व्यवसाय विचार

बैटएक्स का 50,000 मीट्रिक टन बैटरी उत्पादन का लक्ष्य

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Aug 30, 2024 - 9 min read
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कंपनी भारत में मैटिरियल रिफाइनिंग हब को बनाना चाहती हैं। यही कारण है कि कंपनी 2032 तक भारत में 50,000 मीट्रिक टन मैटिरियल का उत्पादन करना चाहती है और वह इस पर काम कर रही हैं।

बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के बिजनेस में आने से पहले बैटरी मैन्युफैक्चरिंग उद्योग पर पूरी जानकारी प्राप्त करें। समझें कि बैटरी के विभिन्न प्रकार, उनकी तकनीक और बाजार की मांग क्या है। एक ठोस व्यवसाय योजना बनाएं जिसमें लक्ष्य, बजट और रणनीतियाँ शामिल हों। बैटरी मैन्युफैक्चरिंग की तकनीक और प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझें। इसमें बैटरी के विभिन्न कंपोनेंट, उनके निर्माण और रिसाइक्लिंग की जानकारी ले। हम बात कर रहे है बैटएक्स एनर्जीज के को-फाउंडर और सीईओ उत्कर्ष सिंह की जिन्होंने इस क्षेत्र से अपने बिजनेस की शुरूआत की और उन्होंने ऑपरच्यूनिटी इंडिया से बात-चीत के दौरान अपनी बिजनेस जर्नी, मेटल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, और रिसाइक्लिग वेस्ट पर चर्चा की

1. बैटएक्स बैटरी मैन्युफैक्चरिंग में कैसे आगे बढ़ रहा है और उसकी खासियत क्या है?

हम लिथियम आयन बैटरी की रीसाइक्लिंग करते हैं। जब हम कॉलेज में थे, तब हम एक इलेक्ट्रिक वाहन बना रहे थे। उस समय हमें यह एहसास हुआ कि इलेक्ट्रिक वाहनों में बैटरी की ज़रूरत होती है, और इसके लिए सिर्फ लिथियम आयन बैटरी का उपयोग किया जा सकता है।  हमने काफी रिसर्च किया और देखा चंडीगढ़ में एक कंपनी है जो प्रेस्टीज एनर्जी बनाती है। फिर हमें पता चला कि सारी चीजें आयात की जाती हैं। इसके बाद हमने और रिसर्च किया और सोचा कि हम भारत में एक ऐसा व्यवसाय शुरू करेंगे जहाँ हम बैटरी पैक बनाएंगे।

हमें अहसास हुआ कि हमें भारत में सभी सेल्स आयात करने होंगे। फिर हमने और रिसर्च की और पता चला कि हम भारत में सेल्स नहीं बना सकते, क्योंकि सेल्स बनाने के लिए हमें महत्वपूर्ण मैटिरियल की आवश्यकता होती है।

हमें कोबाल्ट, निकल, और लिथियम की आवश्यकता होती है  और ये तीनों हमारे पास नेचुरल रिसोर्स के रूप में नहीं हैं। तब हमने सोचा कि हम इन महत्वपूर्ण धातुओं का निर्माण भारत में ही करेंगे। इसके लिए केवल एक ही तरीका है—अगर हम रिसाइक्लिंग करें, तो ही हम इसे बना सकते हैं। इसलिए हमने इसे एक व्यवसायिक अवसर के रूप में पहचाना और फिर इस काम को शुरू किया।

2. उद्यमी लिथियम के बाद सॉलिड-स्टेट बैटरियों की ओर बढ़ रहे हैं? क्या आपको लगता है कि सॉलिड-स्टेट बैटरी लिथियम से ज्यादा पावरफुल है ?

सॉलिड-स्टेट बैटरी ज्यादा पावरफुल और महंगी होती हैं। असल में, लिथियम-आयन बैटरियां इलेक्ट्रोलाइट्स से भरी होती हैं, जो एक वेट सॉल्यूशन होता है। लेकिन सॉलिड-स्टेट में वही चीज़ ठोस रूप में होती है। बैटरी में होता क्या है? लिथियम-आयन एक तरफ से दूसरी तरफ जाते हैं।  जब आप डिस्चार्ज करते हैं, तो यह ग्रेफाइट से अपनी मूल अवस्था में वापस आ जाते है। इसे उदाहरण के तौर से समझाते है, एक सामान्य लिथियम-आयन बैटरी में, बीच में एक नदी होती है, और उन्हे तैहर के जाना होता है। सॉलिड स्टेट में ग्राउंड होता है और उसमें हम जल्दी पहुंच जाते है। तो बस यही अंतर है।  सॉलिड-स्टेट को आने में अभी बहुत समय है। कमरशियली वाइबिलीटी उसकी अभी कई टेस्ट नहीं हुई है।हम भी एक रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन है और हम भी उस पर रिसर्च कर रहे हैं।

3. जब आपने बिजनेस शुरू किया तो आपको किन चुनौतियो का सामना करना पड़ा?

