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- फ्रोजेन फूड कारोबार में सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा 'मीटिंगटन' और 'ग्रैब अ ग्रीन' ब्रांड
कोविड ने हमारी दुनिया को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। पहले के मुकाबले अब, लोग स्वास्थ्य और खानपान को लेकर काफी सजग हो गए हैं। कोविड से पहले रेस्तरां जाकर खाना आम बात थी, लेकिन महामारी ने लोगों को बाहर जाने के बजाय घर पर ही खाना पकाने और खाने के लिए प्रोत्साहित किया है। हालांकि, हर रोज घर का खाना खाकर लोग बोरियत महसूस करने लगते हैं। ऐसे में जब उन्हें कुछ चेंज चाहिए होता है तो वे फ्रोजेन फूड की ओर जाना पसंद करते हैं।
बीते 20 से ज्यादा वर्षों से खाद्य व्यवसाय से जुड़े सचिन सहगल कहते हैं, "महामारी के बाद एक ओर जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था खुद को संभालने में लगी हुई है। वहीं, दूसरी ओर दुनिया भर ने इस दौरान आर्थिक गिरावट और अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव को देखा है। इन बुरे हालातों के बावजूद 'फ्रोजेन फूड' इंडस्ट्री मजबूत बनी हुई है और आगे भी इसके और मजबूत होने की संभावना है। 'ईजी, क्विक और फ्रेश' होने के कारण फ्रोजन फूड्स आज विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने में लगा हुआ है।"
तेजी से बढ़ रहा है फ्रोजेन फूड कारोबार
वर्षों तक देश-विदेश में एग्जीक्यूटिव शेफ, जनरल मैनेजर और बिजनेस मैनेजर रहने के बाद अब आंत्रप्रेन्योर बन चुके सचिन सहगल कहते हैं कि आने वाला समय फ्रोजेन फूड का है। कोरोना काल के बाद से लोगों ने बाहर खाना लगभग बंद ही कर दिया है। अब घर पर अचानक से कोई मेहमान आ जाए या कभी खाना पकाने का मन न हो या खाने का स्वाद बदलने की चाहत हो तो ऐसे में लोग रेस्टोरेंट जाकर खाने के बजाय फ्रोजेन फूड की मदद लेना तुलनात्मक रूप से ज्यादा पसंद करते हैं।
सहगल के अनुसार, एक शोध में बताया गया है कि भारत में फ्रोजेन फूड का कारोबार 7.7 प्रतिशत सालाना की दर से वृद्धि करेगा। अनुमान है कि साल 2027 तक यह 184.12 हज़ार करोड़ अमेरिकी डाॅलर तक पहुंच जाएगा। भारत में अभी इस क्षेत्र में विकास की काफी गुंजाइश बनी हुई है और काफी तेजी से यह आगे बढ़ रहा है।
सहगल कहते हैं, "फ्रोजेन फूड लोगों की पहली पसंद इसलिए भी बना हुआ है क्योंकि एक तो यह आसानी से हर जगह उपलब्ध है और दूसरे, उतनी ही आसानी से कम समय में खाने के लिए तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा, फ्रोजेन फूड स्वादिष्ट और हाइजीनिक है। घर के पके भोजन को भी रूम टैंपरेचर में रखा जाए तो कुछ समय बाद उसमें बैक्टीरिया आने लगता है, लेकिन फ्रोजेन फूड के साथ ऐसी दिक्कत नहीं आती।"
फ्रोजेन फूड ब्रांड 'मीटिंगटन' और 'ग्रैब अ ग्रीन' के सह-संस्थापक सचिन सहगल बताते हैं कि खाद्य व्यवसाय के 25 वर्षों के अपने अनुभव को मैंने अपने उत्पाद को खास बनाने में लगा दिया है। मैंने पूरी कोशिश की है कि अपने ग्राहकों को स्वादिष्ट, हाइजीनिक, हेल्दी और फौरन परोसे जाने वाले शाकाहारी और मांसाहारी उत्पाद दे सकूं। इसके लिए मैंने कई प्रयोग किए हैं, जिन्हें मैं अपनी खासियत भी कह सकता हूं क्योंकि वह आपको किसी अन्य ब्रांड में नहीं मिल सकता।
शाकाहार-मांसाहार में मौजूद वेराइटी
शाकाहारी लोगों के लिए हमारे फ्रोजेन फूड में ब्रोकली कबाब, ब्रोकली काॅर्न कबाब, काॅर्न कबाब, दही के कबाब, अखरोट के कबाब, भुट्टे के कबाब, मशरूम कबाब, पनीर मोमोज, पनीर टिक्का, वेजिटेबल मोमोज, वेज कटलेट्स, गाजर का हलवा वगैरह कई वेराइटी उपलब्ध हैं। इनमें से अखरोट का कबाब मेरी खुद तैयार की गई स्पेशल डिश है, जो मुश्किल ही किसी और ब्रांड के पास होगी।
