत कम करना होता है।
इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए आपको कटिंग मशीन, सीलिंग मशीन और हाईड्रोलिक पंचिंग जैसे मशीनों की जरूरत पढेगी। आप इन चीजों को ऑनलाइन भी खरीद सकते है। इन मशीनों में लगने वाले खर्च की बात करे तो आप 4 से 5 लाख रूपये का निवेश कर सकते है।
आपको बताते है की आप कैसे नॉन वोवन बैग को तैयार कर सकते है, सबसे पहले फेब्रिक कटाई मशीन की मदद से फेब्रिक को बैग की शेप में काट लें फिर उसके बाद सीलिंग मशीन की मदद से काटे गए बैग की तीन ओर से सिलाई कर लें। यह सब होने के बाद आप हाइड्रोलिक पंचिंग मशीन से बैग का हैंडल काट लें। अगर आपको अपने बैग को अलग लुक देना है तो आप पैच वर्क या फिर आप प्रिंटिंग मशीन के उपयोग से कोई भी डिजाइन बैग पर बना सकते है।
इस बैग को बनाने की खास बात यह हैं की इसके रॉ मटिरियल आसानी से मिल जाते है। आप एक दिन में 4000 से ज्यादा बैग तैयार कर सकते है। नॉन वोवन से बने बैग करीब 100 रुपये किलो मिलते है। अगर क्वालिटी थोड़ी अच्छी है तो 150 रूपये किलो तक बिक जाते है। इस तरह से आप रोजाना लगभग 10 हजार रूपये की कमाई कर सकते है। ज्यादा ऑडर मिलने पर आप अच्छा लाभ भी कमा सकते है।
दूसरा आईडिया आप कुल्हड़ बनाने के व्यवसाय के बारे में आप सोच सकते हैं। आप इस व्यवसाय को 50 हजार रूपये निवेश करके इसे शुरू कर सकते हैं। इसे शुरू करने के लिए केंद्र सरकार आर्थिक मदद भी मुहैया करा रही है। हर कंपनी के बाहर, हर नुक्कड़ पर कुल्हड वाली चाय की माग रहती है। आप कुल्हड बनाने या फिर बेचने के व्यवसाय को शुरू कर सकते है। सिंगल यूज प्लास्टिक के बंद होने से रेलवे स्टेशनों, बस डिपो एयरपोर्ट और मॉल में कुल्हड़ की मांग बढ सकती हैं।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के नेशनल प्रेसिडेंट बालकृष्णा भारतीय ने प्लास्टिक बैन पर कहा कि जिन लोगों ने अपनी फैक्ट्री लगाई, बैंको से लोन लिया सरकार ने उनके काम पर ही रोक लगा दी। अब वह कहा जाएगे, यानी की किसी भी चीज की स्पष्टता नही है। हमारे देश में वन स्टेट वन लॉ कॉन्सेप्ट है, पर वह दिखता नही है। हर राज्य अपने ढंग से बोलता है यह बैन है यह बैन नही है। हम जब यह बोलते है कि ‘वन कंट्री वन मार्केट’ तो एक राज्य में कोई चीज मैन्यूफेक्चर होती है और वह दूसरे राज्य मे जाती है, जहा जा रही है वहा उसे जाने की अनुमती है पर जिस राज्य मे बनी है वहा पर आप रोक लगा रहे है।
उन्होने सरकार के लॉ सिस्टम के बारे में बात करते हुए कहा लॉ बनाती है केंद्र सरकार, निर्णय ले रही राज्य सरकार और अपने ढंग से चीजों को लागू कर रही, लोकल बॉडी के लोग एक्शन ले रहे, पर उन्हे बराबर से ट्रेनिंग नही दी जा रही और किसी भी चीज को पकड लेते है, ऐसे में व्यापारीयों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है,जिससे की छोटे कारोबारियों की दिक्कते बढ़ रही है।
जब उनसे पूछा गया की आपने सरकार से प्लास्टिक बैन को आगे बढाने की बात कही थी तो सरकार ने आपकी बात को ठुकरा दिया था,तो उस पर उन्होंने कहा की हम सिर्फ अनुरोध कर सकते है, लेकिन सरकार को भी समझना चाहिए की उससे नुकसान कितना हो रहा है।
उन्होंने उदाहरण दे कर समझाते हुए कहा जब हम कोई डैम बनाते है तो उसी समय देखते है की डैम की ऊचाई कितनी ऊची रखी जाए, जहा डैम बना रहे है वहा कितने गांव है और कितने गांव डूब सकते है इन सारी बातों को ध्यान में रख कर तभी डैम की उचाई को तय किया जाता है। यहां पर आपने प्लास्टिक में बैन लगाय तो उसका दूसरा विकल्प आपने क्या कोई निकाला। आपने पेपर बैंग के मैन्युफैक्चरिंग को प्रमोट करने के लिए इंसेंटिव दिया, क्या मार्केट मे उसकी सप्लाई पहले लेकर आए। महाराष्ट में कैरी बैग को बैन किया है बाकी चीज को नही किया।
अब जो कोल्ड ड्रिंक टेट्रा पैक में आती हैं उसके साथ जो स्ट्रा आता है आपने उसे बैन कर दिया। अब जिस कंपनी से स्ट्रा लग के आया उसका क्या होगा। अगर स्ट्रा निकाल कर फैक दिया तो, कोल्ड ड्रिंक कौन पिएगा, जूस कौन पिएगा। अब जिस कंपनी ने यह स्ट्रा बेची व्यापारी को और कंपनी ने तो उससे पैसा ले लिया नुकसान किसे हुआ व्यापारी को अब वह व्यापारी तो फस गया।