हमारे उद्योग की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मेटल की कीमतें लगातार ऊपर-नीचे होती रहती हैं। और पिछले 1.5 वर्षों से ये गिर रही हैं। इसलिए, यह एक बड़ी चुनौती है। निवेशक और सभी लोग सवाल करते हैं कि आपकी बिक्री कम हो रही है या आपकी बिक्री उतनी नहीं बढ़ रही है जितना आप बता रहे हैं,जब की बिक्री मेटल की कीमतों से जुड़ी होती है। हमारी बिक्री की मूल्य कभी ऊपर जाती है और कभी नीचे। तो, यह एक चुनौती है। हम उस मैटीरियल को कैसे बचाएं? विश्लेषण को कैसे बेहतर बनाएं? हमने उस अंतर को पहचान लिया है और हम इसे पूरा कर रहे हैं।

दूसरी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हम वेस्ट रिसाइक्लिंग उद्योग में भी हैं। तो, ग्राहक को यह जानकारी या जागरूकता नहीं है कि बैटरी की लाइफ जब खत्म हो जाए तो उसका करना क्या है। यह भी एक चुनौती है जिस पर हम पहले से काम कर रहे हैं। हम ग्राहक को ज्यादा जागरूक बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वे बैटरी को फेंकने के बजाय रिसाइकल के लिए भेजें और अभी हमारी उत्पादन क्षमता 5000 मीट्रिक टन है।

4. आपने किस उद्देश्य के लिए कौन-कौन सी कंपनियों के साथ सहयोग किया है

हम JBM के साथ काम कर रहे हैं। हम उनके उत्पाद के लिए एक सेकंड लाइफ बैटरी पैक बनाने पर काम कर रहे हैं। इसके बाद, हम टाटा के साथ काम कर रहे हैं। हम कंपनियों के साथ उनकी बैटरियों की रिसाइक्लिंग पर काम कर रहे हैं और उनकी बैटरियों का सर्वोत्तम मूल्य उन्हें कैसे वापस कर सकते हैं, यह देख रहे हैं।

5. क्या आपको लगता है सरकार की नीतियां ईवी उद्योग के बाजार में मददगार हैं ?

अगर इसे अन्य क्षेत्रों से तुलना करें, तो जब तक चीन में सब्सिडी थी, बिक्री बहुत बढ़ गई थी। सब्सिडी के बाद, बिक्री थोड़ी कम हो गई है। यह चाहे सब्सिडी हो या किसी निर्माता की दक्षता या लागत दक्षता हो। अंत में सब कुछ ग्राहक की पसंद से जुड़ा होता है। वाहन की कीमत कितनी है? FAME 3 और FAME 2 के कारण, ग्राहकों को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने और इस्तेमाल करने के लिए जो शुरुआती प्रेरणा चाहिए थी, वह मिल चुकी है।

अगर आप फेम 2 को देखें, तो इसका सबसे बड़ा प्रभाव लास्ट माइल डिलीवरी के इकोसिस्टम पर हुआ है। कई स्टार्ट-अप्स ने रेंटल देने शुरू कर दिया था, क्योंकि उन्हें सस्ती गाड़ियाँ मिल गई थीं। वो रेंटल की कॉस्ट बहुत कम थी जिसकी वजह से रोजगार भी मिला है। तो फेम 2 का बहुत अलग-अलग जगह पर प्रभाव पड़ा है और फेम 3 में सरकार वाहन निर्माण की स्थानीयकरण पर बहुत ध्यान दे रही है। तो, मुझे लगता है कि यह एक बड़ी चुनौती है और हम इसे हल कर रहे हैं।

6. क्या आप अब फ्रेंचाइज़ी मॉडल पर काम कर रहे हैं ?

हमने अपने पार्टनर के साथ एक प्लांट स्थापित किया है जहाँ हम स्थानीय स्तर पर बैटरियाँ इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें ब्लैक मास पाउडर में बदल रहे हैं, और फिर उस ब्लैक मास को हमें लाकर रासायनिक उपचार कर रहे हैं। हमारे जीरो वेस्ट, जीरो इमिशन प्रक्रिया के माध्यम से हम उन मैटिरियल को अलग करते हैं। हम फ्रेंचाइज़ ऑन्ड कंपनी ऑपरेटेड मॉडल पर काम कर रहे है।

7. क्या आप अपना उत्पाद पूरे भारत में या पूरे विश्व में सप्लाई करते हैं ?

हमारी कंपनी वैश्विक है। हम अपने उत्पाद को जापान, कोरिया, मलेशिया, अमेरिका, यूरोप में सप्लाई करते है। सेल निर्माण अभी पूर्ण स्तर पर नहीं आया है।

8 आपकी विस्तार योजनाएं (एक्सपेंशन प्लान) क्या हैं ?

