व्यवसाय विचार

फ्रेंचाइजर रॉयल्टी स्वरूप का निर्धारण किस तरह से कर सकते हैं

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Aug 31, 2018 - 2 min read
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रॉयल्टी के स्वरूप का निर्धारण करना आसान काम नहीं है।

किसी चीज़ के निरंतर उपयोग के लिए रॉयल्टी का भुगतान किया जाता है। प्रारंभिक शुल्क के अतिरिक्त फ्रेंचाइजी को अपनी बिक्री में तय प्रतिशत के हिस्से का नियमित रूप से भुगतान करना होता है। एक फ्रेंचाइजी की आयका मुख्य स्त्रोत उसकी रोज की बिक्री है। हालांकि, फ्रेंचाइजर की नियमित मासिक आय प्रत्येक फ्रेंचाइजी से मिले रॉयल्टी भुगतान पर आधारित होती है।

हालांकि फ्रेंचाइजर द्वारा रॉयल्टी के विभिन्न स्वरूपों का उपयोग किया जाता है।उपयोग में आने वाले कुछ आम स्वरूप नीचे बताए गए हैं: 

कुल बिक्री

यह रॉयल्टी शुल्क स्वरूप का सबसे आम प्रकार है। इस रॉयल्टी व्यवस्था में फ्रेंचाइजर, फ्रेंचाइजी की कुल बिक्री में से कुछ प्रतिशत लेता है। इस स्वरूप का मुख्य लाभ यह है कि यह फ्रेंचाइजर को फ्रेंचाइजी के विकास में अनुपातिक भाग लेने के लिए प्रेरक प्रदान करता है। कुल बिक्री तीन प्रकार की होती हैं -

निश्चित रॉयल्टी फ्रेंचाइजिंग में यह सबसे आम सतत्रॉयल्टी समझौता है। इस रॉयल्टी स्वरूप के तहत फ्रेंचाइजी को अपनी बिक्री में से निश्चित प्रतिशत फ्रेंचाइजर को देना होगा, चाहे फ्रेंचाइजी की बिक्रीया आय कितनी भी हो। यह सबसे आसान रॉयल्टी स्वरूप है।

बढ़ता प्रतिशत

इस तरह के समझौते के तहत कुल बिक्री के प्रतिशत के साथ ही फ्रेंचाइजर, फ्रेंचाइजी से प्रमुख स्थानों पर फ्रेंचाइजी लेने का प्रिमियम लेते हैं। एक फ्रेंचाइजी की सफलता और असफलता में स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। बाज़ार में कुछ स्थानों पर दूसरे स्थानों से निश्चित रूप से ज्यादा बिक्री होने की संभावना होती है।

घटता प्रतिशत

घटते प्रतिशत मॉडल के तहत, कुल सकल बिक्री बढ़ने पर फ्रेंचाइजी सकल बिक्री का कम प्रतिशत फ्रेंचाइजर को देता है। यह मॉडल फ्रेंचाइजी और फ्रेंचाइजर दोनों के लिए  फायदेमंद होता है क्योंकि इस में अच्छे प्रदर्शन के लिए अतिरिक्त प्रतिफल मिलता है जो कि फ्रेंचाइजी को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है जो कि स्पष्ट रूप से फ्रेंचाइजर के लिए भी अच्छा है।

प्रतिशत प्रति संव्यवहार

इस तरह के रॉयल्टी समझौतों में फ्रेंचाइजर हर उत्पाद के बिकने या संव्यवहार होने पर शुल्क लेते हैं। इस तरह का रॉयल्टी स्वरूप कुछ उद्योगों में व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि हॉस्पिटेलिटी उद्योग या ऑटोमोबाइल उद्योग। जो फ्रेंचाइजी इस तरह की रॉयल्टी लेते हैं, उनके फ्रेंचाइजी अक्सर पाइंट ऑफ़ सेल प्रणाली का उपयोग करते हैं जिसमें अपने आप गणना हो जाती है।

विभाजित लाभ

विभाजित लाभ रॉयल्टी स्वरूप में फ्रेंचाइजर और फ्रेंचाइजी के बीच में फ्रेंचाइजी के कुल लाभ का तय प्रतिशत बट जाता है जैसे कि 40/60। हालांकि विभाजित लाभ रॉयल्टी ज्यादा चलन में नहीं है क्योंकि फ्रेंचाइजी इसे ज्यादा पसंद नहीं करते।

कोई रॉयल्टी नहीं

इस तरह के समझौतों में फ्रेंचाइजर,  फ्रेंचाइजी से कोई रॉयल्टी शुल्क नहीं लेता। फ्रेंचाइजर की आय केवल फ्रेंचाइजी को बेचे हुए उत्पादों में से ही होती है। यह अपनी आय निर्माता या आपूर्तिकर्ताओं से भी प्राप्त करता है जिन्होंने अपने उत्पादों को बेचने के लिए फ्रेंचाइजी चैनल को अधिकृत खुदरा श्रृंखला के रूप में स्थापित किया है। अमूल ने अपने रिटेलर्स को बिना किसी रॉयल्टी के फ्रेंचाइजी दी है।

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