तभी मैने बोला पहले इसका कोई विक्लप निकालो और व्यापारियों को तोड़ा समय दो ताकि वह सारी चीजों को निपटने में कामयाब हो सके और जोखिम को कम कर सके। कोई भी चीज बंद होती है तो उसको इनोवेशन भी होता और उसका लाभ भी मिलता है। पेपर से बने कप, प्लेट आ रहे है, मगर उनकी कॉन्टिटी कम है। पहले उस चीज की प्रोडक्शन अपने देश मे तो करो और आपके (सरकार) निर्णय का फायदा चाइना को मिलता है।
हम लोग ट्रेड डेफिसिट में छोटे है डॉलर का भाव 79 के भी ऊपर चला गया है, लेकिन हमको तो आयात को घटाना है। लेकिन आपका( सरकार) निर्णय आया तको बढाना है जो रूपये, डॉलर पैरीटी और ट्रेड पर प्रभाव डाल रहा है। आप देखिएगा यह सब हमे इम्पोर्ट गुड्स की तरफ लेकर जा रही है यानी की डॉलर पेमेंट बढेगा तो रूपये कमजोर होगा।
क्या प्लास्टीक ही नुकसानदायक है, आप जो इलेक्ट्रिक व्हीकल लेकर आए पॉवर जेनरेशन के लिए कितना कोला लेकर आए, कितना स्मोक एंबीशन हो रहा है उस पर भी तो ध्यान दो कहने का मतलब यह है कि नुकसान तो हो ही रहा है जैसे जैसे इनोवेशन हो रहा है, तो वही पर रोक लगाओ। आपने पहले प्लास्टिक को डेवलप होने दिया। जब वह डेवलप हो गई नए प्लेयर्स आगए फिर आपने अचानक ब्रेक लगा दी। अब इससे कितने लोगों के पैसे फस गए, बैंक कितने खाली हो जाएगे। यह सारी चीजों पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
महाराट्र में आज से 2 साल पहले ही कैरी बैंग को बैन कर दिया था। बाकी प्लास्टिक 50 माइक्रोन के उपर प्रतिबंध किया हुआ था। वहा काफी समय हो गया है। उनके पास कपड़े के थेले भी आगए। थोड़ा बहुत जो पन्नी में सब्जी बेचते है उनको फर्क पडा है। बाकी कोई मेजर फर्क नही पढ़ा। अब पेपर बैंग आ रहे है,तो उससे काम चल रहा है।
आपको प्लास्टिक मे भी कोई विक्लप देना चाहिए जैसे की प्लास्टिक मे भी आर एंड डी करके उसमे एसे केमिकल मिक्स करो की वह डिग्रेडेबल हो जाए। अब यह किसी को नही पता है वोवन प्लास्टिक और नॉन वोवन प्लास्टिक बैन है की नही। तो हर चीज में स्पष्टता होनी चाहिए और यह पूरे एपिसोड में सबसे बड़ी समस्या है।
आपको बता दें देशभर में एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, जिसके बाद से अब सिंगल यूज प्लास्टिक की बिक्री और खरीद कोई नही कर पाएगा। ऐसे में दिल्ली सरकार ने 48 टीमों का गठन किया है जो दिल्ली में सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाम लगाएंगी। वहीं सिंगल यूज प्लास्टिक की रोकथाम के लिए दिल्ली सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। इस हेल्पलाइन नंबर 011-23815435 नंबर पर कोई भी सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर बात कर सकता है।
वैसे तो सिंगल यूज प्लास्टिक की कोई परिभाषा नहीं है, लेकिन ये ऐसा प्लास्टिक होता है, जिसे सिर्फ एक बार उपयोग करने के लिए बनाया जाता है। सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजों पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए सरकार ने सख्त गाइडलाइंस लागू की हैं। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, सभी मैनुफैक्चरर, स्टॉक रखने वाले, सप्लायर और डिस्ट्रीब्यूटर्स को सख्त निर्देश दिए हैं कि जुलाई के पहले हफ्ते में चीजों पर पूरी तरह रोक लगई जाए। जिन चीजों पर रोक लगी है, अगर उनका उपयोग करते हुए पाए जाते हैं, तो इस पर जुर्माने और सजा का प्रावधान किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि घर से अगर सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा निकलता है, तो 500 रुपये का जुर्माना लगेगा। अगर कोई संस्थान या कंपनी कचरा फैलाती है तो उससे 5 हजार रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।
निष्कर्ष
अगर आप युवा है और आपने प्लास्टिक से बनी चीजो को बनाने के बारे में सोच लिया था या आप इस व्यावसाय को शुरू करना चाहते थे तो घबराइये मत आप पेपर बैग या फिर कपड़े से बने बैग को बनाने के व्यवसाय को शुरू कर सकते है और अच्छा लाभ कमा सकते है।