आज के समय में  हमारी क्षमता 5000 मीट्रिक टन है। हम इसे अगले चरण में 5000 से 15000 मीट्रिक टन तक ले जाना चाहते हैं। इसके बाद, हम इसे 50,000 मीट्रिक टन तक बढ़ाना चाहते हैं। हम बाहर से वेस्ट को पाउडर में बदलना और भारत लाना चाहते हैं। हम भारत में मैटिरियल रिफाइनिंग हब को बनाना चाहते हैं। यही कारण है कि हम 2032 तक भारत में 50,000 मीट्रिक टन मैटिरियल का उत्पादन कैसे कर सकते हैं, इस पर काम कर रहे हैं। ये सभी महत्वपूर्ण मैटिरियल होंगे। इससे हम ताजे मैटिरियल के आयात के लिए अन्य देशों पर निर्भरता कम कर सकेंगे। और स्थानीय सेल निर्माण को भी भारत में बढ़ावा मिलेगा।

9. आप बाजार में अपने आप को कैसे स्थापित कर रहे हैं? आप क्या अलग कर रहे हैं?

मुझे लगता है कि हमारी विधि बहुत पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-आधारित है। जब हम अपने ग्राहकों, OEMs या किसी से बात करते हैं, तो हम पहले व्यावसायिक दृष्टिकोण से बात नहीं करते।

हम पहले तकनीक के माध्यम से अपने उत्पाद को बेचते हैं। हम उन्हें बताते हैं कि यह सामग्री कैसे बनाई जाती है, क्या बेहतर किया जा सकता है, और इससे कैसे निपटा जा सकता है। यह सर्कुलर इकॉनमी का भी एक बड़ा हिस्सा है। सर्कुलर मैन्युफैक्चरिंग का मतलब है कि निर्माता ऐसी बैटरियाँ बनाएं जो आसानी से रिसाइकल किया जा सकें। अगर आप देखें, तो इसमें एक बॉक्स है, तो उसे फिर से उपयोग किया जा सकता है। इसके BMS को भी फिर से उपयोग किया जा सकता है।

हम अपने ग्राहकों को इस तरह से शिक्षित करते हैं। आप यहाँ और वहाँ लागत बचा सकते हैं। आप हमारे साथ काम कर सकते हैं और इसे अपने इकोसिस्टम में इस्तेमाल कर सकते हैं। यही हमें अन्य रीसाइक्लरों से अलग बनाता है। इसके अलावा, B2C बाजार में, हमारे पास एक प्रभाव की छवि है। यह एक स्टार्टअप है जो प्रभाव की दिशा में काम कर रहा है। अगले 10 वर्षों के लिए उनका यही दृष्टिकोण है। वे कम से कम 5 मिलियन CO2 उत्सर्जन को बचाना चाहते हैं। हम इसी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

10 जो इस बिजनेस को शुरू करना चाहते है उन्हे आप क्या राय देंगे ?

मुझे लगता है कि हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण सफलता का मंत्र यह है कि हमने कभी अपने मूल से हटकर काम नहीं किया। हमारा मूल बहुत मजबूत होना चाहिए। हमारी टेक्नोलॉजी समझ बहुत मजबूत होनी चाहिए। आज के समय में,अगर आप सोच रहे हैं कि मैं एक असेम्बली व्यवसाय शुरू करूंगा और इसके चारों ओर एक ब्रांड बनाऊँगा बिना यह समझे कि टेक्नोलॉजी कैसे काम कर रही है, सेल कैसे काम कर रहा है, विभिन्न सेल्स में क्या अंतर है, तो मुझे लगता है कि यह विफल हो सकता है। इसे रोकने के लिए, सबसे पहले इस टेक्नोलॉजी को समझें। और फिर इसमें कूदें। साथ ही यह समझें कि अगले 5 वर्षों में, आपको एक रिसाइक्लिंग प्लांट या बैटरी निर्माण प्लांट स्थापित करना पड़ेगा। इसलिए, सबसे पहले यह समझें कि आपका पैसा भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसे समझने के बाद ही आप इसमें शामिल हो सकते हैं। हम इसे अपने कॉलेज दिनों से कर रहे हैं। हमें पता है कि हम कहाँ ऊपर और नीचे जा सकते हैं। पहले टेक्नोलॉजी से प्यार करें और फिर उससे व्यवसाय बनाएं। यही बेहतर है।

11. क्या आपने किसी सीड फंडिंग राउंड या किसी निवेश की प्रक्रिया की है?
ज़ाफिर पीकॉक(Zafir Peacock ) एक अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी है। अब तक, हमें बाजार से 65 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है और हमें अगले साल और अधिक निवेश प्राप्त होगा। हमने उस 65 करोड़ रुपये का उपयोग अपने वर्किंग कैपिटल, अपने प्लांट को बनाने, और अपनी टेक्नोलॉजी को सफलतापूर्वक स्केल करने में किया है।

इस इंटरव्यू को देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -https://tinyurl.com/3sfxv346

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