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- फिक्की 27 जून से 5 दिवसीय वर्चुअल इवेंट के साथ अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस मनाएगा
अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस मनाने के एक हिस्से के रूप में, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) - महाराष्ट्र स्टेट काउंसिल (एमएससी) 27 जून से 1 जुलाई तक वर्चुअल एमएसएमई विक 2022 का आयोजन कर रहा है।
पांच दिवसीय कार्यक्रम का विषय 'वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एमएसएमई की भागीदारी बढ़ाना' होगा। एमएसएमई के डिजिटल परिवर्तन, वित्तपोषण तक पहुंच, एमएसएमई प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए कौशल और महिलाओं के नेतृत्व वाले वैश्विक एमएसएमई के निर्माण जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।
एमएसएमई मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में जारी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए राष्ट्रीय नीति के मसौदे में एमएसएमई प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने, प्रौद्योगिकी उन्नयन आदि में समर्थन बढ़ाने के उद्देश्य से कई नीतिगत उपायों का प्रस्ताव दिया था।
फिक्की एमएसएमई विक इस बात पर विचार करेगा कि इनमें से कुछ सुझाव, जो एमएसएमई नीति दस्तावेज का हिस्सा हैं, एमएसएमई को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनने में कैसे मदद कर सकते हैं।
बता दे पिछले वर्ष 27 जून को दुनिया भर में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) दिवस मनाया जा रहा था। इस दिन को देश की अर्थव्यवस्था और विकास लक्ष्य को प्राप्त करने में एमएसएमई के योगदान की सराहना के उद्देश्य से इस दिन को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया में लगभग 90 प्रतिशत बिजनेस एमएसएमई से ही आते है। दुनिया में रोजगार का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा एमएसएमई ही प्रदान करता हैं। इसके अलावा दुनियाभर के जीडीपी में 50 प्रतिशत योगदान एमएसएमई का ही है।
एमएसएमई दिवस के इस मौके पर देश और दुनिया में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगियों ने 'वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में एमएसएमई के रोल' को केंद्र में रखते हुए इस दिन को मनाने का आह्वान किया था।
संयुक्त राष्ट्र ने साल 2017 में अपनी महासभा में एक प्रस्ताव पास करते हुए हर साल 27 जून को वर्ल्ड एमएसएमई डे मनाने की घोषणा की थी। 27 जून, 2017 में पहली बार वर्ल्ड एमएसएमई डे मनाया गया था। दुनियाभर के साथ साथ भारत में भी एमएसएमई ने बेहद अहम भूमिका निभाई है। देश में वर्तमान में छह करोड़ से ज्यादा एमएसएमई सक्रिय है। ये ना सिर्फ देश की जीडीपी में बड़ा योगदान कर रहे हैं बल्कि एक बड़ी आबादी के लिये रोज़गार के अवसर मुहैया कराने में सहयोग कर रहे हैं। कोरोना काल में आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई की भूमिका और बढ़ गई हैं।