मांसाहार में हमारे पास काफी वेराइटी मौजूद है। इनमें चिकन एन चीज मोमोज, चिकन सेजवान मोमोज, चिकन मोमोज, चिकन साॅसेज, क्लासिक चिकन टिक्का, चिकन मलाई टिक्का, पेरी पेरी चिकन विंग्स, चिकन मलाई सीख, चिकन अचारी सीख, चिकन सीख कबाब, चिकन हैम, चिकन सलामी, चिकन तंदूरी टंगड़ी, मटन गलौटी कबाब, मटन सीख कबाब, चिकन सीख कबाब, फिश फिंगर, क्रम्ब फ्राइड फिश, क्रंची फिश पैटी, क्रंची चिकन पैटी, क्रंची मटन पैटी, अमृतसरी फिश, बर्गर पेटीज, चिकन पाॅप काॅर्न, चिकन नगेट्स और प्राॅन्स की वेराइटी भी शामिल हैं।
शेफ सहगल कहते हैं, "हमारा अपना प्रोसेसिंग फूड यूनिट है। यहां सबकुछ मशीन से पकाया और बेक किया जाता है। इस उत्पाद में किसी का हाथ नहीं लगा होता। यही वजह है कि यह पूरी तरह से हेल्दी और हाइजीनिक है। कोविड के बाद लोग अपने खानपान को लेकर बेहद चूजी हो गए हैं। खाना खाते हुए वे इस बात का ध्यान जरूर रखते हैं कि आखिर उनकी प्लेट में परोसा गया खाना कितना हाइजीनिक है और स्वास्थ्य की दृष्टि से कितना बेहतर। ऐसे लोगों के लिए ही हम बाजार के लगभग सभी दुकानों में अपने उत्पाद भेजते हैं।"
बहुत जल्द हम 'प्लांट बेस्ड मीट प्रोडक्ट्स' भी अपने ब्रांड में शामिल करने वाले हैं। यह उन लोगों को विशेष तौर पर लुभाता है, जिन्होंने कभी नाॅन वेज खाने का स्वाद चखा है, लेकिन अब केवल वेजिटेरियन खाना ही खाते हैं। ऐसे लोग शाकाहारी भोजन को मांसाहार स्वाद के साथ खाना कई बार काफी पसंद करते हैं। यही वजह है कि वे इसे खरीदना और कम समय में घर पर तैयार करके खाने की हमारी कोशिश को काफी सराह रहे हैं।
कई शहरों में उपलब्ध हैं उत्पाद
कोविड काल के बाद साल 2021 के अंत में 'मीटिंगटन' और 'ग्रैब अ ग्रीन' उत्पाद को लाॅन्च करने वाले सचिन सहगल के उत्पाद आज दिल्ली-एनसीआर के अलावा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख और चंडीगढ़ तक अपनी पहुंच बना चुके हैं। सहगल के ये प्रोडक्ट्स इन दिनों नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित 'आहार फूड फेस्टिवल' के 'हाॅल नंबर 5' में आगंतुकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। लोगों को यह खाद्य उत्पाद काफी पसंद आ रहा है और वे इसका स्वाद लेने के बाद अपने अनुभव शेयर करना नहीं भूल रहे।
बता दें कि 14 मार्च से 18 मार्च 2023 तक सवेरे 10 बजे से शाम 6 बजे तक नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 'आहार- द इंटरनेशनल फूड एंड हाॅस्पिटैलिटी फेयर' लगा है, जो देश-विदेश में खाद्य उद्योग से जुड़े व्यवसायियों और अन्य पेशेवरों को खासतौर से लुभा रहा है। आहार फूड फेस्टिवल के इस 37वें मेले का हिस्सा बनने के लिए आपको 300 रुपये का टिकट लेना होगा, लेकिन अगर आप सभी दिन यहां पहुंचना चाहते हैं तो इसके लिए आपको केवल 1000 रुपये का टिकट लेना होगा।
नए ट्रेंड्स की मिलती है जानकारी
'आहार- द इंटरनेशनल फूड एंड हाॅस्पिटैलिटी फेयर' एक बीटूबी इवेंट है, जिसका आयोजन भारत सरकार की प्रीमियर ट्रेड प्रमोशन बाॅडी, 'इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गनाइजेशन' (आईटीपीओ) द्वारा हर साल किया जाता है। 'आहार' को फूड एंड हाॅस्पिटैलिटी क्षेत्र में एशिया का सर्वश्रेष्ठ ब्रांड माना जाता है। बीते कुछ वर्षों में इस शो को दुनियाभर में काफी प्रसिद्धि मिली है।
सहगल कहते हैं, आहार मेले का आयोजन हर साल होता है। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार में क्या नया आया है, दुनियाभर में कौन से नए ट्रेंड्स लोगों को लुभा रहे हैं, जैसी कई जानकारी यहां आसानी से मिल जाती है। यही वजह है कि दुनियाभर में खाद्य व्यवसाय से जुड़े लोग इस मेले में पहुंचने की कोशिश करते हैं। हालांकि, कोरोना काल के दौरान इस मेले का आयोजन नहीं हो पाया था और उसके बाद भी जब पिछले साल इसका आयोजन किया गया तो लोग काफी डर-डर कर इस मेले में पहुंचे थे। मास्क पहनकर भी यहां पहुंचने वालों की संख्या तुलनात्मक रूप से बेहद कम थी। बहरहाल, खुशी की बात यह है कि अब सबकुछ सामान्य होने की राह पर है और मेले में इस साल पहुंचने वालों की संख्या भी काफी बढ़ी है।